Thursday, April 19, 2018

मोहिनी अवतार

 मोहिनी   अवतार चाहिए.
  आज कल तमिलनाडु की राजनीति
  देख  मेरे मन में ख्याल आया,
भ्रष्टाचारियों को    फंसाने  चाहिए
विष्णु  का मोहिनी अवतार .
प्रहलाद वनमाली कवि ने
परशुराम अवतार की माँग की  है ,

मेरी प्रार्थना है मोहिनी अवतार .
युगानुकूल  वही खुद भ्रष्टाचारियों को
खुद  खुशी   से सर पर हाथ  धरकर
खुदकुशी से सर फोड़ देंगे .

 परशुराम तो वीर ही सही, 
परशुराम अवतार विष्णु ही सही, 
अाजकल मोहिनी अवतार की 

जरूरत है
वनमालीजी. 
परशुराम से भयभीत लोग नहीं, 
मोहिनी अवतार में फँसकर 
भयभीत लोग है ज्यादा यही. 
नाच गान के अभिनय जाल 
भस्मासुर सा सिर फटने 
फटाने तैयार, 
मासूम बच्ची से बलात्कार 
ऐसों का वध करने मोहिनी अवतार 
शिव भी मोहित अय्यप्पन का जन्म. 
ठीक है न, युगानुकूल 
मोहिनी अवतार चाहिए.
मुकद्दमा लेने न देना, 
खुद सर पर हाथ रख फट ने देना.

Wednesday, April 18, 2018

भारत की महिमा

भारत की  महिमा 

जग में जीना एक कला है,
वह कला तो अति सूक्ष्म .
पत्थर सा कठिन ,
शिल्पकार चाहिए .
श्वेत कागज़ सा साफ ,
चित्रकार चाहिए .
कीचड मिट्टी सा अरूप ,
कुम्हार चाहिए ,
इन सब में
अच्छे गुण , सोच ,विचार चाहिए .
वह पत्थर
अश्लील न बने ,
वह गोरा कागज़ में
अश्लील चित्र न खींचे
वह मिट्टी में
कुम्हार अश्लील पुतला न बानाए.
जिन्दगी एक कविता ,
अच्छे कवि चाहिए.
जिन्दगी कैसी हैं? ,
देखा जग को ,
सुमार्ग दिखाने
साधू -संत हैं ,
कुमार्ग पर ले जाने
साधू संत हैं ,
देवी-देवताओं की मूर्ती , चित्र , पुतला
बनाने वाले शिल्पकार ,
चित्रकार ,
कुम्हार हैं ,
बुरे अश्लीलता से
समाज बिगाड़ने वाले
शिल्पकार , चित्रकार ,कुम्हार हैं ,
भजन -कीर्तन -सदुपदेश के लेखक -कवि हैं ,
शैतानियत भी अधिक हैं , माया -मोह भी .
इन सब के रचयिता भगवान ने
मनुष्य में
इन सभी गुण ,सोच ,विचार ,क्षमता दी है,
लेकिन भगवान सूत्रधार ,
भारत के अधिकाँश शासकों को
अहंकारी , स्वार्थी , भ्रष्टाचारी , घूसखोरी ,
गलत मार्ग पर चलनेवाले बदमाशों के बल पर
सत्ता हासिल करने की क्षमता दी है,
सारे जहा में भ्रष्टाचारी देश के बीच
भारत को नाम मिला है
--आध्यात्मिक भूमि.
संसार को शान्ति
मार्ग पर ले चलनेवाले ,
भगवान बुद्ध का जन्म भारत में ,

सर्वत्र तजकर वस्त्र तक के
धर्म प्रचारक
महावीर भारत में ,

अद्वैत ,द्वैत ,विशिष्टाद्वैत के आचार्य
भारत में ,

कितने ईश्वर दूत भारत में
कहना मुश्किल ,
सूची बनाना बनवाना मुश्किल .
अभी भारत की तरक्की हुई हैं.
पर हर कोई भारतीय
सत्ता -शासकों से संतुष्ट नहीं ,
न्यायालयों पर विशवास नहीं .
फिर भी देश आगे हैं ,
मेरी जावानी और बुढापे की तुलना में
देश सर्व सम्प्पन्न हैं ,
यही है भारत की महिमा.

Saturday, April 14, 2018

सावधान

सावधान.
अजनबी से कुछ  न लेना देना.
लेन देन  के कारण
हम गुलामी थे.
गुलामी है.
 वोट भी देते हैं
बदमाशों को नोट लेकर.
चाकलेट  दिया,
मासूम लडकी से बलात्कार.
बेरहमी से,
आदमखोर  जानवर से भी
अधम, अत्याचारी.
कोई वकील इसके पक्ष में आता तो
उस को भी  नाग समझ,
तुरंत मारना, ब्लूग्रास वह भी अत्याचारी,
मच्छरों के बीच लिटा देना.
बिच्छुओं के बीच बिठा देना.
दंड विधान भारत में ठीक नहीं,
कठोरतम दंड देने डरते सांसद
वही तो बडा अत्याचारी,
कंस समान,
हिरण्यकश्यप  समान
भगवान को तभी
 जब अत्याचार  की चरम सीमा बढती.
पुलिस पर पत्थर मारते कश्मीर  में
सहना कितनी कायरता,
ऐसे पत्थर बाजी के समर्थक,
राष्ट्र गीत, राष्ट्र  झंडे का अपमान
कब तक सहते रहेंगे  हम.
मारो उन देश द्रोहीयों को
उन पर रहम दिखाना कायरता है.
तब तक ग्ञानी  को खुद
खुदा  बन सर काटना.
न तो कितनी मासूम आसिया है,
सत्तर साल का बूढा करता ब्याह बीस साल की लडकी से,
उसका मीडिया  में स्वागत.
रोकने कोई नहीं अमीरों को गुलाम.
लाल बत्ती क्षेत्र  का लाइन्स बंद करो.
निर्दयी शासकों क्या संयमहीन
जीविकोपार्जन  पशुपालन से भी अति न्यून. 

Thursday, March 29, 2018

प्रेम की ताकत

प्रे म  की ताकत   तख्त दिलाते.
दिल   की  बात दिलासा  देती.
दिल  की मिलन
असाध्य को साध्य बनाती.
दिल दिल में तडपता  प्रेम
दिलेरी को भी पागल बनाता.
प्रेम की ताकत प्राण देने
सन्नद्ध  रहती.

प्रेम  भगवान  के प्रति,
प्रेम देश के प्रति,
प्रेम जनता समूह के प्रति
प्रेम मातृभाषा  के प्रत
न प्रेम अस्थायी
माँस हड्डियों के् प्रति
जवानी में  संयम,
बुढापे में जवानी,
संतोष.  शांति

Tuesday, March 27, 2018

प्रेम पत्र

प्रेम  पत्र
भगवान  के नाम
माता पिता के नाम
कोई किसी पर नहीं शिकायत.
पड़ोसिन पडोसी  के नाम
पत्र कितना  भाव, कितना मनोविकार.
प्रेम पत्र गुस्सा  होने के लिए नहीं,
प्यार पाने को लिए,
चंद घडी के लिए  नहीं,
शाश्वत बंधन के लिए.
न मुझे ऐसा मौका न मिला,
माँ बाप द्वारा वह वैवाहिक आनंद.
किया सचमुच  प्रे म पत्र के बंधन में है,
पता नहीं.
माता पिता द्वारा बंधन,
कितने नाते रिश्ते
कितने प्यार, कितना  अाशीरिवाद.
पर प्रेम पत्र  विवाह  कितनों. का निंदा,
बडों की वेदना, बददुआ,
कैसे मिलेगी शांति, संतोष, आनंद.

Thursday, March 22, 2018

महावीर जयहिंद चेंबगारामन

 तमिलनाडु के   महावीर चेंबगारमण    पिल्लै


 भारत की स्वतंत्रता संग्राम में  तमिलनाडू आगे रहा. तत्कालीन स्वतंत्रता सेनानियों का  परिचय देना हर
भारतीय देश भक्त का  कर्तव्य है. देश की आजादी  आसानी से नहीं मिली. कई लोगों ने अपने  प्राण त्यागे.

देश की  आजादी ही उनका प्रधान लक्ष्य रहा. ऐसे शहीदों  में जय हिन्द चेन्बगारमन ,महावीर चेंबगारामन से


प्रसिद्ध  शहीद की जानकारी  देना ही इस लेख का  उद्देश्य है, जिसे लिखने की प्रेरणा  निस्वार्थ सेवक श्री


तमिलनाडु   हिन्दी अकादमी  के अध्यक्ष ,जैन विद्या शोध  प्रतिष्ठान के महासचिव डा . श्री एस .कृष्णचंद चोरडिया
द्वारा मिली.  उनके प्रति मैं  आभारी हूँ.


      चेन्बगरामन    विदेश में रहते हुए   भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में ठोस काम  किया था. आपका जन्म १५ सितम्बर १८९१ ई.  में तिरुवनन्दपुरम के निकट पुत्तन विल्लै नामक गाँव में हुआ .आपके पिता  का नाम चिन्न स्वामी पिल्लै था और माता का नाम नगम्माल था.उनके पिता पुलिस  विभाग में चौकीदार थे.

चेन्बगम  पिल्लै  बचपन से ही लाठी चलाना (शिलाम्बम ) और  तलवार चलाने में सिद्धहस्त निकले.

उनकी पाठशाला की शिक्षा   तिरुअनंतपुर के राजा कालेन में  और उच्च शिक्षा इत्ताली और जर्मन में हुईं.
वे  यूरोप के कई भाषाओं के  पंडित थे. बर्लिन कालेज  में इन्जनीरिंग की पढाई की.

जब वे   छठवीं फार्म  (आज कल की दसवीं कक्षा ) पढ़ रहे थे , तब  बालगंगाधर तिलक, महाकवि भारती ,व.उ .


चिदबम्बरम   पिल्लै आदि नेताओं ने जोर दार से भारतीय  आजादी की क्रांती शुरू कर दी. उन सब के प्रोत्साहन   

के  द्वारा   चेंबगारामन  ने भारत माता युवक  संघ की स्थापना की .वन्देमातरम का नारा लगाया.
उन्होंने  ही पहली बार  “जय हिन्द “ का  नारा लगाया. अंग्रेज़ी सरकार  की जांच नज़र उनपर पडी.

उस समय  सर वाल्टर विल्लियम   नामक जर्मनी जासूसी भारत आये.  उनसे मिलकर अंग्रेजों की कार्रवाई  पर ध्यान देने लगे| वाल्टर विल्लियम  की सहायता से वे जर्मन चले गए.

जब   चेंबगारामन स्विट्ज़रलैंड  में छात्र थे, तभी उन्होंने वहाँ   प्रवासी भारतीयों को इकट्ठा करके
अंग्रेजों के अत्याचार की व्याख्या की. रूस .चीन  आदि देशों की यात्रा करके वहां के भारतीयों में
आजादी के महत्त्व को समझाया.

जर्मन भी अपने स्वार्थ के कारण  चेंबगारामन की सहायता की . चेंबगारामन  ने काबुल में अंग्रेजों के विरुद्ध

अपने  राज्य चलाने  की योज़ना बनायी.   राजा महेंद्र प्रताप को  अधिपति बनाया और मौलाना बरकत को  राजा बनाया. खुद वे विदेशी मंत्री  बन गए.

प्रथम विश्व युद्ध  में जर्मन ने एमिटन  नामक पनडुब्बी का इस्तेमाल किया. इसका जहाज अभियंता  चेंबगारामन ही थे .
हिटलर  और चेंबगारामन का  निकट संपर्क था. एक बार  हिटलर ने कहा --भारतीय गुलामी  में रहने ही लायक

है. भारतीयों  में शासन करने की क्षमता नहीं. यह  सुनकर देश भक्त चेंबगारामन क्रोधित  होकर बड़ी कुशलता से हिटलर से तर्क किया.  अंत में हिटलर ने माफी माँगी. हिटलर के सामने बोलने सब  लोग डरते थे.
चेंबगारामन की साहसी से  सब हैरान थे.

नाजिक  लोगों को  अपने नेता का  माफी माँगना अच्छा न लगा. उन्होंने चेंबगाराम  ओ विष पिलाकर मारने की कोशिश की. चंद दिनों के  इलाज के बाद जरा चंगा हुए तो नाज़िकों ने मरकर घायल किया. फिर  शय्याशायी होकर २६ मई 1९३४ सदा के लिए आँखें बंद कर लीं.

उन्होंने अपने  वसीयत में लिखा  था-- उनकी म्र्य्तु के  बाद उनके भस्म को अपनी माँ   के भस्म विसर्जन की नदी जो तिरुवानान्दपुरम  में बहती है ,वही विसर्जन करना चाहिए. बाकी भस्म को   नान्जिल देश के खेतों में छिड़क देना चाहिए.

उनकी पत्नी झांसी  ने तीस साल तक उस भस्म को सुरक्षित रखा. जब वह भारत  आयी ,तब १९६६ को अपने पति की विरासत के अनुसार विसर्जन किया  और खेतों पर छिडकाया.

 आज शहीदों  का दिन २३ मार्च है. उस दिन में उनकी श्रद्धांजलियाँ  समर्पित हैं.
ऐसे  शहीदों  की जीवनी पढना, उनका अनुयायी बनना ही  उनके प्रति हमारी श्रद्धा होगी.

प्रार्थना

मेरी प्रार्थनाएँ
  सुनो भगवान!
भाग्यवानों  को
 सब कुछ  देते हो.
ऐसी बात नहीं,
पापियों के भी
जीने का अवसर देते हो.
मेरी बुद्धि  तूने जो दी,
 समाज से दूर से चलती.
सत्य मानते हैं दिल से,
पर कटु सत्य कहते हैं.
सत्य में भी मधुर कटु
सद्यः फल  मिलना
सत्य जावकर भी तालमेल बिठाना.
सदा फल मिलने,
कटु सत्य ही संतोष प्रद.
शांतिप्रद.
अतः लौ किकता  छोड,
अलौकिकता  अपनाकर
तेरे आश्रय में मन लगाकर
बैठा हूँ, आश्रयदाता  तू है.
जैसा चाहो, वैसा नचाओ.
 मैं हूँ  तेरी सृष्टि. तेरी संतान.