Sunday, September 13, 2020

 नमस्ते वणक्कम

अगजग सत्यदेव की देखरेख में!

सीना तानकर चलते हैं सत्यपालक

सिर झुक छिप छिप छलते हैं असत्य पालक!

सत्यदेव की सज़ा अति सूक्ष्म!

समझकर भी मानव 

सद्यःफल के लिए

अधर्म अपनाकर 

अनंत सुख सागर में है मानव!!

स्वरचित अनंतकृष्णन

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