Friday, December 11, 2020

प्याला

 प्याला / चाय १२-१२-2020


विधा --अ पनी शैली अपना निजी विधा
नमस्ते। वणक्कम।
स्वरचित ---एस। अनंतकृष्णन
प्याला चाय का प्याला ,
कितना प्यार ,दोस्तोंके मिलन में।
खलनायक गरम चाय चेहरे में ,
नायक के पौरुष ,नायिका के प्रेम।
प्रथम नायिका मिलन क्रोध भरी
नायिका चाय का प्याला उंडेलने में।
पति का पत्नी पर पहला अत्याचार प्याला गरम चाय।
स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन

मातृ देशी भाषाएँ

 हमारे देश में कितनी भाषयें थी,

उतने ही ज्ञानी थे. उनकी रचनाएँ अमर हैं.
मुग़ल आये तो खडी बोली
ढाई लाख की बोली
पनपी ,वह तो चमत्कारी.
भारतेंदु काल से आधुनिक काल तक
१९०० से आज तक अद्भुत विकास.
हिन्दी या हिन्दुस्तानी ऐसी होड़ में
शुक्रिया या धन्यवाद ,
कोशिश या प्रयत्न
खिताब या उपाधी यों ही
शब्द भण्डार बढे .
लिपि छोड़ उर्दू -हिंदी की समानता
मजहब नहीं सिखाता ,
आपस में वैर रखना.
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा हमारा.
बंटवारे के बाद भी एकता की निशानी .
स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन,चेन्नै ।

Thursday, December 10, 2020

सीसा दर्पण

 Anandakrishnan Sethuraman

नमस्ते।वणक्कम।
सीसा /दर्पण।
मनुष्यचेहरेकावास्तविक रूपदर्पणतो
आरपार केदर्शनसीसा।
आजकल ऐ से सीसा
बाहर के दर्शन मात्र।
बाहरसे नकोईदेखसकता।
एक किंवदंती एम्.जीआर केकालेचश्में
हमेशा पाहाँतेदेखकरफैली वहसीसा
नंगे सब को दिखाती।
चन्दा मामा के दर्पण
अज्ञात दिखाते ,.
कोईभी ऐसा नहीं
या बगैर दर्पणदेखे ,बालहो या न हो
सर के दो बाल सँवारतेही बाहर चलते।
दर्पण के सामनेबैठ बाहर आने
केवल लड़कियों का हीनहीं ,
बूढ़े ,बूढ़ियोंकेसफेद बाल
काले बदलने में अधिक देर लगती।
स्वचिंतक ,स्वरचित एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै

सीसा /दर्पण।

 Anandakrishnan Sethuraman

नमस्ते।वणक्कम।
सीसा /दर्पण।
मनुष्यचेहरेकावास्तविक रूपदर्पणतो
आरपार केदर्शनसीसा।
आजकल ऐ से सीसा
बाहर के दर्शन मात्र।
बाहरसे नकोईदेखसकता।
एक किंवदंती एम्.जीआर केकालेचश्में
हमेशा पाहाँतेदेखकरफैली वहसीसा
नंगे सब को दिखाती।
चन्दा मामा के दर्पण
अज्ञात दिखाते ,.
कोईभी ऐसा नहीं
या बगैर दर्पणदेखे ,बालहो या न हो
सर के दो बाल सँवारतेही बाहर चलते।
दर्पण के सामनेबैठ बाहर आने
केवल लड़कियों का हीनहीं ,
बूढ़े ,बूढ़ियोंकेसफेद बाल
काले बदलने में अधिक देर लगती।
स्वचिंतक ,स्वरचित एस.अनंतकृष्णन ,चेन्नै

கஷ்மீர் கவிதைகள்

 "आधुनिक कश्मीरी कविता के सात दशक "

 चयन -77

__________________

      मशल सुल्तानपुरी 

      (1936-2020)

             गज़ल-1

 பரஸ்பர ஆறுதலாய் 

இந்த கடினமான நேரம் 

இன்றைய தினம் கழிந்து விடும்.

நாம் ஒன்றாக இணைந்து செல்வோம்.

உன்னால் சிறிது நேரம் ,

என்னால் சிறிது நேரம் கழிந்து விடும்..

உன்னை என்மனதில்

 பிடித்து வைத்து விடுவேன்.

ஏதோ ஒரு இணைப்பாளர் 

இந்த நாள் நம்மால் கழிந்து விடும்.

நம் இணையின் முன்

 பல லக்ஷம் இறை 

செய்திகள உபதேசங்கள்

 ‌மிக குறைவான மதிப்பாகிவிடும்..

பலருக்கு செய்த உபகாரமாக

 இந்த நாள் கழித்து விடும்.

அளவிட முடியாத ஆசைகள்

விருப்பங்கள் நான் உண்மையாக 

இருந்தால் நான் காதலனுடன்

சுகமாக கழியும் இந்த நாள்.

உன்னுடைய அழகு என்  மனதில் 
எண்ண முடியா ஆசைகள் ,
உண்மை என்றால் இந்த காதலன் 
நாள் ஆனந்த  மாக கழியும் .

நான்கு பக்கங்களில்மூடி கட்டுப்படுத்தினாலும் 
இந்த அன்பு உறவு  வெளிப்படுகிறது .

இப்பொழுது  காதலென்ற தீவெட்டி 
கொளுத்தி ஒளிகாட்டுவோம் .

இந்தநாள் இப்படியே கழியட்டும் .

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२.சாது பல   முறை மலை ஏற
   தவழ்ந்து  முயன்றும் 
  முதல்  நாள் ஏறிய இடத்திலேயே 
நின்றது போல ,
தனித்துவாழ்பவன்  அனுபவிக்கும் 
இன்பமும் துன்பமும் அப்படியே .
மாறாது .

(காஷ்மீர் சாமியார் 16870அடி  உயரமான  மலையில்  ஏற  முயன்றும் 
சறுக்கிசறுக்கி அதே அடிவாரத்தில்நின்றான் )

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வெளிநாட்டு  இடம்
பெயர்ப்பறவைகள் காட்சி மீண்டும் 
தென் படவில்லை
 ஏரிக்குத் திரும்பவில்லை .
இதேநிலைதான்  என் நிலை .
இடம் பெயரும்  நிலைஇதுதான் .
===========
மாளிகைகள்  பல இருந்தன .
இப்பொழுது வேர்கள்படர்ந்து 
காட்சியளிக்கின்றன 
இதேநிலைதான் இப்பொழுது .
----------------

அந்தநோயாளிக்கு சிகிச்சை எங்கே 
அவன் நிலையறிய யாரும்வரவில்லை 
இதேநிலைதான் இங்கே 
-----------

இருமல்நிற்கவில்லை .
நாடித்துடிப்புநின்றது 
வாரிசு க்கு உயில் எழுதியாகிவிட்டது .
இதுதான்  நிலை .
----------------------------















परस्पर सांत्वना से कटेगा यह दिन 

कठिन समय कुटिल कटेगा यह दिन 

               ○○

एकजुट हो चलेंगे हम साथ साथ 

कुछ तुमसे कुछ हमसे कटेगा यह दिन 

               ○○

यह सौन्दर्य तेरा, थामकर रखता हूँ दिल

हो कोई युक्ति तो हमसे कटेगा यह दिन 

              ○○

यहाँ लाख मसीहा भी हों पडेंगे कम

कितनों का करेगा उपकार कटेगा यह दिन 

                ○○

अनगिन इच्छाएं मेरी उस पर सदके

सच्चा जब लगूं मैं प्रेमी कटेगा यह दिन

                 ○○

चारों ओर से रोका मैंने अपना चिंतन 

जब छूटे चेतनता,अभिलाषा कटेगा यह दिन

                ○○

आओ 'मशल' छेड़ें हम बात प्रेम की

रहे ,ना रहे हमारे पीछे कटेगा यह दिन 

                 ○○

               गज़ल-2


हरमुख* पर्वत चढ़े रेंगते जोगी ,

यही दशा है

सुख-दुख में निसंग अजनबी,

यही दशा है

             ○○

थी डार प्रवासी पंछियों की

दृश्यमान 

न लौटा,न दिखा सरोवर में ही,

यही दशा है

               ○○

वो सड़ी अट्टालिका थी कितनी

वे ही जानें

इस-उस घर में उसके द्वार जडे ,

यही दशा है

               ○○

वह रोगी है उसके जीने का

उपचार कहाँ

विरले ही हाल पूछने कोई आता

यही दशा है

               ○○

न खांसी हिचकी ही कोई ,

नब्ज़ रुका तो छोड़ा

वसीयत लिखवा ली वारिस से जीते ही 

यही दशा है।

      0

(अनुवाद  : अग्निशेखर)

________________________

* 16,870 फुट ऊंचे कश्मीर के इस  अजेय पर्वत पर एकबार एक संन्यासी ने जितनी बार चढ़ने का प्रयास किया,वह उतनी ही बार दूसरे दिन अपने को वापस तलहटी में पहुँचा पाता।इस से कश्मीरी में लोकोक्ति बनी है  'हरम्वखुक ग्वसाॅन्य' अर्थात् हरमुख का गोसाईं ।

Sunday, December 6, 2020

शिक्षा नीति

 नमस्ते। वणक्कम। 

प्रतियोगिता  क्रमांक --६९ 

६-१२-२०२० 

विषय --शिक्षा नीति 


शिक्षा नीति  भारत में ,

कृषि नीति भारत में 

चिकित्सा नीति भारत में 

आजादी के पहले और बाद। 

सर्व शिक्षा अभियान ,

अंग्रेज़ी नीति ,भारतीय नीति शास्त्र बंद। 

तीन साल के बच्चेको मातृभाषा भूलने 

बीस हज़ार से सात लाख तक दान। 

मातृभाषा  बोलने पर जुर्माना। 

मातृभाषा के माध्यम अपमान। 

बगैर मातृभाषा के नौकरी और शिक्षा। 

मातृभाषा माध्यम के स्कूल बंद। 

और दस सालों में अंग्रेज़ी ही 

मगर मच्छ  सामान मातृभाषा को निगलेगी। 

नगरीकरण नगर विस्तार के नाम खेती करने 

जमीन ही नहीं नदी झील में कारखाने। 

गुरु भक्ति ही नहीं रहेगी ,

पैसे लेकर सिखाने प्रशिक्षित अध्यापक कतार पर। 

प्रतिभाशाली विदेश में। 

शिक्षा नीति अति चिंताजनक। 

भारतीय संस्कृति आचार व्यवहार 

खान पान सभी में पाश्चात्य प्रभाव। 

परिणाम  न सम्मिलित परिवार ,

न पति पत्नी में आत्मीयता।

न माता पिता का आदर। 

तलाक अशांति के पति  पत्नी में  .

अनुशासन ममता हीन ईश्वरीय भय रहित 

स्नातक स्नातकोत्तर  क्या प्रयोजन। 

पैसे प्रधान गुणात्मक शिक्षा नहीं 

धार्मिक शिक्षा नहीं 

क्या प्रयोजन ?

स्वरचित स्वचिंतक अनंतकृष्णन ,चेन्नै।

Saturday, December 5, 2020

योगमाया

 नमस्ते। நமஸ்தே.

वणक्कम।। வணக்கம்.

 माया ।शैतान।  மாயை . சைத்தான்.


வணக்கம்.நமஸ்தே!

தமிழும் நானே.ஹிந்தியும் நானே.

கவி குடும்பம்..कवि कुटुंब।

இன்றைய தலைப்பு.

शीर्षक :माया-योगमाया ।மாயை யோகமாயை.

6-12-2020.

असली माया।। உண்மையான மாயை

नकली माया।। பொய்யான மாயை.

रंग माया। வண்ண மாயை.

रंगीली माया।।  கேளிக்கை மாயை

चमकती माया।। ஒளிரும் மாயை.

नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।। ஆண்-பெண்,காதலன்-காதலி மாயை

धन माया, अहं माया।। தன மாயை,ஆணவமாயை

लोभ माया ,सत्ता माया,  பேராசை மாயை,

ஆட்சி மாயை

पद माया, अधिकार माया।। பதவி மாயை ,அதிகாரமாயை.

न जाने विविध माया।। அறியாத பல வித மாயைகள்.

माया से बचना अति मुश्किल।। மாயையில் இருந்து தப்பிப்பது அதிக கடினம்.

माया महाठगिनी  மாயை மஹா மோசக்காரி

 त्रिदेव भी न बचे।।  மூன்று. தேவர்களும் தப்பவில்லை.

मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।

சாதாரண மனிதன் உடனடி பலன் 

அடையும் பேராசைக்காரன்.

परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।

பலன் தீர்க்க முடியாத 

கடவுளின் தண்டனை.

+++++++++++++++++++

 योगमाया   योग साधना ध्यान। 

 யோகமாயைகடவுள் விருப்பம்- யோகசாதனை -தியானம்.

कितने करते वे सुखी।।

செய்கின்ற அளவிற்கு சுகம் அதிகரிக்கும்.


செய்யாத அளவிற்கு துன்பம்.

அதனால் மனிதனால் 

மாயையில் சிக்கி

மனிதன்  சொல்கிறான்--

உலகம் இன்னல் மயமானது.

யோகமாயை (ஈஸ்வரசக்தி மாயை)

பெற்ற மனிதன் சொல்கிறான்---

"பூமி சுவர்க்கம்."




नमस्ते।

वणक्कम।।

 माया ।शैतान। 

असली माया।।

नकली माया।।

रंग माया।

रंगीली माया।।

चमकती माया।।

नर-नारी, प्रेमी-प्रेमिका माया।।

धन माया, अहं माया।।

लोभ माया ,सत्ता माया,

पद माया, अधिकार माया।।

न जाने विविध माया।।

माया से बचना अति मुश्किल।।

माया महाठगिनी  त्रिदेव भी न बचे।।

मामूली मानव सद्य: फल के लोभी।।

परिणाम असाध्य दुखी ईश्वरीय दंड।।

 योगमाया   योग साधना ध्यान।

कितने करते वे सुखी।।

कितने न करते  दुखी।

अतः मनुष्य कहता है 

दुख भरा संसार।।

 योगमाया प्राप्त मानव कहता,

स्वर्ग है वसुंधरा।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।









कितने न करते  दुखी।

अतः मनुष्य कहता है 

दुख भरा संसार।।

 योगमाया पर्याप्त मानव कहता,

स्वर्ग है वसुंधरा।।

स्वरचित स्वचिंतक एस.अनंतकृष्णन,चेन्नै।।