Sunday, April 23, 2023

आत्मपरीक्षण

 शीर्षक  --आत्म परीक्षण. 

 मानव को अपने को पहचानना चाहिए.  ईश्वर की सृष्टियों मं फूल और कांटे होते हैं तो मानव की बुद्धि लब्धी से  सृजित वस्तुएँ दोष रहित नहीं हो सकती। 

अपवाद रहित भी नहीं। व्याकरण  के कठोर नियम में भी अपवाद  होते हैं।

 खारे पानी के समुद्र तट पर पीने के लिए  पानी मिलता है।रामेश्वरम् क्षेत्र  में भगवान राम की कृपा  से बीच समुद्र में स्वादिष्ट पानी मिलता है।  आत्म परीक्षण  की सफलता केवल अपने  के चिंतन में नहीं, आसपास की घटनाओं  के चिंतन में नहीं, अगजग की हर प्राचीन  और ताजी घटनाओं  के परीक्षण  में ही है।

 आत्म परीक्षण   में कबीर का दोहा भी साथ देगा। 

बुरा जो देखन मैं गया, बुरा न मिला या कोय।

 अपने दिल को खोजने पर अपना दोष मालूम होगा। पर हमें अपने दोषों को सुधार लेना चाहिए । पर हम अपने दोषों को ढककर उन दोषों को दोहराते रहते हैं, तब आत्म परीक्षण  से कोई प्रयोजन या प्रगति नहीं  होगी। दोषों की प्रगति होगी।परिणाम  मानव को अधोगति होगी। मत लेने ,मत देने रिश्वत। परिणाम  लेनेवाले मत देनेवाले के कारण भ्रष्टाचार  बढेगा ही। सद्यःफल बुद्धि  को भ्रष्ट कर देती है।

 अपने स्वार्थ के लिए  अपराध, खून के रिश्तों  को बचाने के लिए अपराध, मित्रमंडली के लिए  अपराध । 

आत्मपरीक्षण  के बाद भी  अपराध  के समर्थन की विवश्ताएँ। राम के चरित्र भी वाली वध के कारण कलंकित। महाभारत में एकलव्य से अंगूठे को गुरु दक्षिणा  के रूप में माँगने  का अपराध, कर्ण के कवच कुंडल के दान माँगने का अपराध, युद्ध  में निहत्थों  पर शस्त्र चलाने का अपराध,  गलत पात्र को भगवान  के वर देने का अपराध,  ये तो साधारण बातें  नहीं,  आत्मपरीक्षण  के बाद भी  अपराधी की आरधना का अपराध ।

 मंदिर  पवित्र  है,पर सोनिया का मंदिर, अभिनेत्री  खुशबू का मंदिर, जयललिता का मंदिर, ममता को पराश्क्ति का रूप मानना,जयललिता ,एम जी आर का मंदिर , इन सब को सहना , आत्म  परीक्षण  के बाद भी चुप रहना सनातन धर्म  का अपराध ।  

आत्म परीक्षण  से लाभ अपने को निडर,साहसी, स्पष्टवादी,  सत्यशील, कर्तव्य निष्ट ,  तटस्थ  बनने में हैं। यह अगजग के व्यवहार  में  कहाँ तक सफलता होगी पता नहीं ।पढेलिखे वकील अपराधी को बचाने लडता है। 

आडिटर  मिथया हिसाब लिखवाता है।

सत्ताधारी  अरबपति बनता है। वे सब आत्मपरीक्षण  करेंगे तो  नश्वर दुनिया  में संपत्ति  बेकार, कफन ही श्मशान तक का ज्ञान  मिलेगा।

 यह तो संभव ही नहीं  । परिणाम  मानव का जग जीवन संताप से परिपूर्ण ।


 स्वचिंतक अनंतकृष्णन द्वारा  स्वरचित । 

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