साहित्य बोध दिल्ली इकाई को
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी का
सप्रेम नमस्कार वणक्कम्।
9-2-25
विषय -- धर्म का अर्थ
विधा --अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली
भावाभिव्यक्ति
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धर्म है अति व्यापक।
धर्म कर्म में दान प्रधान
गरीबों की सेवा धर्म।
कर्तव्य निभाना भी धर्म।
सत्य पालन भी धर्म।
वचन का पालन करना भी धर्म।
धार्मिक कार्य में
जीना औरों को भी
जीने देना भी धर्म।
वीरों का सम्मान देना भी धर्म।
मातृभाषा का विकास भी धर्म।
माता-पिता की सेवा भी धर्म।
मंदिर की सुरक्षा भी धर्म।
मानवता निभाना भी धर्म।
मानव मानव की एकता भी धर्म।
मत मजहब में
सौकीर्ण विचार।
आम धर्म है सर्वव्यापी।।वं
मज़हब में एकता नहीं।
धर्म में विश्व-कल्याण की भावना।
धर्म में ही अर्थ विस्तार।
मज़हब में संकीर्ण व्यवहार।
धर्म में ही ईश्वर एक।
मज़हब में ही ईश्वर अनेक।
पंच तत्व में एकता।
हवा न हिंदु मुस्लिम सिक्ख ईसाई
भेद नहीं देखता। वही है धर्म।
भेद भाव द्वेष भाव दिखाना,
धर्म नहीं,मत मतांतर।।
एस. अनंत कृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।
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