Friday, March 10, 2023

नारी ।

 [10/03, 7:09 pm] sanantha.50@gmail.com: नारी लिखी है।और नशामुक्त  भारत अभियान  भी।   यहाँ तमिलनाडु में  हिंदी किताब की बिक्री  मुश्किल है। मैं बुढापे खरीद नहीं सकता। सहयोग राशी भेजूँगा।

[10/03, 7:15 pm] sanantha.50@gmail.com: मेरा परिचय  -- नाम है एस.अनंतकृष्णन.    तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक. जन्म की तारीख --8-7--1950.शैक्षणिक  योग्यता स्नातकोत्तर हिंदी स्नातकोत्तर शिक्षा . अवकाश प्राप्त  प्रधान अध्यापक. स्नातकोत्तर हिंदी अध्यापक.  अनुवादक. अपनी हिंदी अपनी शैली लेखक.  कवि

[10/03, 8:52 pm] sanantha.50@gmail.com: नयी लिखनी है क्या ?भाग १ में मेरी कविता है । नशा मुक्त भारत अभियान। 

     तीन सौ रूपयों की मज़दूरी,  

दो सौ की नशीली चीजें, 

पत्नी बच्चे भूखों तडपते। 

सुध बुध खोकर लडकटाते।

अंग्रेज पाश्चात्य प्रभाव। 

ठंड प्रदेश कम पीते वे।

 भारत है गरीब देश।।

   गरम देश , 

 पूर्वजों ने ऋषि मुनियों ने 

मानसिक शांति के लिए, 

ध्यान का मार्ग दिखाया,

योग प्रणायाम   जप तप का 

 मार्ग दिखाया.

मधुशाला लौकिक माया.

मानसिक  बेचैनी  मधु द्वारा अस्थाई! 

बेचैनी  आना हमारी भूल! 

लौकिक माया मोह,

स्वास्थ्य के लिए  हानियाँ।।

 अल्पायु के मूल कारण।।

 मधु मुक्त भारत अभियान।।

 सोचो-समझो,  आगे बढो।।

नशीली चीजें तजो, 

परेशानी में भगवान का शरणार्थी  बनो।

भगवान है  प्रमाण है बुढापा,रोग, मृत्यु।

स्वरचनाकार, स्वचिंतक ,अनुवादक 

तमिलनाडु  का हिंदी  प्रेमी प्रचारक ।

एस. अनंतकृष्णन ।

[10/03, 9:34 pm] sanantha.50@gmail.com: नारी   एक गृह -प्रबंधक.

१९७० तक की नारी केवल गृह -प्रबंधक ।

सास की इच्छानुसार  खाद्य-पदार्थ ।

ससुर,देवर,पति की माँग के अनुसार रसोई ।

सास का पैर दबाना, बेगार नारी ।

तडके उठना,आंगन की सफाई.

रात ग्यारह बजे तक एक एक घर के रिश्तेदार को परोसना,

बर्तन माँजना,कपडे धोना,

न ग्रैंडर,न मिक्सि,न वाशिंग मिशन ।

ससुराल ही आश्रय स्थल ।

मायके का दायित्व बेटी की शादी तक।.

आधुनिक नारियाँ स्नातक,स्नातकोत्तर।

पति के समान पदाधिकारी ,कमानेवाली ।

स्वाश्रित,स्वावलंबी।

कानूनी सुरक्षा। मातृसत्तात्मक हकदारी ।

सवरचित कविता ।

स्रचनाकर,स्वचिंतक, अनुवादक.

[10/03, 10:01 pm] sanantha.50@gmail.com: बहूु पत्नी 

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एस. अनंतकृष्णन, तमिलनाडु

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 रामायण काल से आज तक।

बहु पत्नी प्रथा.

आजकल कानूनी  सुरक्षा ,नालायक। 

तलाक की तादद बढती जाती ।

सब्रता नहीं किसी में ।

पाश्चात्य प्रभाव, पति बदलना,

पत्नी बदलना साधारण बात।

संयम्,जितेंद्रियता चित्रपट में नहीं ।

चंचल मन,चंचल तन,शिक्षा में अनुशासन नहीं ।

पुत्र -पुत्री के रहते उनको अनाथ बनाकर 

दूसरा निक्काह ,तलाक 

 भारतीय सनातन की सीख नहीं ।

शारीरिक सुख ही प्रधान नहीं,

यही सीता,अनुसुया,नलायिनी की सीख,

पुरुषों  में भी लागू न होना, बेचैनी का मूल् ।.

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