धर्म मानव धर्म
किसान बनकर अगजग की भूख मिटाना।
साधू बनकर सदुपदेश ,
गुरु बनकर अज्ञानान्धकार मिटाकर अनंतेश्वर से मिलाना।
व्यापारी बनकर आवश्यक पदार्थों की बिक्री।
पेशेवर बनकर उपयोगी कला।
उद्योगपति बनकर बेकारी दूर करना।
ईश्वर की सूक्ष्म ज्ञान ,
अगजग की व्यवस्था ,
एक की क्षमता दुसरे को नहीं ,
हरफन मौला जग में कोई नहीं।
शारीरिक बल है तो बुद्धि बल कम।
आर्थिक बल तो अन्य बल कहाँ ?
एक दुसरे से आश्रित वही
परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि। .
स्वरचित -स्वचिंतक एस। अनंतकृष्णन
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