जीवन /जिंदगी।
नमस्कार। वणक्कम।
जी वन है तो सुन्दर नंदवन जिंदगी।
जिंदगी झाडी हो तो वन में सन्यासी जीवन।
ज़िंदा आतंकित मनुष्य की जिंदगी
अति वेदना ,सिद्धार्थ राजकुमार को
वन में जीवन अति ज्ञानप्रद।
जी वन जैसा होने पर
अर्थात जी में खूँख्वार विचार।
लोभ ,काम अहंकार हो तो
वनजीवन मानव जीवन।
नाना प्रकार के वन जीव के भय।
वही जी में तीर्थंकर हो तो
घने वन आदमखोर पशु ,हिरन
एक ही घाट पर पानी पीते।
संकीर्ण तंग मय माया भरा जी
शांत संतोष चैन भरा जीवन। .
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन।
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