Thursday, March 30, 2023

-स्वतंत्र.

 स्वतंत्र. 

  स्वरचित  लेख.

एस. अनंतकृष्णन , स्वरचनाकार, स्वचिंतक, अनुवादक. तमिल नाडु का हिंदी  प्रचारक. 

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शीर्षक ---स्वतंत्र. 

लेख. ३१-३-२०२३.

  अलग जग में कई प्रकार  के तंत्र हैं! राजतंत्र,लोक तंत्र  मंत्र तंत्र  .

वह क्या स्वतंत्र!  बहुत सोचता हूँ!  चकित रहता हूँ!  उन्मुक्त गगन के पक्षी स्वतंत्र है?  जंगल का राजा स्वतंत्र है?  क्या मच्छर स्वतंत्र है?  मधुमक्खी  स्वतंत्र  है? चिंता  भूलने पीनेवाला पियक्कड़  स्वतंत्र  है?  गंगा जैसी जीव नदियाँ स्वतंत्र हैं ? क्या  मैं लेखक स्वतंत्र हूँ? 

अपनी शैली   में  अपने विचार  लिख सकता हूँ? देश का प्रधानमंत्री हूँ । बिना अंगरक्षक के ज

स्वतंत्र. 

  स्वरचित  लेख.

एस. अनंतकृष्णन , स्वरचनाकार, स्वचिंतक, अनुवादक. तमिल नाडु का हिंदी  प्रचारक. 

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शीर्षक ---स्वतंत्र. 

लेख. ३१-३-२०२३.

  अग जग में कई प्रकार  के तंत्र हैं! राजतंत्र,लोक तंत्र  मंत्र तंत्र  .

वह क्या स्वतंत्र!  बहुत सोचता हूँ!  चकित रहता हूँ!  

उन्मुक्त गगन के पक्षी स्वतंत्र है? 

 जंगल का राजा स्वतंत्र है? 

 क्या मच्छर स्वतंत्र है? 

 मधुमक्खी  स्वतंत्र  है? 

चिंता  भूलने पीनेवाला पियक्कड़  स्वतंत्र  है?  

गंगा जैसी जीव नदियाँ स्वतंत्र हैं ? 

क्या  मैं लेखक स्वतंत्र हूँ? 

अपनी शैली   में  अपने विचार  लिख सकता हूँ? 

देश का प्रधानमंत्री हूँ । 

बिना अंगरक्षक के  जा नहीं सकता। 

अभिनेता,अभिनेत्री है.

सार्वजनिक स्थानों में घूम नहीं सकता।

 ईमानदार जिलादेश है , कठोर  कार्रवाई लेने का अधिकार है, पर कर्तव्य करने नहीं देते। तबादला करते रहते हैं ।

मेरा स्वर कर्ण कठोर है , मधुर गायकों के मंच पर  गाने नहीं देते ।

छंद अलंकार रस रहित कविता  लिखने पढने  मंच पर स्थान नहीं ।

हर प्रकार का कर चुकाता हूँ.  बगैर  टिकट के  ,रेल विमान में यात्रा न करते।

विद्यालय में अपनी मातृभाषा मात्र सीखने नहीं देते.   सिर्फ मातृ भाषा माध्यम पढकर  नौकरी पा नहींं सकता।

स्वतंत्र कहीं  भी नहीं.

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