Tuesday, May 5, 2015

आदर्श देश -भक्त हो तो

आज   जुगलकिशोर गुप्ता जी  की शायरी पढ़ी ,

माता  ,पिता ,बेटा ,बेटी ,बहु ,सास के लक्षण  लिखा हैं 

जिससे पारिवारिक शान्ति  भंग न हो. 

यदि देश के प्रति भक्ति हो तो 

आदर्श देश -भक्त हो तो 

ऐसा  काम  करने मन में स्थान न दें  
जिससे देश के नाम कलंकित हो. 

संयमित  नियंत्रित  जीवन  

बलात्कार  को स्थान  न दें ;

काले धन ,भ्रष्टाचार ,रिश्वत क्या है 

इसका  पता न हो. 

भ्रष्टाचारी ,कालधनी ,रिश्वतखोरी को कठोरतम दंड मिले. 

चुनाव में योग्य देश सेवको को ओट दें 
पैसे लेकर  ओट देना  बंद हो. 
मनुष्य -मनुष्य में प्रेम हो ,
मनुष्यता प्रधान हो। 
देश  भक्ति में त्याग  और सेवा प्रधान हो. 


Saturday, April 25, 2015

श्री शंकराचार्य और विषय वासना -मनुष्य दशा -

    मनुष्य और स्वभाव गुण


आचार्य  श्री  शंकराचार्य  सहज स्वाभाविक
 गुण  के बारें में   अपने  

"विवेक चूडामणि " ग्रन्थ में 

विषय गुण  की निंदा करते हैं. 

 हर एक जीव के एक स्वाभाविक  गुण
 प्रेम और आसक्त होता है I 

यह स्वाभाविक आकर्षण ही 

उस जीव के अंत या धोखे के कारण बनते हैं.

ये विषय वासना हैं --

नाद ,स्पर्श ,रूप ,रस ,गंध आदि  

 विषयवासना  में एक   से   प्रेम होने पर
उसका अंत निश्चय हैं I

हिरन  नाद के प्रेम में फँस जाता  हैं तो
 हाथी स्पर्श के   कारण ,

पतंग रूप आकर्षण के कारण ,

मछली स्वाद रस के कारण ,

भ्रमर  सुगंध  के  कारण  

अपने -अपने प्राण तक त्याग देते हैं I 

 एक एक स्वाद  या विषय वासना वाले जंतु -पशु  को 

अपने  जीवन - प्राण संकट  में   डालना पड़ता हैं  तो 

मनुष्य की गति पर  विचार कीजिये  I 

 उसको पाँचों विषय वासानायें आकर्षक   हैं I 

वे  विषय -वासना  के गुलाम  या बेगार भी हो जाते हैं I

उसकी गति कैसी होगी ?

विषय वासना से बचिए I

एक शिकारी  बाजा बजाकर
 उस  संगीत के मोह से हिरन को पकड़ लेता है.

हथिनी  की खोज  में हाथी हड्डे  में गिर जाता है .

पतंग  दीप के शिखर की रोशनी  में गिर जाते है 

कीड़े खाने के मोह के कारण  तो 

 मछली काँटे में फँस जाती है.

फूल के सुगंध अली  कली में कैद हो जाता है.

ये पाँचों जीवों को एक ही विषय वासना हैं .

इक  वासना एक एक को संकट  में डाल देता है.

मनुष्य  में ये पाँचों विषय वासनाएँ सम्मिश्रित हैं.

वह नाद ,स्पर्श ,रूप ,रस ,गंध आदि
 पाँचों विषयों में मोहित हो जाता है.

उसकी दशा -दुर्दशा कैसे  रहेगी .

देखिये  -मूल  श्लोक :--

शंदादिभिः पञ्चभिरेव  पञ्च   

पंचात्व्मापु: स्वगुणैन  बद्धाः I

कुरंग्मातान्ग्पतन्ग्मीन -

भृंगा नरः  पंच्भिरंचितः  किम I






             

Friday, April 10, 2015

भारत की न्याय व्यवस्था मर रहीं है.

क़ानून  भारत  में  ,अमीरों को  सजा  स्थगित रखता है;
गरीबों  को और गरीब  बनाता है;

पियक्क  अभिनेता का  मुकद्दमा सालों चला ,

अभी एक ड्राईवर का गवाह  हैं गाडी मैंने चलाई;

मुख्य मंत्री का  मुकद्दमा  सालों चला,

न्याय सुनाने के बाद अपील में  कहते हैं 

अठारह साल पहले   दाम कम ,

सजा क्या सुनायेंगे पता नहीं.

अभी आंध्रा में बीस तमिलनाडु  के 

चन्दन पेड़ काटनेवाले अपराधियों को 

पुलिस  ने गोली चलाकर  मार डाला.

वे अपराधी है या नहीं  पता नहीं ,
पर तमिलनाडु सरकार ने  का दिया  

हर  गोली  के शिकार  हुए लोगों  को 

तीन लाख सरकार देगी.

छे  ही अपराधी नहीं ,लेकिन सब को तीन  लाख.

आत्महत्या करने वालों को कई लाख ,

यह तो आत्म हत्याके लिए प्रोत्साहन.
अपराधियों के लिए प्रोत्साहन ,

दिल्ली  में तो बलात्कारियों को साक्षात्कार और रूपये.

भारत  की न्याय व्यवस्था  मर रहीं है.


Tuesday, April 7, 2015

भगवान है या नहीं.भगवान खुद नाराज.

आज  भी चर्चा है  --भगवान  है या  नहीं.

है तो  अपराध क्यों ?

है तो भ्रष्टाचार क्यों ?

हैं तो भगवान के दर्शन में धनी-निर्धनी का भेद  क्यों ?

क्यों  मनुष्य गुण में फरक?

भेद /अंतर /फरक /डिफरेंट इतने शब्द   क्यों ?एक ही 


अर्थ के लिए.

बैल गाडी से जेट  तक वाहन.

गोरे /काले .सुन्दर -भद्दे लम्बे -नाटे 


काँटे-फूल  इतने फरक .


सूर्य -चन्द्र तारे  पानी हवा  सब जीने का आधार एक.


भगवान  एक . उनकी सृष्टि  में अंतर.


दस हज़ार देने पर   दस लोगों को 




एक घंटे में खर्च करता है एक,

एक तो  दस को बीस हज़ार बनाने में चतुर.


एक तो दान -धर्म ,फिर खाली हाथ.


दस हज़ार तो बराबर बांटे गए.



एक बन  गया करोडपति 

,
एक पीकर अर्द्ध नग्न फुट पात पर,


इसमें  दाता का दोष क्या?

यों ही मनुष्य की  सृष्टि तो बराबर ;

पर  उनके कर्म फल  को ईश्वर नहीं बनेगा जिम्मेदार.



देखो मनुष्य का करतूत ;


वह खुद भगवान बनाकर  कर दिया छिन्न-भिन्न 


.
पैसे का सदुपयोग करके अपने धर्म का विकास न करके ,
कुकर्म से करना चाहता एकता

.
भगवान खुद हो जाता नाराज .


भगवान सोचता ,मेरी ही हालत ऐसी तो




कितना  अधर्मी -पापी मनुष्य

 ;
जुलुस निकलता उस दिन छा जाता आतंक -भय भीत.

मेरे नाम पर कलंक ; करोड़ों का  बर्बादी 

.

नहीं हुआ कोई विकास;




आजाद भारत में  मेरी स्तिथि 

कई लोग गरीबी में ,


बोलता है पैसे लेकर बन जाता  हिन्दू विधर्मी .


हिन्दू तो  क्या करता गरीबों के विकास में.


धन आश्रमों में मंदिरों में 

,
दान दिए खेत हदापते अधिकारी या राजनीतिज्ञ ;


सोना -चाँदी लूटते 

,
भगवान के दर्शन के लिए टिकट.


तहखानों में जो सोना -चाँदी  धीरे धीरे नदारद.


अपराधी की प्रार्थना उसके काले धन से 


करूंगा क्या इनकी भलाई ;



भगवान खुद नाराज.

Wednesday, March 11, 2015

संसार तो दुरंगी

जग  में  तूफान -आंधी -सुनामी  होता है,भूकंप  भी ;

नहीं कह सकते मनुष्य 

मन ,दयालु के बीच एक निर्दयी है काफी 


एक घड़े भर की भात में ,एक बूँद विष भी काफी;

प्यार भरा संसार है तो घृणा की बात क्यों;

सत्य भरा  संसार हो तो असत्य  का अस्तितिव क्यों?


सुख मय  संसार्  है  तो दुःख कीबात  क्यों?

फूल ही फूल है तो कांटे भी तो है साथ ही;

मृदु रेत है तो उसमें कंकट  भी  मिश्रित है.


बिजली की रोशनी  है तो उसमें धक्का भी साथ है;

अग्नि मिटाती सर्दीतो  जलन  की क्रिया भी;

धूप ही धूप में छाया भी है जगत में;

पतझड़ है तो वसंत भी ;

संसार है अति विस्तार ,

संसार  है अति निराली 


जानना -पहचानना अति दुर्लभ;दुश्वार.

Thursday, March 5, 2015

चुप --छिप -स्वार्थ.


सबेरे उठा;न जाने  कुछ भी लिखने को न सूझा

राजनीति ---

धर्मनीति -

लोकनीति 

सब में भलाई . सब में बुराई .

सकल  जगत में फूल -काँटा 

विष -अमृत 

द्वित्व . 

दया-निर्दया ;

निर्दयता देख निर्दयी की आँखों में भी  अश्रु.

चोरी देख चोर को भी गुस्सा .

भ्रष्टाचारी देख भ्रष्टाचार भी निंदा ;

सत्यवान की प्रशंसा असत्य का काम 

यह्दुनिया ही  दुरंगी;

द्वि जीभ ; द्विआचरण ;

हाथी के दांत खाने के और 

दिखाने के और;

मगर मच्छ आँसू;

क्या लिखूँ ?क्या  छोडूँ?

गुरु का उपदेश --चुप रह.

चुप.छुप.-वे तो ज्ञानी ;

मैं तो अधजल गगरी छलकत जाय.

मेंढक सा टर-टर --

फँस जाता साँप के मुँह में.

चुप -चुप- चुप 

जो बोलता है उसकी चाल --चुप --छिप -स्वार्थ.

Tuesday, February 24, 2015

for hindus to reform.


ஹிந்தி கற்க



मैं हिन्दू हूँ ;  --நான் ஹிந்து .
     
आजकल हिदुओं को अपनी दयनीय स्थिति  पर विचार करना है;

இந்நாட்களில் ஹிந்துக்கள் தங்களுடைய  தயைநிறைந்த நிலையைப் பற்றி சிந்திக்க வேண்டும்.

कई बड़े बड़े मंदिर अन्धकार में ;பெரிய -பெரிய கோயில்களில் இருட்டில்  .

 मेले उत्सवों के समय  मंदिरों के चहार दीवार पर पेशाब का दुर्गन्ध ,
திருவிழாக்கள் உத்சவ நாட்களில் கோயில்களின் மதில் சுவர்களில் சிறுநீர் நாற்றம்.


 कई मंदिरों में अन्धकार ,--aneka koilkal iruttu அநேக கோயில்கள் இருட்டு
जेनेराटर की सुविधा नहीं.==ஜெனரடர்   வசதி கிடையாது.

कई प्राचीन मंदिर उजड़े हुए हैं . பல கோயில்கள் பாழடைந்த நிலை .

हिन्दुओं की एकता के लिए  करोड़ों की मूर्ती विसर्जन करनेवाले हम
 मंदिरों को स्वच्छ न रखें तो भगवान खुद उन्हें स्वच्छ --बदल देगा;

ஹிந்துக்களின் ஒற்றுமைக்காக கோடிக்கணக்கான சிலைகளை விசர்ஜனம் செய்யும் நாம் ,கோயில்களை    தூய்மையாக   வைக்கவில்லை என்றால் கடவுள் தானே சுத்தம் செய்து கொள்வார் .
कांचीपुरम एकाम्बरेश्वर मंदिर गया तो  मंदिर के अन्दर ही पाखाना;
காஞ்சிபுரம் ஏகாம்பரநாதர் கோயில் சென்றால் கோயிலுக்குள் திறந்தவெளி கழிப்பறை.

अपने को हम ऐसा बनाना है ,हम खुद गर्व का महसूस करें.
நம்மை நாமே கர்வமாக உணரும்படி நம்மை ஆக்கிகிக் கொள்ளவேண்டும்.

मंदिरों के सामने ही पेशाब करने को रोकना है.

கோயிலுக்குதிரிலேயே  சிறுநீர் கழிப்பதை தடுக்கவேண்டும்.

 पैसे हैं ,लेकिन क्या करते हैं तो विसर्जन; பணம் உள்ளது. அதை விசர்ஜனத்திற்கு  பயன்  படுத்துகிறோம்.

फिर मंदिरों के पर्वों के दिनों   बदमाशों की वसूली रोकना चाहिए;

பிறகு கோயில் பண்டிகை காலங்களில் போக்கிரிகள் வசூலிப்பதை  தடுக்கவேண்டும்.

विनायक चतुर्थी जुलुस में  पियक्कड़ अश्लीली नाच करते हैं रोकना  चाहिए;

விநாயக சதுர்த்தி ஊர்வலத்தில்  குடிகாரர்கள் அசிங்கமான நடனம் ஆடுகின்றனர்  தடுக்கவேண்டும்.
भक्ति के क्षेत्र अत्यंत पवित्र ; பக்தி மிகவும் புனிதமான  துறை.

उन्हें  जाति ,भाषा आदि के नाम अपवित्र करना ठीक नहीं;
அதை ஜாதி ,மொழி என்று புனிதமற்று செய்வது சரியல்ல.

मैं कुछ सुधार और एकता की सलाह देने पर  नरेश कुमार ने लिखा मैं मुसलमान का चमचा;

நான் சில திருத்தங்களையும்  ஒற்றுமைக்கான
ஆ லோசனையும்   எழுதினால் நரேஷ்குமார் நான் முகலாயர்களின் தேக்கரண்டி என்று எழுதுகிறார்.

यह ऐसा लगता है  बन्दर को  बया ने उपदेश दिया तो उसने उसका घोंसला नष्ट किया;
குரங்கு தூக்கணங்குருவி உபதேசம் செய்ததும் கூட்டை நஷ்டப்படுத்தியதுபோல்  தோன்று கிறது  அவர் கூற்று.

पहले अपने को पवित्र रखना है; முதலில் நாம் நம்மை பவித்திரமாக வைத்துக்கொள்ளவேண்டும்.

धुल धूसरित मंदिर ,बदबू मंदिर  --தூசி நிறைந்த கோயில் .துர்நாற்றமுள்ள கோயில் .
मैं हिन्दू हूँ ,बीस हज़ार कीसुन्दर मूर्ति को समुद्र में फेंकनेवाले हिन्दू
अपने मंदिर को कूड़ा बना रखा है;

நான் ஹிந்து; இருபதாயிரம் அழகு சிலைகளை கடலில் எரிகின்ற  ஹிந்து ,தன்னுடைய கோயிலை குப்பைத் தொட்டி ஆக்கிஉள்ளான்.

एक सच्चा हिन्दू होने से  मेरा आदर्श और कर्तव्य यह लिखने की प्रेरणा दे रहा है.
ஒரு  உண்மையான ஹிந்துவாந்தால் என்னுடைய ஆதர்சமும் கடமையும் இதை எழுத தூண்டிக்கொண்டிருக்கிறது.

इन बातों पर ध्यान कीजिये. இதில் கவனம் செலுத்துங்கள்.

ॐ  श्री गणेशाय नमः;--ஓம் கணேசாய நமஹ

  ॐ कर्तिकेयाय नमः --ஓம் கார்த்திகேயாய நமஹ

ॐ नमः शिवाय --ஓம் நமஹ  சிவாய
ॐ दुर्गायै नमः ஓம் துர்காயை நமஹ

; ॐ हनुमंताय नमः -ஓம் ஹனுமந்தாயை  நமஹ

हरे राम हरे कृष्ण--ஹரே ராம் !ஹரே கிருஷ்ணா
तेरे भक्त मूर्ति विसर्जन छोड़ उस दिन में मंदिरों को  स्वच्छ पेशाब
 बदबू रहित के वातावरण बनाने -बनवाने की सद्बुद्धि दें.

உன்னுடைய பக்தர்கள் சிலை விசர்ஜனம் விடுத்து அந்த நாட்களில் தூய்மையான சிறுநீர் நாற்றமற்ற சூழல்  ஆக்கவும்
ஆக்குவிக்கவும்  நல்ல  அறிவைக் கொடுக்கவும்.