Sunday, September 13, 2020

 भगवद्गीता  मान्य ग्रंथ

भारतीयों के लिए

 अनुशासन और कर्त्तव्य के

 मार्गदर्शक ईश्वरीय देन।

फिर भी देशोन्नति के साथ,

धन का ही प्रधानता,

दया तो अति कम।

श्मशान भूमि में भी

 निर्दय व्यवहार।

अस्पताल में ,

शिक्षालयों में

निष्काम कर्त्तव्य मार्ग

कितने पालन करते हैं?

आनंदपूर्ण , संतोषजनक

शांतिपूर्ण जीवन बिताते हैं

पता नहीं, पर हर कोई

ईश्वर का गुण करते हैं।

गीता का योगदान करते हैं

पर माया या शैतान के वशीभूत

मानव दुखांत में 

सुखांत की खोज में।


अनंत कृष्णन,(मतिनंत)चेन्नै।

No comments:

Post a Comment