Thursday, September 17, 2020

 फूलों के संग कांटे क्यों ?

सोचा बहुत ,

ईश्वर तो सही है ,

जीभ अति कोमल। 

स्वाद पहचानने में  वही सहायक। 

वही कोमल जीभ दाँत के बीच है 

अति सुरक्षित ,पर एक शब्द गलत बोल 

जीभ सुरक्षित,श्रोता जन्मजन्मांतर दुश्मन। 

नाखून के चुभने से खुद का नाखून अति दुख। 

सीपी में मोती सुरक्षा ,कछुआ को कवच। 

साँप  को फुफकार ,बघनख। 

हर एक को विशेष सुरक्षा एक -एक.

पर मानव के काँटें 

सुन्दर रूप ,सुन्दर मोहक स्वर।

ठग की बातें मोह की बातें ,

छिपकर रहना ,गुप्त बातें। 

फूल के कांटें प्रत्यक्ष पर 

अंग रक्षक खुद हत्यारा।

मधुर वचन मनुष्य बम। 

फूल के कांटे प्रत्यक्ष। 

मनुष्य के छल -कपट ,

षड्यंत्र  जैसे सुन्दर फूल में 

कीड़े फँसाने  की शक्ति। 

कोमल दल  पर चिपक जाते कीड़े।

सूक्ष्मता ईश्वर की रचनाएँ अति चमत्कार। .


स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन ,

No comments:

Post a Comment