Thursday, September 17, 2020



 मेरे दो सिम



 मेरे दो सिम में एक छोड़ दिया।।

दूसरे वाट्स app में चित्रलेखन है इसमें नहीं।

कदम कदम पर सही,

कदम कदम पा गलत।

तेज़ धार पर मानव कदम

ज़रा सा असावधानी या 

समय का फेर उसको

के जाता स्वर्ग की ओर।

या धखेल देता नरक में।

किसी कवि ने लिखा

एक बूंद बादल से निकला

पता नहीं उसके भाग्य का

एक ऐसी अनुकूल हवा नहीं

समुद्र के खुले सीपी में गिरी

बनी चमकीले मोती।

कदली भुजंग सीप

स्वादिष्ट फल तो सांप में विष।

यही जीवन का फल

 ऊपरवाले का देन।।

भले ही चक्रवर्ती हो

संतान भाग्य,संतोषमय जीवन

ईश्वर के देन।

गरीबी में सुखी जीवन।

अमीरी में दुखी जीवन

ईश्वर का देन ।

मानव प्रयत्न मानवेत्तर 

शक्ति के हाथ।

यही मेरे अनुभव की बात।।

 एस.अनंतकृष्णन,(मतिनंत)

No comments:

Post a Comment