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Tuesday, October 27, 2020

  शीर्षक _-सांझ सबेरे।२७-१०-२०२०.

सांझ सब पारसी अपने नीड़ लौटते।
सबेरे खेत जाकर किसान वापस लौटते।
गोधूली बेला गायें चरकर वापस लौटती।
सूर्योदय सूर्यास्त का सुबह शाम ।।
त्रिकाल संध्या वंदन ब्राह्मण करते।
सबेरे कमल खिलते,
सबेरे पक्षी चहचहाते हैं,
पत्थरों पर शबनम की बूंदें।।
सूर्योदय ओसकणों को नदारद करते।
सबेरे व्यस्त पशु पक्षी मनुष्य
आराम करने घर लौटते।।
ईश्वरीय कालचक्र खेल में
यह भी एक लीला अति रोचक।।
परिश्रम करनेवाले आराम लेने
ईश्वरीय नियम।।

देश की चिंता कौन करें


२७-१०-२०२०
देश की चिंता कौन करें?
मतदाता ?कभी नहीं।
40%मतदान नहीं करते।
राजनैतिक नेता?
वे अपने दल की प्रगति के लिए
प्रांतीय दल को बढ़ाने वाले हैं।
धार्मिक नेता?
मनुष्य मन में भेदभाव पैदा करनेवाले,
आश्रम के आचार्य?
अपने अपने संप्रदाय दल बढ़ाने वाले
अधिकारी?
शासक स्र्वार्थ और धन के गुलाम।
जो इन सब की भ्रष्टाचारी को
तालियां बजाना छोड़कर
स्वचिंतक निस्वार्थ बनते हैं
देश की भावी पीढ़ी की रक्षा में
तन,मन,धन लगाते हैं,
मां हो या नेता या पिता या आध्यात्मिक आचार्यों के
दुर्व्यवहार का पोल खोलकर विरोध करते हैं,
वहीं देश की चिंता करते हैं।
स्वचिंतक स्वरचित अनंतकृष्णन चेन्नै।।

Sunday, October 25, 2020

चक्षु नयन

 वणक्कम।नमस्ते।

आंखें 26102020

पंचेंद्रियों में आंखें प्रधान।।

भगवान को रिझाने आंखें बंद करना

नैनों की करी कोठरी,पुतली का पलंकपर,

भगवान को लिटाकर ,पतली का चिक डालकर ।

भगवान को बाहर न जाने देना।

पर आंखें खोलते खोलते देखते हैं

लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल।

यह लोकिक प्रेम या अलोकिक पता नहीं।।

भगवान को रिझाने आंखें बंद करना,

भगवान के दर्शन के लिए आंखों को खोलना,

परमपद पहुंच ने सदा के लिए आंखें बंद होना,

दुलारने  चंदा है तू,सूरज है तू,

आंखों का तारा है तू।

आंखें रहित जीवन नरक तुल्य ।

शील-अश्लील दृश्य 

सुंदर असुंदर दृश्य 

बिन आंखें कैसे?

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै

Monday, October 19, 2020

 आज का शीर्षक =   !आइए कुछ रचे।


दिमाग दिग्गज ।

कुछ रचने की प्ररेणा देता रहता है,

मन रोकता है अतः कुछ रचना 

अति मुश्किल  बाह्य

 मन कुछ जिह्वा कुछ हाथ और कुछ।।

अश्लील बातें,शील बातें।

आध्यात्मिक बातें,भक्ति की बातें

मुक्ति की बातें,  शक्ति बातें

कमजोर की बातें,आत्मा की बातें,

परमात्मा की बातें,शतृकी बातें,

मित्रवर की बातें,द्रोह की बातें।

विद्रोह की बातें ,छल की बातें।

 शांति की बातें, संधि की बातें।

नई बातें, ताज़ी बातें, बासी बातें

लिखने की बातें अनेक।

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन, चेन्नै।




चिंतक

Sunday, October 18, 2020

माँ का विभिन्न रूप

 


बार बार ममता ,माँ
आज मैँ अमेरिका माँ
जिनको प्रत्यक्ष देखा
आँसू बहने लगा.
एक लड़का बाहर खड़ा था.
अंदर से एक महिला आयी ,
उनसे बातें की ,वह उदास था ,
महिला भी उदासिन थी.
तब मेरे बेटे से पुछा तो
उसने कहा वह उस लड़के की माँ है
वह माँ से मिलने आया है ,
उस महिला ने दूसरी शादी कर ली
वह पिताजी के साथ रहता है ,
उसके पिता की भी शादी ह गयी
लड़का महीने में एक बार मिलने आता
यह अमेरिका माँ भली ,
कुंन्ती से और कबीर की माँ से
मिलती और बातें करती
माँ के विभिन्न रूप .बार बार
माँ ममता शीर्षक निर्दयी माँ अनेक
उनका भी उल्लेख करना आवश्यक
स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन

हवामहल

 

मानव जीवन में,

हवामहल न बनवाने पर,

काल्पनिक घोड़ा न दौडाने पर 

मानसिक संतोष कहां?

सब सपना कहां?

मनमाना जी चाहे गगन में उड़ता रहूं।

जहां रवि नहीं पहुंच सकता,

वहां कवि पहुंच सकता।

कुछ लिखने, शब्दों की तलाश में

सोच विचार करने 

जी चाहे गगन में उड़ता रहूंगा।

प्रेम की तलाश में,

भ्रष्टाचारी की तलाश में,

साधु संत सिद्धों की तलाश में

जी चाहे गगन में उड़ता रहा हूं।

स्वरचित सर्व चिंतक अनंतकृष्णन,चेन्नै।

शीर्षक --संतोष कार्यशाला

 शीर्षक --संतोष कार्यशाला २० १८-१०-२०२०

मनुष्य संतोष या असंतोष ?
कैसे पता चलेगा ?
प्रेम की सफलता में या असफलता में ?
धन पाकर बाह्याडम्बर से खर्च करने में ?
या कर्जा लेकर मनमाना खर्च करने में ,?
क्रेडिट कार्ड में सूद मात्र ५%अदा करने में
या हर महीने उनको पूरा चुकाने में?
मद्यपान करने में या मद्यनिषेध करने में ?
ईमानदारी में या बेईमानदारी में ?
दान देने में या दान लेने में ?
ईश्वर प्रीती में या मानव प्रीती में ?
स्वार्थ में या निस्वार्थ में ?
एक बाह्य झूठ दूसरा आतंरिक सच
अतः मानव हमेशा दुरंगी।
दुनिया को कहेगा दुरंगी
मैं कहूंगा बहुरंगी।
स्वरचित स्वचिंतक यसअनंतकृष्णन।