Thursday, January 16, 2020

गुरु शिष्य परंपरा का लोप

संचालक सदस्य संयोजक चाहक रसिक पाठक सबको तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी प्रचारक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।
 गुरु शिष्य परंपरा  का लोप 17-1-2020।
गुरु  कौन है ?
गुरु उच्च  कुल के
 प्रतिभाशाली छात्र को ही
सिखाने वाले हैं।
गुरु कुल में  ब्रह्मचारियों  को
 गुरु सेवा प्रधान बनाकर
शिक्षा  देनेवाले।
गुरु  की आज्ञा  से
अंगूठा  ही क्या  सिर तक
 काटकर देनेवाले।
आजकल  इतनी आज्ञाकारी  शिष्य नहीं।
आजकल के अध्यापक 
द्रोण जैसे  अंगूठे की माँग नहीं करते।
अध्यापक  संघ मज़दूर  संघ समान।
गुरु  राजा का गुलाम।
कर्ण की जाति देख शाप देनेवाले  निष्ठुर।
अध्यापक  वेतन  भोगी।
उच्च  निम्न वर्ग  न देखता।
सब को प्रतिभाशाली हो या औसत बुद्धि वाले हो या मंद बुद्धि 
सबको शिक्षा देनेवाले ।
पैसे प्रधान।
ट्यूशन छात्रों  को
विशेष  अंक देनेवाले।
बाये हाथ लिखकर दायें हाथ में
अंक देनेवाले।
अध्यापक  को  छात्र को
मारना पीटना गाली देना मना।
डर डर कर चलनेवाले।
अधिकारी  का भय।
राजनीतिज्ञ का भय।
बदमाश  अभिभावकों  का भय।
बोलने का भय।
क्रोध  में  कोई अपशब्द  निकलें तो
नौकरी जाने का भय।
गुरु शिष्य परंपरा 
हिरण्यकशिपु  के काल से
आज तक तटस्थ  संबंध  नहीं।

स्वरचित स्वचिंतक यस अनंतकृष्णन का प्रणाम।

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