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Sunday, September 27, 2020

हिंदी  व्याकरण परिवर्तन 


 एक भाषा जब अपनी परंपरागत शैली से नई

शैली अपनाता है,तभी विकास होती है।
तुलसी सूर कबीर मीरा रहीम की शैली अब नहीं।
भाषा परिवर्तन शील है।
कर का भूतकाल रूप
किया,किए की कीं।
अब करा,करी का प्रयोग चलता है।
लिया लिए ली लीं नहीं बदला। लेया, लेयी का प्रयोग
पी पिया पिये पियी
देया/देयी का प्रयोग नहीं।
पिओ पी इये का प्रयोग नहीं ।
दे ओ, देइए का प्रयोग नहीं।
ऐसे परिवर्तन भी कालांतर में होगा जिससे
विशेष अपवाद की कठिनाई से बच सकते है।
वैसे ही ने नियम।
ने नियम के न होने पर हिंदी और भी आसान।
सोचिए।
स्वचिं तक - अनंत कृष्णन, चेन्नै।

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