Friday, February 28, 2025

स्वतंत्र

 नमस्ते। वणक्कम्।

विषय :--स्वतंत्र 

विधा :--अपनी हिंदी अपने विचार अपनी स्वतंत्र शैली 

             भावाभिव्यक्ति।

  दिनांक :----    १-३-२५.

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  शीर्षक तो स्वतंत्र,पर शर्त परतंत्र।

  हम तो अहिंदी भाषी, सीखते हैं,

  मापना, मात्रा गिनना,दर्शाना

  यह तो न नियम बंधन,

    नियम नागरिक शिष्टाचार 

    भ्रष्टाचार रिश्वत चोरी डकैती  के लिए।

    ऐसा ही छंद बद्ध है तो

छंदों की असंख्य 

और बदलाव क्यों?

     भावाभिव्यक्ति कविता है,

      भाव प्रधान होने से

      जन हित के लिए 

      देश हित के लिए 

      मानवता बनाए 

      रखने के लिए।

     सत्य पथ अनिवार्य।

    आदर्शोन्मुखी कविता 

    यथार्थ के भली बुरी

    भेद समझाकर  आदर्श नागरिक बनाना।

    आधुनिक चित्रपट गीत कथा

      सुखांत हो या दुखांत

      पैसे जोड़ों, कानूनी कार्रवाई से मुक्त।

       शिक्षा, भक्ति, न्याय आदि

      प्रमुख स्तंभ पैसे के पराधीन।।

        बारह साल मुकदमे,

        अमीर हत्यारे निरपराध।

         इस यथार्थ सत्य,

         ईश्वरीय दंड मृत्यु रोग अस्वस्थता।

     एस. अनंतकृष्णन, चेन्नई तमिलनाडु हिंदी प्रेमी प्रचारक द्वारा स्वरचित भावाभिव्यक्ति रचना।

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