वाह !असर!
नौकरी मिलीबढिया,
संपत्ति की कमी नहीं,
शांति नहीं मिली अब,
एलकेजी आरक्षण,
अभी से चैन नहीं मिली!
पति पत्नी दोनों की कमाई,
क्रेडिट कार्ड से दब गई
बेचैनी की सीमा नहीं,
पाँच प्रतिशत भरते रहे
बैंक तो संतोष
मूल धन तो जैसे के वैसे!
यही आधुनिक जिंदगी!
स्वरचित एस.अनंतकृष्णन
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