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Tuesday, July 17, 2012

शासक-6

शासक  जो भी हो,सब के लिए लाभप्रद  बातें  अर्थ  अधिकार देते हैं।फिर भी अठारह अधिकारम  100% एक शासक  या प्रशासक के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।उनमें अठारह अधिकारं में नौ  अधिकारं शासकों को सोचने-समझने के लिए हैं ,और  नौ अधिकारं  कार्यान्वित करने केलिए  हैं।
सोचने-समझने  के अधिकार  हैं---ज्ञान,मंत्रीत्व,व्यक्तित्व,शासन,स्थान-पहचान,जासूसी,नीचता,समय-पहचान,उत्कृष्टता   आदि ।

कार्यान्वित करने के अधिकारं  हैं---दुर्ग-सुरक्षा,जान-समझकर कार्य करने का मार्ग,जानकर -स्पष्ट  होना,जानकर  कर्म करना,सेना-संचालन,बड़ों की सलाह और सहायक  लेना,अर्थों के कार्यान्वयन का मार्ग,बल-जानना,कर्म करने के तरीके  आदि।


शासक-6

शासक  जो भी हो,सब के लिए लाभप्रद  बातें  अर्थ  अधिकार देते हैं।फिर भी अठारह अधिकारम  100% एक शासक  या प्रशासक के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।उनमें अठारह अधिकारं में नौ  अधिकारं शासकों को सोचने-समझने के लिए हैं ,और  नौ अधिकारं  कार्यान्वित करने केलिए  हैं।
सोचने-समझने  के अधिकार  हैं---ज्ञान,मंत्रीत्व,व्यक्तित्व,शासन,स्थान-पहचान,जासूसी,नीचता,समय-पहचान,उत्कृष्टता   आदि ।

कार्यान्वित करने के अधिकारं  हैं---दुर्ग-सुरक्षा,जान-समझकर कार्य करने का मार्ग,जानकर -स्पष्ट  होना,जानकर  कर्म करना,सेना-संचालन,बड़ों की सलाह और सहायक  लेना,अर्थों के कार्यान्वयन का मार्ग,बल-जानना,कर्म करने के तरीके  आदि।


शासक-5

शासक-5

           आज जैसे केंद्र  सरकार  और राज्य -सरकार  आदि  विभाजन हैं ,वैसे ही वलूवर के जमाने  में और उनके बाद  साम्राज्य  राज्य और छोटे-छोटे राज्य  थे;जिसके शासक सम्राट,राजा होते थे।

वल्लुवर ने अपने "अर्थ " भाग में केंद्र और राज्य सरकार के दायित्व ,अधिकार आदि की व्याख्या की हैं।
विशेष रूप में कहें  तो अर्थ  भाग  में  केवल  केंद्र   सरकार  के बारे  में  ही वल्लुवर ने बताया है।प्रांतीय सरकार का उल्लेख  उन्होंने  नहीं की है।लेकिन उनकी व्याख्या  में केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों  को बताने से   यह स्पष्ट  हो जाता  है  कि अन्य जिम्मेदारियाँ  राज्य-सरकार पर निर्भर हैं।यही वल्लुवर का प्राकृतिक -शक्ति और कौशल है।
राजा और सरकार की व्याख्या में सम्प्रभुतता   की  जो व्याख्या की है,वह तो ठीक है।लेकिन तानाशाह  की व्याख्या क्यों की है?
हमें  यह महसूस करना गलत  नहीं  है कि  वल्लुवर ने यह समझाने  के लिए ही लिखा होगा कि  राजा भी भूल करनेवाला  है;अपराध करनेवाला है।

उपर्युक्त  लगभग छत्तीस  किस्म  के शासन प्रणालियों में , आज सारे संसार  में दो तरह के शासन ही होते हैं। वे अधिकांश  राजतंत्र  और लोकतंत्र  शासन हैं।

वल्लुवर  ने अपने ग्रन्थ में  प्रजातंत्र और लोकतंत्र  दोनों के लिए उपयुक्त  आम  सिद्धांतों  के लिए एक बड़े भाग  की रचना की है।
अरिसिल किलार ने कहा है कि  अर्थ-शास्त्र को बड़ी गहराई से अध्ययन करने  से पता चलता है  कि  संक्षेप में बताकर  विस्तार पूर्ण व्याख्या करने में वल्लुवर -सम  कोई नहीं हो सकते।

Monday, July 16, 2012

shaasak-4


शैव मत के अटल भक्त मानिक्कावासकर ने तिरुवेम्बावै   में 

एक पद्य शिव -स्तुति में लिखा  है ---

प्राचीनतम आदिकाल के वस्तुओं में तू  आदी   हो! 

तमिल :- मुन्नैप पलम  पोरुटकुम मुन्नैप पलम पोरुले !

आगे उत्पन्न  होनेवाले नए सृजन में तू नए हो!!   

               पिन्नाप्पुतुमैक्कुम  पेर्तुतुम अप्पेट्रीयने !

आदी काल  के  प्राचीनतम  चीज़ों  में  अति आदी हो।

भविष्य में पैदा होनेवाली नई चीज़ों में प्राचीन हो ;

हे शिव तू आदि -अंत हो।

इस सन्दर्भ  में लेखक  कहते है कि  शिव के बदले तिरुवल्लुवर का नाम लिखने  से ,

नए आम-वेद के रचयिता की प्रशंसा होगी ;तिरुक्कुरल ऐसा  ही ग्रन्थ  है।

उपयोगी दानों के पौधों के बीच अनुपयोगी  नालायक  पौधे  भी उगते हैं।

लेकिन किसान नालायक. पोधों को जड़-मूल उखाड़ फेंककर 

 उपयोगी पौधों की रक्षा  करता है।

माँ।पो।शिवज्ञानम   ने लिखा है कि  तिरुवल्लुवर के जमाने में अच्छे  लोगों के  बीच

 कुछ विषैले पोधों के समान बुरे लोग  रहे होंगे; 

उन बुरे लोगों की संख्या बढाने से रोकने के लिए  ही

 तिरुवल्लुवर ने तिरुक्कुरल  लिखा होगा।


वल्लुवर के जमाने में ही तमिल रीति-रिवाजों  के उलटे रीति-रिवाज के 

उत्तर भारत की आदतें तमिल प्रांत में प्रवेश हो रही थीं।

अब हम अंदाजा लगा सकते हैं कि  तमिल लोगों को अपने ही रीति-रिवाजों  के पालन में

 दृढ़ रहने के लिए वल्लुवर  ने कुरल लिखा होगा।

पुलवर कुलन्तै ने अपने तिरुक्कुरल के मूल्यांकन में लिखा है 

  तिरुक्कुरल तमिल लोगों के जीवन का  कानून ग्रन्थ  है।

तमिल लोगों की सुरक्षा-सेना है।

वह तमिल-संस्कृति  का भण्डार-गृह है।

शासक -3





                                                                                         शासक -3

   तमिल  कविवल्लुवर  के विचारों को ध्यान से अध्ययन करने पर पता  चलता है  कि  संसार आज एक परिवार -सा मित्रता रखना  चाहता  है तो वल्लुवर के बताए  "मित्र" का मार्ग ही है। आज अमेरिका ऐक्य देश और रूस  दोनों  मित्रता  को एक आदर्श समझ रहा है जिससे  संसार एक  दूसरे  के निकट संपर्क में आ रहा है।

सरकार ,शासन आदि शब्द  राजनीती -शाश्त्र से  प्रयोग में आये  हैं।इसको संप्रभुता ,शासन प्रणाली आदि अर्थ  होते हैं।
राजा-सिंहासन ,राज-सभा आदि शब्दों से राजा के लक्षण बनाए गए हैं।

सरकार के मतलब  राजा के गुण ,राजा,राज्य ,नेतृत्व   आदि बताये गए हैं।"राज्य करना "शब्द प्रशासन हैं ;और सरकार के छे अंगों से सम्बंधित  है।

राजा को अंगरेजी में "king " कहना रूढ़  शब्द  है;राजा परम्पराधिकार का शासक होता है।राजा शब्द जातिवाचक सज्ञा  है तो मतलब है देश का शासक।  वही क्रिया है तो शासन करो के अर्थ देता है।
इसमें  "king  stroke " का मतलब है  तानाशाह;"किंग क्राफ्ट "का मतलब है  सप्रभुत्व  शासन।
किंग्डम   का मतलब है ---राजतंत्र  देश;राजा के अधीन का राज्य ;शासित भाग;क्षेत्र; आदि।

किंगडम  शब्द  से किन्ग्शिप  शब्द  बना;मतलब है  राजपद;राज्स्थिति;राजा का मूल्य ;आदि ।

उपर्युक्त शब्दों से ही "शासन" शब्द  बना। इस शब्द का मतलब है शासन करना ,शासनाधिकार आदि।जो उपर्युक्त अधिकार प्राप्त है ,वही शासक   बनता  है।














शासक --2

शासक -2

सम्प्रभूति  के राजा धर्म,अर्थ,काम, प्राण -भय   आदि  गुणों से  युक्त
 मंत्री,सेनापति,दूत,चर आदि चार प्रकार के  पटु लोगों  को
  चुनकर   नियुक्त  करता  था ।उनके द्वारा देश को समृद्ध बनाता था।

 और देश की आय बढाता  था ।
जो आमदनी मिलती थी ,उन सब को धर्म अर्थ और काम
 कार्यों  में   व्यय करता था ।
वह देखने में सरल  और  व्यवहार  में मधुरभाषी  था।
 वे अपराधियों को दंड देते थे।
निम्न लोगों के संग में नहीं रहते।
बड़े लोगों के संग में रहकर  नाते-रिश्तों  से  गले लगाकर ,
अपराध सहकर  शासन  करते थे।

वे चार प्रकार  की  सेना रखते थे।
दुसरे राजाओं से मिलनसार  होते थे।
उनमें स्त्री -मोह न था।
वेश्या-गमन  न था।
मधु  नहीं  पीते।
वे  जुआ नहीं खेलते;
संतुलित भोजन  करते थे।
 अपने शरीर  को स्वस्थ रखते थे।
नागरिकों के दुःख दूर करते   थे।
मंत्री और सेनापति  का बड़ा सम्मान  करते थे।
 संक्षेप में कहें तो   नागरिकों को पांच प्रकार्  के दुखों से रक्षा  करना  ही तिरुवललुवर  की राजनीती  थी।






शासक प्रशासक--1

शासक
प्रशासक

 पहले  ही हमने  उल्लेख  किया  कि सारी  नदियाँ   सागर  में  ही  संगमित  होती  है। वैसे ही मानव  समाज  की सभी  घटनाएँ  न्याय  में संगमित होकर  परिवर्तन    हो जायेंगी। अब वह न्याय भी संगम होने का स्थान  सरकार है।

  " सत्य -वचन "  कहकर  ज्ञानियों  से प्रशंसा  प्राप्त  तिरुक्कुरल  वेद  में  बीच के सत्तर  अधिकार  राज-शासन, प्रशासन ,राजा और प्रशासक के लिए  साथ देनेवाले चिंतन ,बुद्धिपूर्ण  उपदेश  आदि बातें ही
 व्यापक रूप में  मिलते हैं।

राज्य-शासन  के लिए लाभ  देनेवाले  ज्ञान ,मंत्री,व्यक्तित्व,राज्य-महत्ता ,क्षेत्र -पहचान,गुप्तचर,अत्याचार(नीचता),समय-ज्ञान,उत्कृष्टता,रक्षा,जान-समझकर काम करना,जान-समझकर ज्ञान प्राप्त करना, शोधकर कार्रवाई लेना,सैनिक महत्त्व,बड़ों के साथ चलना ,कार्य -प्रणालियाँ,आदि अधिकारों  का सृजन वल्लुवर ने किया है।
 यूनान के  ज्ञानी  प्लेटो  ने  बढ़ती  सरकार  के बारे में  कहते  हैं-----
अच्छों  के शासन या  उच्च  लोकतंत्र बनाना  जो चाहते हैं ,वे एक गलती  करते हैं।वे  अमीरों को अधिक अधिकार देते हैं।चालाकी से लोगों को ठगने की कोशिश  में गलती करते हैं।झूठी भलाई से झूठी बुराई का  एक समय  आ  जाता  है।क्योंकि  अमीरों का अधिक स्थान  लेना ,आम जनता  के असीमित कार्यों के कारण, सरकार के पतन निश्चित   हो जाते  हैं।

कई प्रकार की शासन प्रणालियों की सूची देकर,वल्लुवर के कुरलों  की सहायता से शासकों के बारे में कुरल जो कहता है,उसपर  विचार करने से  शासन के बारे में, वल्लुवर के जो  गहरे  चिंतन  है,उसका पता चलेगा।
देखिये, शासन  प्रणालियों की सूची:-
मातृसत्तात्मक (matriarchy)

पितृसत्तात्मक(patriarchy

नगर-शासन(city state)

धर्म-तंत्र (theocracy)

राजतंत्र (monarchy)

निरंकुशता(Autocracy)

तानाशाह(dictatorship)

सीमित राजतंत्र (limited monarchy)

 संसदीय राजतन्त्र  (parliamentary monarchy)


 द्विशासन प्रणालियाँ :

  1. धर्म-गुरुतंत्र।
    (hicrocracy)
  2. अभिजात वर्ग तंत्र
    (aristocracy)

  3. अल्प-सूत्र  शासन (oligarhy)

  4. बहुसूत्र शासन(polyarchy)

  5. धनिक्शासन(plutocracy)

  6. फौजिहुकूमत  आदि।(stratocracy)

  7. लोकतंत्र  के विभाजन
  8. गणतंत्र(Republic)

  9. एकात्मक सरकार(unitary government)

  10. संघीय सरकार(federal government)

  11. समाजवाद(socialism)

  12. साम्यवाद(communism)

  13. फाज़िज़म (बंधयुक्त

  14. मज्दूर्शाही(ergatocracy)

  15. हुल्लडी बाज़ी(mobocracy ochlacracy)
    16.    सर्वतंत्र (partisocracy) आदि.

 व्यवहार में  उपर्युक्त  शासन दो  तरह के होते हैं।1.सम्प्रभुत्व शासन (benign government)  2.निरंकुश(despotic government}

होमरूल ,गृह-शासन

अन्य -शासन (xenocracy)

एकतंत्र (monocracy)

बहुतंत्र( polyarchy)

 साम्राज्य(imperialism)

राज्य(Feudalism)

संसदीय  सरकार(parliamentary)

असंसदीय सरकार(nonparliamentary)

नर-सत्ता(androcracy)

नारी-सत्ता(gynecrocracy)

पूंजीपति-सरकार(capitalistic government)

मजदूर-शाह
आदि।


तिरुवल्लुवर के जमाने  में  राजतंत्र   मात्र  था। उसके अंग  थे ---नागरिक,अर्थ,सेना,दुर्ग ,मंत्री,मित्र   आदि।

शासन  एक अमुक  क्षेत्र के अंतर्गत  था। ;   राजतंत्र  सम्प्रभुत्व  या निरंकुश  होता है।