Friday, September 18, 2020

  बेशर्मी

विचार निकले मेरे।

बेशर्मी

  नमस्कार।

 हर पांच साल में 

एक महीना  नमस्कार 

बेशर्मी नमस्कार।

वही। वादा पिछले चुनाव का

परिवर्तन हज़ार रुपए नोट खोटा।

दो हज़ार बढ़ गए वोट का दाम।

बेशर्मी मत दाता देश के 

भ्रष्टाचार  से बढ़कर 

दो हजार तत्काल मिलते ही

अपने बेशर्मी वोट देता

उसी बेशर्मी मत दाता को

बेशर्मी अध्यापक अंक देता 

छात्राओं को पैसे लेकर

जैसे वैश्या अंग बेचती।

बेशर्मी मतदाता,बेशर्मी अधिकारी,

बेशर्मी शिक्षालय बेशर्मी न्यायालय।

जो भी हो ईश्वर देता सब को

आगे पीछे मृत्यु दण्ड।।

स्वरचित,स्वाचिं तक

एस.अनंत कृष्णन चेन्नई

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