Thursday, February 22, 2018

मूक साधना

वाह ! माली जी श्री युक्त मालीजी !
नरसिम्ह प्रहलाद !
मूक साधना में 
जगत का कल्याण 
उज्जवलित.
सूरज न चमकते तो
उदर पूर्ती असंभव
जग की ,
सूर्योदय -सूर्यास्त ,
मध्याह्न ताप
आदी और अंत
आदी में कोलाहाल ,
अस्त में मधुर चहचहाहट,
फिर चुप चुप चुप.
सूरज ! अकेले दीखता है दिन में ,
रोशनी में तारे छिप छिप.
अदृश्य पर भरोसा नहीं ,
दृश्य पर भले ही मिथ्या हो ,
सत्य जानने मूक साधना.

कुछ कही ,कुछ अनकही बातें

मन मानता नहीं 
कुमन की बात।
सुमन तो सूख जाता है।
दमन के कारण।
वामन के रूप में धोखा।
बामन के रूप में धोखा।
माया मची संसार।
कुछ कही कुछ अनकही बातें।

कलियुग में आत्म चिंतन ,

जिन्दगी जीने के लिए ,
आधुनिक युवकों में 
कलियुग में आत्म चिंतन ,
आत्मानुभूति , आत्म विश्वा आदि 
कम हो रहे हैं. 
खुद मरना , दूसरों की हत्या करना ,
प्रेम करो ,न तो तू दुसरे के लिए भी नालायक बनो ,
तेज़ाब फेंकना , बलात्कार करना,
कितना न्याय सोचिये संभ्य स्नातक -स्नातकोत्तर
युवकों! आजकल आत्म हत्या की खबरें आती हैं ,
हत्या या आत्म हत्या संदेह प्रद हो गए.
चतुर , चालाक , बुद्धिमान , प्राकृतिक शक्ति को
नियंत्रण में रखने वाले युवकों को
ऐसी दुर्बलता कैसे और कहाँ से आयी ?
शिक्षा में अनुशासन की कमी ,
नैतिक बातों की कमी ,
वेतन भोगी अध्यापकों में तटस्थता की कमी ,
शिक्षा में अंक प्रधान ,
अंक पाने आम जनता घूस देने तैयार ,
ज्ञान हो या न हो प्रमाण -पत्र सब के हाथ.
योग्यता पात्र कितने ?
एक छात्र से पूछा , पैसे देकर प्रमाण पत्र ! क्या फायदा?
कहा उसने हमारे अनपढ़ दादा की संपत्ति देखिये,
और कई पीढ़ियाँ बैठकर खा सकते.
लडकी वाले लडकी देने
दहेज़ देते हैं प्रमाण पत्र के आधार पर.
हमारी परम्परागत संपत्ति के आधार पर.
हम तो छोटे बड़े व्यापार में लगें हैं.
नौवीं कक्षा पास हो , पढाई छोड़ो ,
एक लाख दहेज़.
यों ही प्रमाण पत्र, डिग्री बढ़ाता है दहेज़.
सोचता हूँ , क्या होगा समाज .
जितने कम पढ़े लिखे हैं ,
शिक्षा संस्थान चलाते हैं ,
उनकी योग्यता केवल अमीरी.
उनसे मिलने बड़े बड़े डाक्ट्रेट प्रतीक्षा कर रहे हैं .
ऐसे समाज में जीने की राहें , उम्मीदें ज्यादा है.
सोचिये , मरना, मारने के मनोवृत्तियाँ छोड़ दें.
मृत्यु तो निश्चित , क्यों खुद मारने - मरने के विचार
ईश्वर के नाम लीजिये , आत्मविश्वास बढ़ाइए.
ध्यान कीजिये , शान्ति मार्ग अपनाइए.

पता नहीं जग में.

जिन्दगी में मान -अपमान क्यों ?
किसी से प्रेम , 
किसी से घृणा ,
किसी से त्याग ,
किसी से मोह ,
किसी से जलन ,
किसी से क्रोध
किसी से बदला
मान -अपमान की लापरवाही करके
जीना दिव्य जीवन.
ईश्वरीय अवतार में भी
अधर्म के बिना विजय नहीं.
मान-अपमान ,बदला ,क्रोध
के बगैर महाकाव्य नहीं.
स्वार्थ -निस्वार्थ के जंग में
स्वार्थ के षड़यंत्र अति सबल.
निस्वार्थ त्याग जीवन में सुख कैसे?
जग जीवन में ईश्वर की लीला
दुखमय या सुखमय ?
पता नहीं जग में.

अपनी प्रतिभा खो बैठे

देशद्रोही की बात भारतीय 
इतिहास में 
ऐतिहासिक कहानियों में 
नाटक में 
सिकंदर के आक्रमण काल से 
आज तक
भरी पडी है .
पैसे पद ख़िताब ,
ब्राह्मण सब आचार भूल बैठे ,
संस्कृत भूल बैठे
संस्कृति भूल बैठे.
नियम ,पोशाक ,खान -पान ,बदल चुके
चोटी खो बैठे .
न सिख बदला, न मुग़ल बदला , न ईसाई बदले.
हिन्दू अर्थात सनातनी
अपने आचार छोड़ बैठे.
अपनी प्रतिभा खो बैठे.

जय जवान जय किसान

जय जवान ,जय किसान
लाल देकर चले गए
बहादुर माई का लाल.
अब नदियाँ ,जीव नदियाँ
पानी के अभाव से मर रही हैं 
हरे भरे खेत सूख रहे हैं.
कारखाने की धुएँ
प्रदूषण फैला रहे हैं .
भूतल पानी भूत बन डरा रहा है.
नदियों की सुरक्षा ,
राष्ट्रीयकरण न हो तो
खेत सूख जायेंगे .
अनाज न उगेंगे .
प्यासे को पानी न मिलेगा.
सांसद -विधायकों !
मंत्रियों ! राजनैतिक दलों!
आप चले जाएंगे सदा के लिए .
देश रहेगा भूखा -प्यासा भावी पीढ़ी
तडप्पेंगी ,
जरा सोचो , देश के लिए काम करो.
मतदाता !चुनाव के समय के इनाम-पैसे के लिए
देश बिगाडनेवाले भ्रष्टाचारियों को
न दो वोट, वे हैं मतलबी.
आगे आप की मर्जी ,
देश ही प्रधान ,याद रखना .
नारा लगाओ -जोर से जय जवान , जय किसान.
नारा लगाओ - जय किसान जय जवान.
देश की सुरक्षा में रोज़ दो वीर प्राण समर्पण कर रहे हैं ,
दो आतंकी मरते हैं तो दो जवान.
ऐसी दशा बदलो, जवान न मरें, शत्रु
को ही मारें.
बोलो जय जवान , न तो देश की सुरक्षा कैसे?
— thinking about the meaning of life.

प्रार्थना

प्रातःकालीन प्रणाम.
प्रार्थना है सर्वेश्वर से
| जब तक जिऊँ,
तब तक चलता फिरता रहूँ.
तन, मन, धन की 
रहें पर्याप्त शक्ति
बुढापे में भी सेवा करने ,
सब के चाहक बनने,
सर्वस्व सुख ही सुख देखने,
संतोष मिलें, शांति मिलें,
सहर्ष कहूँ,
दैनिक निवृत्ति में
दिन दिन रहें तेरा अनुग्रह.
हेईश्वर! जब तक जिऊँ,
तब तक तन, मन, धन की शक्ति देना.