Search This Blog

Tuesday, December 5, 2017

कली युग

मैं न कवि,  न पारंगत.
पागल के प्रलाप सा -युग की बात बक रहा हूँ.
रामायण काल
महाभारत काल
जातक कथाएं सब को देखा
सरसरी नजर से
कलियुग  तो है प्रतयक्ष
मेरी बुद्धि  में न कोई अंतर नहीं देखता.
सब युगों  में
बलात्कार, ठग, अहंकार, अत्याचार,
गंभीर  विचार किया तो
कलियुग ही सब से अच्छा.
ज्यादा ये ज्यादा
कहने की स्वतंत्रता.
आश्रमों की भ्रष्टता,
शासकों  की भ्रष्टता,
भले ही दंड ये बचे,
बातों की जानकारी तो मिलती,
बातें होती खुल्लमखुल्ला,
निस्संकोच मिलते रहते हैं बे शरम

कलियुग ही सब से अच्छा.

मैं न कवि,  न पारंगत.
पागल के प्रलाप सा -युग की बात बक रहा हूँ.
रामायण काल
महाभारत काल
जातक कथाएं सब को देखा
सरसरी नजर से
कलियुग  तो है प्रतयक्ष
मेरी बुद्धि  में न कोई अंतर नहीं देखता.
सब युगों  में
बलात्कार, ठग, अहंकार, अत्याचार,
गंभीर  विचार किया तो
कलियुग ही सब से अच्छा.
ज्यादा ये ज्यादा
कहने की स्वतंत्रता.
आश्रमों की भ्रष्टता,
शासकों  की भ्रष्टता,
भले ही दंड ये बचे,
बातों की जानकारी तो मिलती,
बातें होती खुल्लमखुल्ला,
निस्संकोच मिलते रहते हैं बे शरम

बातों की जानकारी,  बातें होती प्रकट.
कलियुग ही सब से अच्छा. ज्यादा ये ज्यादा.





मृत्यु निश्चित

मनमाना    ढंग से
 रुपये जोड
मान खोकर भी
नेता या नेत्री बन
पैसे के लिए
 मल खानेवाले भीड.
खुद न भोगते,
बेकार  पैसे
निर्दयी लोग
न्याय के पक्ष  नहीं
मजबूत
 मजबूर.
चंद पैसे के लिए
भ्रष्टाचारी   को सलाम.
क्यों भूल जाते,या
भय  नहीं खाते
मृत्यु निश्चित.

बुढापा

बुढापे में बचपन से बुढापे तक का जीवनावुभव
का सारांश
जवानी में परिवार  की चिंता
कमाई की चिंता
बुढापे में कई चिंताएँं
बचपन की गल्तियाँ,
बचपन की आआनंद,
जवानी की नौकरी
विवाह प्रेम का उतावला
न जाने बुढापा कैसे आता है,
मन तो जवानी सी तडपता है.
कई बातें कई करम करने की लालसा
पर अंगों की शिथिलता
कमजोरी, जन्म से
बूढे तक के जीवन की
सफलताएं -असफलताएँ
 मनुष्येतर  कर्म
मन लद जाता है
ईश्वर प्रेम में, भक्ति में, मुक्ति में.
ईशंवरानुराग में.
अपनी नई पीढ़ी  को संदेश यही
"कर्म कर, प्रयत्न कर
अपना धर्म न छोड.
सत्य का पालन कर
परोपकार  में लग.
धन तेरी मेरी सभी मनोकामना
पूरी नहीं करता,
प्रयत्न और धन से
हमारी हर मनोकामना पूरी नहीं होती.
जवानी इन बातों  को बूढे का बनवास कह
खिल्ली ' उड़ती.
पर बुढापा का. संदेश
सबहीं नचावत राम गोसाई.

Thursday, November 23, 2017

जागो --जगाओ (SA)

कुछ न कुछ लिखो ,
मन की बात लिखो .
समाज हित की बात लिखो .
देश हित की बातें जागृत कर.
देशोद्धार में लगो.
मनुष्य शक्ति मिल जाती तो 



देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .

Wednesday, November 22, 2017

जागो, जगाओ .( ச )


मनुष्य शक्ति मिल जाती तो
देवों को भी कर देती टुकड़ा.
शिव के भक्त--
पर उनके अपने दल अलग .
विष्णु के भक्त -
उनके राम दल ,
कृष्ण दल.
ईश्वर के नाम
दल-दल में
झगड़ा.
अंधविश्वासों का बाह्याडम्बर ,
स्वर्ण-चाँदी-रूपये सब तहखाने में.
सुन्दर देव -देवी की मूर्तियाँ
समुद्र में विसर्जन.
न देश-समाज-गरीबों की चिंता.
राजनीतिज्ञ कब्र ,स्मारक , मूर्तियाँ ,तोरण-द्वार में
लाखों करोड़ों का खर्च.
सरकारी दफ्तर-धूल-दूषरित.
आम जनता की सुविधा कम .
भ्रष्टाचार-रिश्वत के रकम अधिक.
युवक-युवतियां ज़रा सोचो -जागो
अपने प्रतिनिधि चुनने में
दल के बंधन से दूर रह.
नेता का अन्धानुकर मत कर.
ऐसे नेता चुन ,मुख सामान.
जो चबाता हैं ,
उससे सभी अंगों को बल देता हैं.
तटस्थ नेता चाहिए,
जो जीतने के बाद
केवल देश की ही चिंता करता हो .
जागो,जगाओ .
देश ही प्रधान.
याद रखो जय जवान, जय जवान .

Sunday, November 19, 2017

हिंदी( ச)

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी जगत 
और राष्ट्र जगत .
हिंदी एक सेतु .
किसने बाँधा ,
पता नहीं ,

अपभ्रंश , मैथिली , अवधि , व्रज ,
भोजपुरी , मारवाड़ी , सब भाषाएँ
हड़पकर खडीबोली हिंदी ,

कैसे पनपी?
किसने विकसित  किया?
हिन्दीवालों की देन--नहीं
वे अन्यों की हिंदी को
ज़रा दूसरी या तीसरी श्रेणी ही देते.
वज़ह क्या ? कारण क्या ?पता नहीं .
राजा राम मोहन राय , दयानंद सरस्वती ,
आचार्य विनोबा . मोहनदास करम चंद जी ,

(गांधी कहने पर सब को खान परिवार की ही याद आती ).
हिंदी या हिन्दुस्तानी ?
गांधीजी का समर्थन हिन्दुस्तानी से था .

संस्कृत मिले या उर्दू मिलें

चित्र  पट दुनिया तो अधिक


शुक्रिया को , किस्मत को ,इश्क मुहब्बत को

शोर ,आवाज़ को जोर दिया.

क्रोध को दबाया, रूठ रूठ को बढ़ाया.
जो भी हो खडीबोली बाजारू हिंदी
आज विश्व मित्र को जोड़ रही है.
अतः हम मिल रहे हैं .
संभाषण करते हैं .
वार्तालाप या संवाद?
सब में हैं हिंदी यार बोलो ,सखा बोलो
दोस्त बोलो , मित्र बोलो ,
सब में चमकती हिन्दी.