शीर्षक _-सांझ सबेरे।२७-१०-२०२०.
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Tuesday, October 27, 2020
देश की चिंता कौन करें
Sunday, October 25, 2020
चक्षु नयन
वणक्कम।नमस्ते।
आंखें 26102020
पंचेंद्रियों में आंखें प्रधान।।
भगवान को रिझाने आंखें बंद करना
नैनों की करी कोठरी,पुतली का पलंकपर,
भगवान को लिटाकर ,पतली का चिक डालकर ।
भगवान को बाहर न जाने देना।
पर आंखें खोलते खोलते देखते हैं
लाली मेरे लाल की जित देखो तित लाल।
यह लोकिक प्रेम या अलोकिक पता नहीं।।
भगवान को रिझाने आंखें बंद करना,
भगवान के दर्शन के लिए आंखों को खोलना,
परमपद पहुंच ने सदा के लिए आंखें बंद होना,
दुलारने चंदा है तू,सूरज है तू,
आंखों का तारा है तू।
आंखें रहित जीवन नरक तुल्य ।
शील-अश्लील दृश्य
सुंदर असुंदर दृश्य
बिन आंखें कैसे?
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन चेन्नै
Monday, October 19, 2020
आज का शीर्षक = !आइए कुछ रचे।
दिमाग दिग्गज ।
कुछ रचने की प्ररेणा देता रहता है,
मन रोकता है अतः कुछ रचना
अति मुश्किल बाह्य
मन कुछ जिह्वा कुछ हाथ और कुछ।।
अश्लील बातें,शील बातें।
आध्यात्मिक बातें,भक्ति की बातें
मुक्ति की बातें, शक्ति बातें
कमजोर की बातें,आत्मा की बातें,
परमात्मा की बातें,शतृकी बातें,
मित्रवर की बातें,द्रोह की बातें।
विद्रोह की बातें ,छल की बातें।
शांति की बातें, संधि की बातें।
नई बातें, ताज़ी बातें, बासी बातें
लिखने की बातें अनेक।
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन, चेन्नै।
चिंतक
Sunday, October 18, 2020
माँ का विभिन्न रूप
हवामहल
मानव जीवन में,
हवामहल न बनवाने पर,
काल्पनिक घोड़ा न दौडाने पर
मानसिक संतोष कहां?
सब सपना कहां?
मनमाना जी चाहे गगन में उड़ता रहूं।
जहां रवि नहीं पहुंच सकता,
वहां कवि पहुंच सकता।
कुछ लिखने, शब्दों की तलाश में
सोच विचार करने
जी चाहे गगन में उड़ता रहूंगा।
प्रेम की तलाश में,
भ्रष्टाचारी की तलाश में,
साधु संत सिद्धों की तलाश में
जी चाहे गगन में उड़ता रहा हूं।
स्वरचित सर्व चिंतक अनंतकृष्णन,चेन्नै।
शीर्षक --संतोष कार्यशाला
शीर्षक --संतोष कार्यशाला २० १८-१०-२०२०