Sunday, April 23, 2023

परमेश्वर

 [नमस्ते ,वणक्कम्.

जन्म और मरण 

जगन्नाथ की इच्छा से है तो

बीच की जिंदगी?

मानव के ज्ञान से नहीं,

मानव के तन बल से नहीं,

मानव के धन बल से नहीं,

मानव के मनोबल से नहीं,

मानवेतर  ईश्वरीय बल से.

रावण का तमोबल, बुद्धिबल,

 भुजबल्, ईश्वरीय बल,

अपने अहंकार और नारी वासना से 

धूल-धूल,चूर्ण-चूर्ण।

यही सूक्ष्म बल,सर्वेश्वर की सर्वशक्ति. 

जानो,समझो,पहचानो।

पल-पल परमेश्वर की  करो प्रार्थना ।.

 एस.अनंतकृष्णन,

स्वरचित,स्वचिंतक,सौहार्द पुरस्कार से सम्मानित तमिलनाडु का हिंदी प्रेमी,प्रचारक.पद्म विद्यासा

हिंदी व्याकरण और तमिल व्याकरण में  परेशानियाँ।

 நான் அவரிடம் பேசுவேன்.

  அவரிடம் अवरिडम् =उनके पास.

अत: हिंदी अनुवाद  उनके पास. यह गलत है.

  हिंदी में उनसे बोलूँगा।/उनसे माँगूँगा/उनसे पूछूँगा। उनसे कहूँगा।

से कहना, से पूछना से माँगना 

से इनकार करना।

 ऐसा ही छात्रों कोसमझाना हैकडउळै नंबू।  भगवान को विश्वास करो । गलत है अनुवाद।

भगवान पर भरोसा रखो।  ईश्वर पर विश्वास करो । 

पर विश्वास, पर भरोसा नमस्ते  वणक्कम् । 

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सूक्ष्म तटस्थ रूप

  मानव को अधिक  सोचना है।  

     सोचने के लिए  प्रकृति  को लेना है।

     प्रकृति की सृष्टियाँ अधिक विचित्र है।

आँखों को दिखाई पडनेवाली,सूक्षम दर्शी के द्वारा  भी

 

न दीख पडनेवाले रोगाणु, साध्य रोग, असाध्य रोग।

 मानव को करोडों जीवाणुओं को देखना -समझना भी अति मुश्किल  है। 

 जरा सोचिए, मानव   समर्थ है या नहीं।

 बिलकुल असमर्थ  है।

 हाथी का बल मानव में नहीं,

 खटमल ,मच्छर, दीमक से डरता है।

  सिंह  की गंभीरता मानव में है नहीं।

    सियार की चालाकी नहीं।

 चींटियों से डरता है।

 फिर मानव शक्तिशाली कैसे?

इन सबकी मिश्रित क्षमता मानव में है तो

प्राकृतिक  कोप  और विनाश से बच नहीं सकता।

 तभी याद करना, प्रार्थना करना   पडता है

 मानवेतर शक्ति  पर। अमानुष्यता पर।

 मानना पडता है ईश्वरीय  शक्ति को।।

 रोग,असाध्य  रोग, अल्पआयु, 

बुद्धि  लब्धि के भेद ।

रंग भेद ,स्वर भेद, आकार भेद, आहार भेद।

 बाल के रंग में भेद।

 अमीरों  गरीबी भेद।

बल-दुर्बल भेद।

 अति सूक्ष्म निर्गुण तटस्थ ईश्वर को।

अनंतकृष्णन ।

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