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Sunday, January 24, 2021

चंद्रमा

 नमस्कार। वणक्कम।

चंद्र न जाने मा छोड़ दिया।

मा जोडूँ? 

चंद्र    घटने, बढ़ने में

अंधेरा,अधूरी प्रकाश,

न तो जुगुनु का महत्व।

शशिकला   शिव के सिर की  शोभा।

 सपना पूर्ण हो या घर का चाँद होना।

सर्वेश्वर का अनुग्रह।

सबहिं नचावत राम गोसाईं।


Saturday, January 23, 2021

कर्तव्य

 नमस्ते वणक्कम।

 विषय --कर्तव्य

  गीता का सदुपदेश 

 कर्तव्य निभाओ,

फल की प्रतीक्षा मत करो।

परिणाम भगवान पर छोड़ दो।

  मत देने का कर्तव्य  भी

 ३०% भारतीय नहीं करते।

  गीतोपदेश मानते नहीं।

कैसे होगा भारत का खुशहाल?

 १०% मतदाता  वोट देते

 कर्तव्य निभाते  जो मधु पिलाते।

१०%अपने जातिवालों को 

पात्र कुपात्र सोचे विचारे 

 वोट देते।

१०%  मजहब के आधार पर ,

मत देने का कर्तव्य निभाते।

१०% नेता पर की अंध भक्ति पर देते ओट।

३०% लोगों में दलीय राजनीति स्वार्थ।

१०%+६%+४%+३+२+ २+३%

  राष्ट्रीय दल , प्रांतीय दल, छोटे-छोटे दल, निर्दलीय।

 भारतीय कर्तव्य चुनाव में

 सही रूप करते तो 

अगजग में भारत अव्वल।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

देव भक्ति है क्या?

 नमस्ते वणक्कम।

देशभक्ति, समत्व, सहोदरत्व, 

क्या है पता नहीं।

देश भक्ति हो तो नदी में  प्रदूषण,

रेत की चोरी क्यों?

खेती क्यों बदलती कारखाना।

गणपति अपमान में हर साल 

करोड़ों का खर्च।

 भिखारी के शव के नीचे

एक करोड़।

पंद्रह साल के बाद पकड़ा गया

 नकली पुलिस।

 शहरीकरण उद्योगीकरण के नाम

कृषी प्रधान भारत क्यों 

मरुभूमि बनती।

देश की भला चाहक है  तो 

भ्रष्टाचारी धनी लुटेरे

कैसे बनते सांसद विधायक मंत्री।

 कर्तव्य करने  घूस क्यों?

 सरकारी पाठशाला, अस्पताल,दूरभाष केंद्रों को

बदनाम क्यों?

नगर वाला का नाटक क्यों?

आसाराम जैसे ढोंगी कैसे?

विजय मल्लैया नीरव शरमाने खान 

  बच्चे कैसे?

 भगवान की मूर्ति का अपमान जूतों की मालाएँ कैसे?

 देश भक्ति है तो

 नदियों का राष्ट्रीय करण,

 भारत भर एक ही 

शिक्षा प्रणाली।

 ग्रामीकरण, खेती का विकास।

 शिक्षा केन्द्र अमीर गरीब भेद रहित।।

 बारह साल अमीर का मुकद्दमा।

   ये सब जब तक होता,

 तब तक नहीं सब के दिल में

 असली देश भक्ति ।

राजनीतिज्ञ में सच्ची  देश भक्ति हो तो

 कई दलों की आवश्यकता क्यों?

अपने अपने नेताओं की 

भ्रष्टाचारी क्यों नहीं छिपाते ? 

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

गुरु शिक्षक

 नमस्ते वणक्कम।

शीर्षक  गुरु/शिक्षक।

गुरु बड़े ऊँचे सर्वोपरी महान।

 सर्वश्रेष्ठ गुरु और शिष्य मिलन।

ईश्वरीय देन।

गुरु एक जमाने में 

आसानी से सब को 

अपने शिष्य नहीं बनाते।

 कठोर परीक्षा करने के बाद।

गुरु की खोज में शिष्य घूमते।

आजकल  की शिक्षा,

सर्व शिक्षा अभियान।

 शिक्षक पाठशाला खोलते नहीं,

अमीर अधिक पूँजी

 बाह्याडंबर भरा

 आलीशान पाठशालाएँ,

अमीरों की शिक्षा,

शिक्षक गुलाम बेगार।

गुरु बाह्याडंबर रहित सर्वज्ञानी।

ईश्वर सृष्टित गुरु ।

आजकल प्रशिक्षित।

वेतन भोगी।

सरकारी स्कूल शिक्षक,

अति स्वतंत्र मनमानी छुट्टीयाँ।

आकस्मिक छुट्टी, धार्मिक छुट्टियां,

अर्द्ध वैतनिक छुट्टी, अवैतनिक छुट्टी,

 सरकारी स्कूल सही नहीं का बदनाम।।

निजी स्कूल का नाम बड़ा।

 योग्य शिष्य योग्य शिक्षित माता पिता।

 शिक्षक बेगार, योग्य हो या अयोग्य।

 किसी प्रकार छुट्टी नहीं,

पाँच मिनट देर से आते तो वेतन कट।

छुट्टी लेना मना लेने पर नौकरी चली।

छात्रों को ट्यूशन अनिवार्य।

 वही शिक्षक को वेतन से ज्यादा।

अमीरी स्कूल के ट्रस्ट अति सम्मानित समाज में ।

गुरु के आदी गुरु कौन ?पता नहीं।

प्रशिक्षित शिक्षक को 

एक प्रशिक्षण महाविद्यालय।

गुरु सहज ज्ञान स्रोत।

शिक्षक पुस्तकीय  ज्ञान।।

अलग अलग विषय

 अलग अलग शिक्षक।

 गुरु गोविंद समान,

शिष्य चुनाव गुरु का अधिकार।

शिक्षक के मालिक 

हिरण्यकशिपु समान।

स्कूल सचिव,संगठक, सदस्य की बात माननेवाले।

प्रवेश योग्य अयोग्य

 सब के 

समान  शिक्षक।।

आज की शिक्षा के बाद

साक्षात्कार अवश्य।।

  गुरु  एकलव्य को मना करते।

शिक्षक एकलव्य को अपनाते।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

स्वतंत्रता

 स्वतंत्र नमस्कार। वणक्कम।

  स्वतंत्र हम नहीं 

 जब तक 

प्रकृति को नहीं देते

स्वतंत्रता तब तक।।

 नदी नाले झील सागर 

सब में प्रदूषण।

एक गौरैया को भी जीने नहीं देते।

 मानव दिन ब दिन 

यांत्रिक।

 यंत्र का गुलाम।।

 पंखा बुझाने,

रिमोट। 

आजादी कैसे?

हर बात में चाहते आजाद।

बाह्याडंबर दिखाने 

 क्रेडिट कार्ड के गुलाम।

होम लोन,वाहन लोन गुलाम।

पुकार पुकार कर ऋण देते।

बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट अधिक।

विजय मल्लय्या नीरव जैसे 

कर्जा न चुकाने वाले आजाद।

मध्य वर्ग ईमानदारी से कर्जा चुकाते 

पर न स्वतंत्र कर्जा लेने।

धनियों की स्वतंत्रता गरीबों की नहीं।

कहते हैं सब स्वतंत्र,

पर आवेदन पत्र में 

जाति धर्म लिखना अनिवार्य।।

स्वतंत्र नाम सिर्फ भाग्यवानों के लिए।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।

प्रेम

 साजन 


 हमारे जमाने  में  प्रेम याने लव  शब्द  अश्लील ,

 दंडनीय ,बुरे शब्द।  

आधुनिक  काल में ऐ  लव यू  शब्द  

सामान्य शब्द। 

साजन  रहित महाविद्यालय जीवन

 शून्य ,अति शून्य ,अपमानित। 

कुछ मज़हबी  और जातिवाले 

प्रेम करने कराने करवाने के प्रशिक्षण में लगे हैं.

हमारे जमाने में शादी के  बाद ,

पति सेवा प्रधान। अंत तक जुड़े रहते हैं ,

अमीरों और जमींदारों को रखैल रखना गर्व की बात.

 अंतःपुर में सुंदरियों की भीड़.

आज  कल स्नातक स्नातकोत्तर 

साजन खोज लेते पर अदालत में तलाक मुकद्दमा 

बढ़ रहे हैं  कई कारणों से। 

कितने साजन से अति संतोषप्रद  जीवन पता नहीं।

मोह  तीस सिन ,चाह तीस दिन ,

बंधन रहित में प्यार ,बंधन के बाद मनमुटाव।

जवानों के अध्ययन से वे शादी के बाद दुखी। 

आर्थिक असमानता , अंतर्जाल में बढ़ा चढ़ाकर दृश्य। 

सुखी  नहीं ,यथार्थ की बात.

स्वरचित  स्वचिंतक अनंतकृष्णन।

पल

 नमस्ते वणक्कम।

 दिनांक 23-1-2021.

   शीर्षक : पल  

पल पल बूंदें मिलकर पला ।

बच्चा बना।तीन किलो का।

बालक बना पल-पल कर

वजन बारह किलो।

पलकर युवा बना पचास।

पलने माता ने खूब खिलाया।

पलकर नौकरी नहीं मिली।

वही माँ ने गाली दी 

पलकर भैंस बराबर बने हो।

पडोसिन का बेटा पल पल कमाता लाखों।

पल पल गाली खाते खाते

 मोटा ताजा जवान बना।

 न जाने भाग्य पलटा।

पल पल लाखों कमानेवाले की बहन से

 प्यार मिलन हो गई शादी।

अब भी पलता सुडौल बनता जा रहा हूँ।

पल पल कमानेवाला

 और कमाने की परेशानी में।

मैं हूँ निश्चिंत आवारा।

परावलंबित।

पल पल परिश्रमी स्वावलंबी।

भाग्य भला या परिश्रम पता नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै हिंदी प्रेमी तमिलनाडु।