Monday, March 27, 2023

समय के साथ समाज,साहित्य बदलता है

 सबको अनंतकृष्णन ,तमलनडु ,चेन्नैै का सविनय वणक्कम्.नमस्कार।

स्वचिंतन से स्वरचित रचना । ----------------------------- विधा--अपनी भाषा,अपनी शैली। --------------------------------------- शीर्षक--समय के साथ समाज,साहित्य बदलता है --------------------------------------- दिनांक---27-3-2023 ----------------------- मानव की बुद्धि -विकास, ज्ञान-विज्ञान की वृद्‌धि, वैज्ञानिक आविष्कार, तेज आवागमन के साधन, राष्ट्रीय-अंतर्राष्टरीय संपर्क समय के अनुसार सामाजिक साहित्यिक परिवर्तन के बुनियाद मेंं। नंगे मानव का वस्त्र परिवर्तन् । कच्चे माँस,कच्ची तरकारी खानेवाले पशु -समान असभ्य मानव । पाषाण अस्त्र-शस्त्र वाले मानव, आज के भयंकर अणुबम तक कितना वैज्ञानिक परिवर्तन। आध्यात्मिक विचारों कितना परवर्तन। भगवान शिव के कितने संप्रदाय, शैव,वीर शैव,लिंगायत आदि। वैष्णव संप्रदाय-राम.कृष्ण , दक्षिण कला,उत्तर कला. तिलक धारण में कितने अंतर। जैन धर्म के दिगंबर,स्वेतांबर भेद। बौद्ध धर्म के हीनयान-महायान. मुगलधर्म में सिया,सुन्नी,लब्बे, ईसाई धर्म के पुराने-नये टेस्टामंट् कथोलिक,प्रोटोस्टंट,सेवंत डे अडवेंटिस्ट. मजहबी विचारों में कितने भेद-परिवर्तन. राज सत्ता में राजा,महाराजा,स्वेच्छाधिकारी,
सर्वाधिकारी,अत्याचारी,लोकतंत्र। भाषाा तो बहता नीर । मैथिली,अवधि,व्रज,खिचडी, खडीबोली हिंदी का विकास. प्रेमचंद की उर्दु मिश्रित भाषा, प्रसाद की संस्कृत छंद-अलंकार मेंकितने परिवर्तन। रहस्यवाद,छायावाद,प्रगतिवाद ,हालावाद. अकविता,नव कविता,हैकू. समय के अनुसार खान-पान,रहन-सहन,खुराक-पोशाक, रसोई में मिक्सि,ग्रैंडर,वाशिंगमिशन, गेसस्टव,इलक्ट्रानिक कुक्कर . कितनेे परिवर्तन. साहित्य समाज का दर्पण है. अशाशवत संसार में परिवर्तन ही शाश्वत है। एस.अनंतकृष्णन,

No comments:

Post a Comment