Friday, September 18, 2020

 नमस्कार।

     शीर्षक :--कल का सूरज किसने देखा। 

कल का सूरज कौन देखेगा ?

जो बीत गयी ,बात गयी। 

जो बीतेगा ,पता नहीं। 

आज के सूरज की रोशनी में 

भूत को भूलो ,वर्तमान में संचय करो। 

कल के सूरज की चिंता नहीं ,

वर्तमान सोओगे तो 

कल के सूरज देख नहीं सकते। 

कल के सूरज देख नहीं सकोगे।

कल पाठ  न  पढ़ा ,कल पढ़ूँगा। 

कल दूका न  न खोला ,कल खोलूँगा। 

न कोई लाभ। आज पढ़ना है।

 आज दूकान खोलना है। .

तब कल के सूरज किसीने देखा कि  चिंता क्यों ?

तब कल के सूरज कौन देखेगा कि  चिंता क्यों ?

वर्तमान सही है तो सदा के लिए सूरज की रोशनी।

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