Sunday, September 27, 2020

 संस्कृति 

संस्कृति भारतीयों की
अति निराली।
सत्याचरण आध्यात्मिक भय।
वैज्ञानिक सीख के पीछे भी
ईश्वरीय भय।
नाखून न काटो,ईश्वर गुस्सा होंगे।
गुरु भक्ति,सम्मिलित परिवार।
तड़के उठना,ठंडे पानी में नहाना।
ईश्वर वन्दना आता पिता गुरु देव।
वसुदेव कुटुंबकम् ,जय जगत।
त्याग मय अहिंसात्मक जीवन।
चरित्र गठन।
संस्कार देना संस्कृति,
सम्मिलित परिवार।
भारतीय संस्कृति सम भारतीय संस्कृति।
पाश्चात्य संस्कृति में सम्मिलित परिवार नहीं
संस्कृति।कृति में संस्कार लाना।
आधुनिक भारत में
संस्कृति गंगा घाट में ।
बाकी सब में मिलावट।
वेद मंत्र पठन भक्ति
भारतीय संस्कृति के लक्षण।।
स्वरचित स्वचिंतक। अनंत कृष्णन।

 उम्मीद

उम्मीद है पैसे के बल है तो
न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी
सब प्राप्त होगा। ------लक्ष्मी विशवास। लक्ष्मी पुत्र
उम्मीद शिक्षा और ज्ञान पर हो तो
न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी और मनोकामनाएँ पूरी होगी। -सरस्वती पुत्र।
भाग्य पर उम्मीद हो तो
चुपचाप रहने पर भी तीनों मिलेगा। --भाग्यवान।
भाग्य है,लक्ष्मी है ,सरस्वती है ,शक्ति है पर
शान्ति नहीं है ,उनकी उम्मीद भगवान पर है।

हिंदी  व्याकरण परिवर्तन 


 एक भाषा जब अपनी परंपरागत शैली से नई

शैली अपनाता है,तभी विकास होती है।
तुलसी सूर कबीर मीरा रहीम की शैली अब नहीं।
भाषा परिवर्तन शील है।
कर का भूतकाल रूप
किया,किए की कीं।
अब करा,करी का प्रयोग चलता है।
लिया लिए ली लीं नहीं बदला। लेया, लेयी का प्रयोग
पी पिया पिये पियी
देया/देयी का प्रयोग नहीं।
पिओ पी इये का प्रयोग नहीं ।
दे ओ, देइए का प्रयोग नहीं।
ऐसे परिवर्तन भी कालांतर में होगा जिससे
विशेष अपवाद की कठिनाई से बच सकते है।
वैसे ही ने नियम।
ने नियम के न होने पर हिंदी और भी आसान।
सोचिए।
स्वचिं तक - अनंत कृष्णन, चेन्नै।

Friday, September 25, 2020

 धर्म  मानव धर्म 

किसान बनकर अगजग की भूख मिटाना। 

साधू बनकर सदुपदेश ,

गुरु बनकर अज्ञानान्धकार मिटाकर अनंतेश्वर से मिलाना। 

व्यापारी बनकर आवश्यक पदार्थों की बिक्री। 

पेशेवर बनकर उपयोगी कला। 

उद्योगपति बनकर बेकारी दूर करना। 

ईश्वर की सूक्ष्म ज्ञान ,

अगजग की व्यवस्था ,

एक की क्षमता दुसरे को नहीं ,

हरफन मौला जग में कोई नहीं।

शारीरिक  बल है तो बुद्धि बल कम। 

आर्थिक बल तो अन्य बल कहाँ ?

एक दुसरे से आश्रित वही 

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि। .

स्वरचित -स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन


नाच न जाने  आँगन टेढ़ा। 

आँख का अँधा नाम नयन मुख। 

पेशे का भिखारिन नाम लक्ष्मी देवी। 

यही अगजग  का व्यवहार। 

पाप  का अवतार ,नाम पुण्यमूर्ति। 

बहाना बनाने एक लोकोक्ति 

अज्ञानता पर पर्दा ,

परीक्षा का डर ,नीट का विरोध।

चार लाख योग्य प्रशिक्षित अध्यापक 

तमिलनाडु में परीक्षा दी ,३६५ उत्तीर्ण। 

नीट परीक्षा विरोधी। 

यही नाच न जाने आँगन टेढ़ा।

स्वचिंतक स्वरचित  एस.अनंतकृष्णन

  आँधियाँ

          2. गम की बरसात

          3. जिंदगी की धूप

नमस्ते।  वणक्कम ! तमिलनाडु के हिंदी प्रचारक 

१९६६-६७ --आँधियाँ  चली तमिलनाडु में ,

         कौन-सी आँधी  हिंदी विरोध की आँधी। 

         कालेज -स्कूल के छात्र सत्ता पकड़ने अस्त्र -शस्त्र  बने 

        निर्दयी राजनीती कुर्सी पकड़ने आंदोलन की चरम सीमा 

        रेल जले ,बसें जली ,पुलिस की गोलियों के शिकार बने 

       गम की बरसात ,लाठी का मार.

       बस ,चुनाव में ईमानदार नेता हार गए ,

      राष्ट्रीय चेतना को लेकर आंधी समाप्त।

     प्रांतीय द्रमुक दल ,फिर अण्णा द्रमुख दल। 

     तभी मैं  हिंदी प्रचार में लगा.

      हर चुनाव के समय यह आंधी आती ,

       आँधी  के बीच या बाद ऐसे नहर-नाले -नदी 

        हिंदी के स्वाद लेकर बही ,

       द्रमुक नेता अपने वारिश को 

     सांसद - मंत्री बनाने हिंदी सीखी ,

    पर  जनता को सीखने नशीन देते। 

     संस्कृत का विरोध ,पर उनके दाल का चिन्ह "उदय सूर्य।

 अब ऐसी आँधी  की प्रतीक्षा में ,

  जिससे उनके छद्म वेश /दुरंगी चाल का मुखड़ा उड़ जाएँ।

  आँधी  से हानी पर भला होती ही है। 

  अब सारे दक्षिण में तमिलनाडु में ही 

  बिना केंद्र के या राज्य के समर्थन बिन 

   दो लाख से ज्यादा जनता की प्यारी बन गयी हिंदी।  हिंदी !

एस। अनंत कृष्णन ,चेन्नै। 


गम की बरसात 

  तमिलनाडु में देव विरोध के गम की बरसात। 

   हजारों मूर्तियाँ  ई। वे.रामसामी नायक्कर की 

  भगवान नहीं के नारे के साथ.

   भगवान कहनेवाला अयोग्य ,

   भगवान को माननेवाला बेवकूफ। 

    अंग्रेज़ी  पढ़ेंगे भले ही तमिल माध्यम के स्कूलों का बंद  हो। 

     हिंदी के विरुद्ध प्रांतीय दलों का नारा।

     उनके साथ राष्ट्रीय दल कांग्रेस।

     अब भारतीय जनता की शिक्षा नीति के विरुद्ध ,

      किसान सुधार बिल के विरुद्ध वर्षा।

      यही  तमिलनाडु में  गम की बरसात।

जिंदगी धूप। 

ईश्वर की लीला या मानव के पाप। 

पता नहीं कोराना  का मरुभूमि धूप। 

अस्पतालों में दिवा लूट ,

व्यवसायों में मंद ,शिक्षालय बंद। 

टैक्सी वालों का लूट ,सरकारी यातायात बंद.

मनमाना दाम ,पुलिस का कठोर व्यवहार।

जिंदगी धूप  अति गरम ,

कब होगा ठण्ड पता नहीं।

सर्वेश्वर से प्रार्थना ,धुप को ठंडा करें। 

करना का दहकता धूप मिट जाएँ। 

स्वरचित -स्वचिंतक -एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै

 मार्गदर्शक सोच बदलते हैं,

मार्ग तो एक,वहीं निष्काम जीवन ।।

जो मिलेगा  मिल ही जाएगा,जो न मिले गा ,लाख प्रयत्न पर भी मिलता नहीं।

सिद्धार्थ बुद्ध बने,मनुष्य के बुढापा,रोग, मृत्यु जिसके कारण राजमहल त्यागे अपने मंजिल न पहुंचे। 

यही जीवन । रोग बुढ़ापा मृत्यु सूक्ष्म शक्ति मानवेतर शक्ति। 

विद्वत्ता ,पैसे ,पद ,नालायक है ईश्वरीय सुनामी के सामने। 

ईमानदारी ,सत्य ,अहिंसा ,परोपकार इंसानियत ही जीवन। 

एस। अनंतकृष्णन ,चेन्नै। 8610128658 mobile 


उम्मीद 

  उम्मीद है पैसे के बल है तो 

   न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी 

    सब प्राप्त होगा। ------लक्ष्मी विशवास। लक्ष्मी पुत्र 

उम्मीद शिक्षा और ज्ञान पर हो तो 

न्याय ,उपाधि ,घर ,नौकरी  और मनोकामनाएँ पूरी होगी। -सरस्वती पुत्र। 

भाग्य पर उम्मीद हो तो 

चुपचाप रहने पर भी तीनों मिलेगा। --भाग्य…

[12:22 PM, 9/25/2020] Ananda Krishnan Sethurama: धर्म  मानव धर्म 

किसान बनकर अगजग की भूख मिटाना। 

साधू बनकर सदुपदेश ,

गुरु बनकर अज्ञानान्धकार मिटाकर अनंतेश्वर से मिलाना। 

व्यापारी बनकर आवश्यक पदार्थों की बिक्री। 

पेशेवर बनकर उपयोगी कला। 

उद्योगपति बनकर बेकारी दूर करना। 

ईश्वर की सूक्ष्म ज्ञान ,

अगजग की व्यवस्था ,

एक की क्षमता दुसरे को नहीं ,

हरफन मौला जग में कोई नहीं।

शारीरिक  बल है तो बुद्धि बल कम। 

आर्थिक बल तो अन्य बल कहाँ ?

एक दुसरे से आश्रित वही 

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि। .

स्वरचित -स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन