नमस्ते।
नव विचार ,नव चिंतन ,नव आशा
नव भारत का निर्माण।
सुविचार सुख देता है तो बाद विचार बेचैनी।
सुखप्रद कर्म कर सुफल जरूर।
सिरों रेखा लिखकर जन्म ,बदलना ईश्वर ही जान.
गुरु भक्ति से ईश्वर मिलान ,पर सद्गुरु की खोज कर.
धन प्रधान आश्रम आचार्य सही ,
पर फुटपाथ पर भी अर्द्धनग्न सिद्ध पुरुष।
मुफ़्त में देते सलाह ,सत्यता बताते।
धन प्रधान ही ईश्वर अनुग्रह नहीं ,
मन पवित्र तन पवित्र।
दान धर्म ध्यान काफी।
हज़ारों साधू भारत में
बचाते हैं अपने ध्यान से।
अत्याचार बढ़ते तो देखते हैं प्राकृतिक कोप.
धन से बढ़कर ईश्वरी तांडव शक्ति जान.
शान्ति संतोष ईश्वरीय सूक्ष्म शक्ति
न माया मोह स्वार्थ विचार।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ध्यान प्राणायाम
मनो अभिलाषा पूरी होने का मूल.
स्वचिंतक अनंतकृष्णन
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