कवि को राजसम्मान ----तमिल कवियत्री औवैयार
"விரகர் இருவர் புகழ்ந்திட வேண்டும்
விரல் நிரைய மோதிரங்கள் வேண்டும் - அரையதனில்
பஞ்சேனும் பட்டேனும் வேண்டும் அவர் கவிதை
நஞ்சேனும் வேம்பேனும் நன்று.
विरकर् इरुवर पुकल्न्तिड वेंडुम्.
विरल निरैय मोतिरम् वेंडुम् --अरैयतनिल
पंचेनुम् पट्टेनुम् वेंडुम् अवर कवितै
नंचेनुम वेंबेनुम् नन्रु ------तमिल मूल
राजदरबार में सम्मान और पुरस्कार पाना है तो
१२वीं शताब्दी की कवयित्री औवैयार ने अपनी कविता में लिखा है --
कवि के साथ उनकी कविता की प्रशंसा करने दो व्यक्ति चाहिए ।
कवि की उंगलियों में अंगूठियाँ चमकनी चाहिए ।
कमर पर रेशमी धोती चमकनी चाहिए ।
वैसे वैसे सजतजकर रहने पर उनकी कविता भले ही जहरीला हो,
नीम सी कडुवी हो ,सम्मान मिलेगा ही ।
तमिल भावार्थ-----ऍस. अनंतकृष्णन ,चेन्नै तमिलनाडु
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Thursday, March 16, 2023
कवि को राजसम्मान --तमिल कवियत्री औवैयार
Wednesday, March 15, 2023
औवैयार तमिल कवयित्री की भक्ति
औवैयार तमिल कवयित्री की भक्ति
மதுரமொழி நல்லுமையாள் சிறுவன் மலரடியை
முதிரநினை யவல்லார்கரி தோமுகில் பொன் முழங்கி
அதிரவருகின்ற யானையும் தேரும் அதன் பின்வரும்
குதிரையும் காதம் கிழவியும் காதம் குல மன்னனே!
मधुरमोलि नल्लुमैयाल्। चिरुवन मलरडियै
मुतिरनिनै यवल्लार करि तोमुकिल् पोॅन मुलंगी,
अतिर वरुकिन्र यानैयुम् तेरुम् अतन् पिन वरुम
कुतिरैयुम् कातम् किलवियुम् कातम् कुल मन्नने ।
--तमिल मूल कविता
ईश्वरीय शक्ति साथ रहने पर कोई भी कार्य दुर्लभ नहीं है ।
एक दिन तमिल कवयित्री औवैयार भगवान गणेश की पूजा कर रही थी । तब उसको खबर मिली कि चेर देश के राजा और शिव भकत कवि सुंदरर दोनों पहाड कैलाश जा रहे हैं ।
वह भी उनके साथ जाना चाहती थी । अतः जल्दी जल्दी पूजा करना चाहती थी ।तब खुद भगवान गणेश ने कहा, पूजा पाठ जल्दी करने की जरूरत नहीं है । हमेशा की तरह करो । मैं खुद तुमको उन दोनों के जाने के पहले ही पहुँचा दूँगा ।
राजा और कवि दोनों बढिया घोडे से जुडे रथ पर सवार होकर जा रहे थे । उन्होंने सोचा कि कवयित्री के पहले ही कैलाश पहुँच जाएँगे।
यहाँ पूजा के खतम् होते ही भगवान गणेश का आकार विराट बन गया । औवैयार को अपने सूंड में उठाकर कैलाश में छोड दिया ।
औवैयार को उनके पहले ही कैलाश में देखकर राजा ने पूछा कि आप हमारे पहले कैसे आये । तब कवयित्री ने उपर्युक्त कविता सुनाई ।
हम तो मधुर शब्द बोलनेवाली हितप्रद
शिवकामी के पुत्र गणेश भगवान की अनन्य भक्ता है ।
हमें आपके पहले आना दुर्लभ नहीं है ।
अति सरल कार्य है ।
आपके रथ के पहले मेरा पहुँचना ईश्वरीय अनुग्रह है ।
गणेश जी की कृपा सब काम को सरलतम् बनाएगी।
अखंड भारत की आध्यात्मिक एकता की बारहवीं सदी की कविता है ।
यह आध्यात्मिक कविता भारत की एकता को मजबूत बनाएगी ।
तमिल कवयित्री औवैयार एक परिचय
तमिल कवयित्री औवैयार एक परिचय--ऍस. अनंतकृष्णन .
इट्टमुडन ऍन तलैयिल इन्नपडि ऍन्रेलुति
विट्ट शिवनुम् चेत्तु विट्टानो -मुट्ट मुट्टप,
पंचमे यानालुम् भारम् अवनुक्कन्नाय
नेंजमे अंजाते नी ।।
सत्य है या किंवदंती पता नहीं, औवैयार सुप्रसिद्ध कवयित्री के माता -पिता आदी और भगवान हैं । वे दोनों भाट जाति के यहाँ रहा करते थे । तब उस दंपति को एक बच्ची पैदा हुई । भाटों ने भगवान से कहा कि बच्ची को छोडकर जाना । आदी और भगवान दोनों दुखी मन से बच्ची को छोडने तैयार हो गये । तब बच्ची ने उपर्युक्त कविता लिखकर दिलासा दी।
कविता का भाव है---
भगवान शिव ने मेरी सृष्टि के पहले ही अपनी इच्छा से मेरी भाग्य रेखा लिखी है , वे तो मरे नहीं., जिंदा है ।विशव भर में अकाल पडने पर भी मेरी रक्षा का भार उन पर ही निर्भर है । अतः हे मन डरो मत ।
बारहवीं शताब्दी की कवियत्री की इस कविता में भारतीयों की एकता में शिव भगवान का योगदान ,
शिव -भक्ति के साथ आ सेतु हिमाचल तक आजकल के अंग्रेज़ी मिश्रित शब्द-शक्ति के समान संस्कृत के शब्द भारतीय भाषाविदों का गौरव रहा । भक्ति क्षेत्र में तो भारतीय एकता संस्कृत की देन है ।
उपर्युक्त तमिल कविता में भगवान शिव की शरणागतवत्सलता ही नहीं संस्कृत के तद्भव शब्द
इट्ट--इष्ट। ष का ट उच्चारण, भारम्--भार आदि भारतीय एकता की नींव पक्की का प्रमाण है ।
Monday, March 13, 2023
युग युग की बात
कलियुग की बातें खुलती हैं,
कारण है अभिव्यक्ति का अधिकार।
मूल अधिकार संविधान की देन।।
कैमरा,मोबइल वीडियो,
भंडा फोड देते हैं!
क्या प्रयोजन?
त्रेतायुग में सीता भूमि में से मिली।
रावण का सीता हरण।
दिव्य पुत्री, भूदेवी।
द्वापर युग में भीष्म का बलात्कार
तीन राजकुमारियों को बलात्कार लाना।
कुंती का कर्ण बहाना।
ये बलात्कार , ये अपहरण।
युग युग की बातें, कलियुग कहना
कहाँ तक सार्थक ।
कलियुग सोचो , जनता है स्वार्थी।
पूर्व युगों में शासकस्वार्थी।
काम बनने स्वार्थी जनता,
रिश्वत लेने देने तैयार।।
पैसे लेकर वोट देने तैयार ।।
राज भक्ति के अंधे लोग।।
आज पैसे अंक प्रमाण पत्र का आधार।।
सद्यफल के लिए करते हैं भ्रष्टाचार ।।
पर भगवान का दंड मृत्यु, बचना मुश्किल ।।
एस. अनंतकृष्णन, स्वचिंतक,
Saturday, March 11, 2023
நாறாயணீயம்--2/1306
வணக்கம். नमस्ते ।
देश है भारत महान.
देश है भारत महान.
प्रेम