Wednesday, March 15, 2023

तमिल कवयित्री औवैयार एक परिचय


तमिल कवयित्री औवैयार  एक परिचय--ऍस. अनंतकृष्णन .



 इट्टमुडन ऍन तलैयिल  इन्नपडि  ऍन्रेलुति 
 विट्ट शिवनुम् चेत्तु विट्टानो -मुट्ट मुट्टप,
पंचमे यानालुम्  भारम् अवनुक्कन्नाय 
नेंजमे अंजाते  नी ।।
     
         सत्य है  या  किंवदंती पता नहीं, औवैयार सुप्रसिद्ध  कवयित्री के माता -पिता   आदी और भगवान हैं । वे दोनों भाट जाति के  यहाँ रहा करते थे । तब उस दंपति को एक बच्ची पैदा हुई । भाटों ने भगवान से कहा कि बच्ची को छोडकर जाना । आदी और भगवान दोनों दुखी मन  से  बच्ची को छोडने तैयार हो गये । तब बच्ची ने उपर्युक्त कविता  लिखकर  दिलासा दी। 
 कविता का भाव  है---
  भगवान शिव ने  मेरी सृष्टि के पहले ही  अपनी इच्छा से मेरी भाग्य रेखा लिखी है , वे तो मरे नहीं., जिंदा है ।विशव भर में  अकाल पडने पर  भी मेरी रक्षा का भार उन पर ही निर्भर  है । अतः  हे मन  डरो मत । 
        
  बारहवीं शताब्दी  की कवियत्री की इस कविता में  भारतीयों  की एकता में शिव भगवान का  योगदान ,
शिव -भक्ति  के साथ  आ सेतु हिमाचल  तक आजकल के अंग्रेज़ी  मिश्रित शब्द-शक्ति  के समान संस्कृत के शब्द भारतीय  भाषाविदों का गौरव रहा । भक्ति क्षेत्र में तो भारतीय एकता संस्कृत की देन है ।
    उपर्युक्त तमिल कविता में भगवान शिव की शरणागतवत्सलता ही नहीं संस्कृत के तद्भव शब्द 
इट्ट--इष्ट। ष का ट उच्चारण, भारम्--भार  आदि भारतीय एकता की नींव पक्की का प्रमाण है ।


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