Tuesday, February 25, 2025

परिवर्तन

 साहित्य बोध बिहार इकाई को

एस . अनंत कृष्णन चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक का नमस्कार वणक्कम्।

२५_२_२५

विषय ---बदल गया संसार।

विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली।          

       

भावाभिव्यक्ति 

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 बदलना ही मृत्यु लोक का नियम है।

दो  सूक्ष्म बिंदुओं को मिलन,

अति सूक्ष्म आकार रहित।

 दस महीने में बदलकर शिशु।

 शिशु से क्रमशः परिवर्तन 

 बचपन लड़कपन जवानी,,प्रौढ़, बुढापा।

अस्वस्थता और मृत्यु।

  बीज, अंकुर, पौधे पत्ते 

 कली फूल कच्चा पक्का फल

 सूखे पत्ते पतझड़ ठूंठ।

कोयल का मौन दादुर का टरटर।

नदी में बाढ़, सूखना 

  आवागमन साधनों में 

 चिकित्सा पद्धतियों में 

 खड़ी बोली का हिंदी बनना

 कच्चे मांस से पका माँस।

  एक जमाने में संस्कृत मिश्रित 

 भारतीय भाषाएँ

अब अंग्रेजी मिश्रित।

संगणिक के पहले

 टंकण कला।

 सिंगिंग प्रोजक्टर  

नारियल के पत्ते के छत 

चित्रपट मंच।

 अब डबल प्रोजेक्टर 

सिनेमा घर।

 आ सेतु हिमाचल में 

 गुरुकुल शिक्षा नहीं 

 ‌हर विषय के विभिन्न अध्यापक 


पानी मिनरल वाटर।

 कितना बदल गया संसार।

 नूतन अर्द्ध नग्न फ़कीर नहीं।

 अमूल्य वस्त्र धारी।

पैदल चलने वाले संन्यासी साधु नहीं 

 जेट विमान में उड़नेवाले साधु।

 बदल गया संसार।

एस.अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

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