Sunday, May 20, 2018

प्रेम

எப்படி,  कैसे?
இப்படி. ऐसे?
அப்படி  वैसे?
என்றா லு ம்  जो भी हो,
நம்  எண்ண ப்படி   हमारे विचारानुसार,
மன சாட்சி ப் படி  मनःसाक्षी के अनुसार
நடந்தா லு ம்  चलने पर भी
வி தி ப்படி   विधि के मुताबिक  ही
பலன். फल  मिलेगा.
இறை வன்..  ईश्वर
தரு ம்  பலன்.  जो  फल देता है,
ஒன் றே    वह एक ही है.
இன்னல்  தீ ர் த்து  संताप मिटाकर
 இன்பம  தரு ம்.  सुखप्रद है.
இறை வ னு க் கு ம் ईश्वर और
இறையன்ப னு க்கு ம்  भकत के बीच
கா தல் ஏற் பட வே ண்டும்.  प्यार होना चाहिए.
காதலர்கள் நடு வி ல்   प्रेमियों के बीच
இடை த்தரகர்  வே ண் டு மா? क्या दलाल की आवश्यकता  है?  नहीं.

Saturday, May 19, 2018

बंधन

इसका हिंदी  अनुवाद.
माता पिता  रखे सुंदर नाम भी,
प्राण पखेरू उडने  के बाद
शव को नाम भी पाता.
नये पसंद के कपडे भी
 फटे कपडे का नाम पाता.
मेहनत की संपत्ति  भी
वारिस का बन जाता.
मिलकर रही पत्नी या पति
 क्या मरने के बाद साथ ही मरते?
मेहनती शरीर लाश बनकर पडा है .जिन लोगों ने कहा-प्राण दूँगा,
लाश के सामने गूँगा बन खडा है.
जिनको  अपना माना, वे पराये बन गये.
नाता रिश्ता सब अब छोड गये बंधन.
भगवान के दिये शरीर में न कोई नाता रिश्ता. हम सब केवल
चंद समय के राहगीर मात्र.
ऊँ नमः शिवाय नमः शिवाय नमः 

पानी

पानी  बिना सब सून.
मनुष्य जीवन अंत,
वनस्पति जीवन अंत
पशु पक्षी  अंत.
नदी वाला शून्य

धरती में फरारें पड जाती.
पानी देना ,पानी फेरना, पानी  रखना
पानी चले जाना, जीभ में पानी का लार टपकना,
 बिन पानी  सब सून
पानी गये न भरे मोती मानुस सून

भक्ति

भले ही भगवान हो,
 ज्ञान  के प्रकाश  फैलाता है.
भरोसा श्रद्धा -भक्ति
अपने आप  जगना है.
भगवान असुर  को भी वर देता है.
भक्तों के भी.
पागल, अंधे,बहरे, लूले- लंगडे
इत्तिफाक से मनुष्य  को बुद्धि  दी है,
 एक  छापेखाने के मालिक  ने अपने  लाभ के लिए  अफवाहें फैलाई कि 200नोटिस  छपकर बाँटो,
मालामाल हो जाओगे,  भगवान के
प्रत्यक्ष दर्शन मिलेंगे.
देखा, छापाखाने का मालिक
मालामाल बन गया.
 भक्त प्रहलाद, ध्रुव, भक्त त्याग राज, रमण महर्षि, महावीर, बुद्ध, नानक, मुहम्मद, ईसा देखिए.
केवल भक्ति की, धर्म कर्म अपनाया.भगवान का नाम जपो,
मनो कामनाएँ पूरी होंगी. बाकी सब मिथ्याडंबर  की भक्ति है.

Friday, May 18, 2018

नव लेखक शिबिर का प्रभाव


पुदुच्चेरी  में   पुदुच्चेरी हिंदी साहित्य  अकादमी ,

  केन्द्रीय निदेशालय दोनों

मिलकर    नव  लेखक शिबिर  का  प्रबंध किया.

उसमें    भाग  लेने  का सुअवसर  मिला.

यह  मेरे लिए  पहला  शिबिर  था.

मैं      सोच  रहा  था कि  ६८ साल की उम्र  का

दिलतल     का युवक  मैं ही हूँगा.

पर वहां   श्रीमती चेल्लं, चंद्रा ,वासुदेवन , कल्याणी  जैसे
मुझसे    बड़े बहनों का ,  वासुदेवन जैसे साठ साल  के छोटे भाई का
मधुर      मिलन  हुआ.

आये नवयुवकों  में से  श्रीमती चेल्लम जी, चंद्राजी  के सक्रिय  भाग ,
 परिश्रम ,उत्साह देख मुझे लगा , मैं तो निष्क्रिय  हूँ.
उन्होंने  हिंदी किताब आर्थिक लाभार्थ नहीं ,
साधक     के  रूप  में    प्रकाशित किया  है.

मेरे     ब्लॉग लेखन  का  उन्हें  पता  ही नहीं.

 शिबिर   की प्रतिक्रिया :-
 
भला      मेरी   उम्र  बड़ी ,
मन में   जो  विचार  आते,
जिन्हें  मेरा  मन  माना ,
उन्हें    अपनी हिंदी ,अपनी शैली , अपने विचार
अपना     स्वतंत्र   प्रकाशन
यों      ही  लेखनी  दौडाई.
उनमें    कितनों  ने  प्रशंसा  की ,
कितनों   निंदा की ,
कित्नोने ने समझा  पागल ,
कितनों   ने  समझा चतुर
पता       नहीं ,
मेरे     ब्लॉग  नव  भारत टाइम्स  में
आ  सेतु  हिमाचल, मतिनंत  के  नाम  से ,
राम्क्री  सेतुक्री.ब्लॉग स्पॉट  के  नाम से ,
तमिल-    हिंदी संपर्क ,anandgomu.ब्लॉग स्पॉट .कॉम
स्पीकिंग ट्री  इण्डिया टाइम्स  में
अनूदित,   स्वरचित ,नकल की  रचनाएँ
लिखता     रहा हूँ ,
किसी      का  बंधन  नहीं ,
विश्व    भर के एक लाख लोग
न जाने   सरसरी नजर  से    देख  रहे  हैं ,
या  पढ़   रहें   हैं  पता  नहीं ,
चाहक     की  संख्या  से ,
संतुष्ट  रहा,
११-५-  १८   से  १८.५ .१८  तक के   आठों  दिनों  में
मेरे     अष्ट वक्र  विचार,
लेखन      शैली  में  ,
कितनी    गलतियां  हैं ,
कितनी    श्रद्धा  हीनता  है,
 यह       सोचकर  लज्जित  हूँ.

शिबिर    की   प्रक्रिया  जो   कहूं ,
जितना    भाई   चारा   बंधुत्व  मिला,
जितनी    अधिक  प्रेरणा   मिली ,
प्रोत्साहन मिला ,
वे       वर्णनातीत  और शब्दों  से  परे
अनुभूतियात्मक   हैं.
 पुदुच्चेरी   हिंदी  साहित्य  अकादमी  के  अध्यक्ष
श्री      श्रीनिवास गुप्त जी, ,श्री जयशंकर बापू जी , सचिव    चेंदिलकुमरन जी ,
 व्यवस्थापिका समिति के सदस्या मुरली जी , राधिकाजी

केन्द्रीय निदेशालय  के    निदेशक  अश्विनी कुमार  जी ,
सहायक निदेशक
 गांधारी पांके जी, , मार्गदर्शक  त्रिदेव   डाक्टर  श्यामसुंदर पांडे जी ,
प्रत्युष गुलेरी जी ,डाक्टर   राधाकृष्णन जी   आदि  का मार्ग   दर्शन  मिला.

शिबिर    की   यादें हमेशा  हरा रहेगा,

मैंने     कहा -- यह हरियाली  हमेशा हरी  रहेगी .
तब -गुलेरीजी  ने  कहा --  घरवाली ,
मैंने    कहा -
वसंत     वसंत   है    सदा ,
सताने    की  गर्मी  है कभी -कभी ,
वर्षा     है , शीतल  है, पतझड़  है ,
छह  ऋ तुओं  का चक्कर   है

सुनकर    पांडे  जी  ने   कहा ,
यह  तो   यह   कविता   बन   गयी.

इन   मधुर  स्मृतियों   के   साथ
चेन्नई   पहुंचा.  सधन्यवाद.

परिवर्तन


  मीनू,मीनू  --नानी   ने  नाम  लेकर  चिल्लाया.

 मीनू बाहर  खेल  रही  थी .  उसकी  उम्र  ८- १०  साल  की   होगी .

नानी   ने   कहा --आओ ,जल्दी बाहर  के  शहर   जाना  है.

   मीनू  ने  देखा,भोले -भाले  चेहरे .नानी  कहा , कल  तेरी शादी है.

  माँ-बाप  ,उसके  दो  बड़े  भाई,एक छोटा  भाई ,नानी  सब  बैल-गाडी में

निकले.  नानी  पास  के  शहर गयी थी ;
वहां   मंदिर  में अपने  रिश्तेदार  को  देखा.
रिश्तेदार ने  कहा कि  कल   मेरी  बेटी की    शादी   थी.
 क्या तेरे जान-पहचान  में  कोई लडकी  है?

नानी को अपनी  पोती  की  याद  आयी.  तुरंत   शादी पक्की  हो  गयी.
नानी ने कहा --वर अमीर घर का  है.
वर  सिनेमा   हीरो  की   तरह  रहेगा.

गाडी  सीधे विवाह मंडप  में रुकी.

 नादान  लडकी से सब ने  प्यार  की वर्षा  की. उसको नयी  सादी पहनाई.
गहनों से अलंकार किया.  न  वर  ने वधु  को   देखा ,न  वधु  ने  वर को.

 मीनू    की  माँ  ने उससे  कहा-- मीनू,वर   पास  बैठो. मीनू  सीधे  नंदोई के  पास बैठी.

ननदोई  ने तो उसकी गोरी ननद को  पहले  ही देखा है. अपने  पास दूसरी नयी लडकी को  देख   उठ गया.  ऐसे  अचानक शादी बिना वर देखे हुयी. अब साठ  साल    गए.

मीनू को  सारी   यादें  आ  रही   थी.
तभी  किसीने  पुकार की घंटी बजायी.
जाकर दरवाजा खोला.   तो  उसकी  पोती एक  लड़के  के  साथ आयी. दोनों के  गले  में फूल  माला   थी. दोनों रिजिस्टर मेरेज  करके आये  हैं.
न नमस्कार ,न सूचना. सीधे दोनो   कमरे  में  चले  गए.
 पोती  ने  दादी माँ   मीनू   से  कुछ  न  कहा.
मीनू  ने  अपनी  बेटी  को  बुलाया- रोटी हुयी  कहा -- पोती बिना  बताये  शादी  करके  आयी  है.
बेटे  पर  इसका कोई असर  न  पड़ा. क्या करूँ   माँ ,
मुझे मालूम  है. वह तो जिद्दी लडकी  है. स्नातकोत्तर है.
महीने एक लाख  ऐ.टी. कंपनी में  कमाती  है..

अब  लाखों रुपयों  की  शादी  का  खर्च  कम.
मुफ्त में  विश्वस्त ड्राइवर.

उसको विश्वसनीय ड्राइवर चाहिए. उसने आठवीं   पढी, आटो  ड्राइवर से  प्रेम किया. ड्राइविंग लैसंस भी दिलवाई.
 अब कल से  अपने पति ड्राइवर के   साथ       दफ्तर  जायेगी  और   घर  आएगी.
आमदनी    की  कमी  नहीं  है.

  ज़माना  बदल  गया. सब स्नातक- स्नातकोत्तर.

भारतीय  संस्कृति में  इतना  बड़ा  परिवर्तन.

मीनू को  न सूझा, पछताना  है  या  आनंद मनाना  है.

Thursday, May 17, 2018

पाश्चात्यीकरण

हमारे पूर्वज कितने चतुर
 और मानव जीवन की शांति  के लिए  जीवन को
बहुत आनंदमय, त्यागमय
मार्ग दिखाया.

तेरह साल की उम्र में शादी.
 सम्मिलित परिवार.
त्यागमय   जीवन.
संयम की सीख.
 ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास.
पतिव्रत, पत्नी व्रत का महत्व.
 आजकल संयम नहीं,
संभोग का महत्व देकर
प्रेम  का महत्व देकर
जनसंपर्क के साधन,
युवक कुत्तों की तरह
प्रेमिका की तलाश में.
न संयम, शादीसुदा
युवक के मन में चंचल,
युवतियों के  मन  मेंचंचल,
न नियंत्रण,
सार्वजनिक स्थानों में
चुंबन, आलिंगन,  यहाँ तक
दोपहर के समय
समुद्रतट पर स्तन पकडकर काम लीला,
पाश्चात्यीकरण
 मनको प्रदूषित कर रहा है.
तन   सुख में पति बदलने
तैयार युवतियाँ-युवक,

गैर प्रेम में पति पत्नी
 एक दूसरे को
 छोडने
मारने तैयार.

पत्नी पति को मारने तैयार.
तलाक  तलाक के मुद्दों की बढती,

प्रेमी या प्रेमिका  न मिलें तो
तेजाब  फेंकना, हत्या करना,
आत्महत्या कर लेना,
पाश्चात्यीकरण
 हमें पशु तुल्य
जीवन की ओर
ले जा रहा है,
कौन समझाएगा इसे.
समाज हित
 हमें संयम की बात
भारतीय  जीवन शैली
विदेशियों के आने के
 पहले जो थी,
उनका प्रचार करना है,
 जितेंद्र  बनना बनाने बनवाने की
सीख
 सिखाना है,
भारतीय  भाषाओं  के नीति ग्रंथ
जो धूल दूषित हैं,
इनमें युवकों में अति प्रचार करना है.