शासक-5
आज जैसे केंद्र सरकार और राज्य -सरकार आदि विभाजन हैं ,वैसे ही वलूवर के जमाने में और उनके बाद साम्राज्य राज्य और छोटे-छोटे राज्य थे;जिसके शासक सम्राट,राजा होते थे।
वल्लुवर ने अपने "अर्थ " भाग में केंद्र और राज्य सरकार के दायित्व ,अधिकार आदि की व्याख्या की हैं।
विशेष रूप में कहें तो अर्थ भाग में केवल केंद्र सरकार के बारे में ही वल्लुवर ने बताया है।प्रांतीय सरकार का उल्लेख उन्होंने नहीं की है।लेकिन उनकी व्याख्या में केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों को बताने से यह स्पष्ट हो जाता है कि अन्य जिम्मेदारियाँ राज्य-सरकार पर निर्भर हैं।यही वल्लुवर का प्राकृतिक -शक्ति और कौशल है।
राजा और सरकार की व्याख्या में सम्प्रभुतता की जो व्याख्या की है,वह तो ठीक है।लेकिन तानाशाह की व्याख्या क्यों की है?
हमें यह महसूस करना गलत नहीं है कि वल्लुवर ने यह समझाने के लिए ही लिखा होगा कि राजा भी भूल करनेवाला है;अपराध करनेवाला है।
उपर्युक्त लगभग छत्तीस किस्म के शासन प्रणालियों में , आज सारे संसार में दो तरह के शासन ही होते हैं। वे अधिकांश राजतंत्र और लोकतंत्र शासन हैं।
वल्लुवर ने अपने ग्रन्थ में प्रजातंत्र और लोकतंत्र दोनों के लिए उपयुक्त आम सिद्धांतों के लिए एक बड़े भाग की रचना की है।
अरिसिल किलार ने कहा है कि अर्थ-शास्त्र को बड़ी गहराई से अध्ययन करने से पता चलता है कि संक्षेप में बताकर विस्तार पूर्ण व्याख्या करने में वल्लुवर -सम कोई नहीं हो सकते।
आज जैसे केंद्र सरकार और राज्य -सरकार आदि विभाजन हैं ,वैसे ही वलूवर के जमाने में और उनके बाद साम्राज्य राज्य और छोटे-छोटे राज्य थे;जिसके शासक सम्राट,राजा होते थे।
वल्लुवर ने अपने "अर्थ " भाग में केंद्र और राज्य सरकार के दायित्व ,अधिकार आदि की व्याख्या की हैं।
विशेष रूप में कहें तो अर्थ भाग में केवल केंद्र सरकार के बारे में ही वल्लुवर ने बताया है।प्रांतीय सरकार का उल्लेख उन्होंने नहीं की है।लेकिन उनकी व्याख्या में केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों को बताने से यह स्पष्ट हो जाता है कि अन्य जिम्मेदारियाँ राज्य-सरकार पर निर्भर हैं।यही वल्लुवर का प्राकृतिक -शक्ति और कौशल है।
राजा और सरकार की व्याख्या में सम्प्रभुतता की जो व्याख्या की है,वह तो ठीक है।लेकिन तानाशाह की व्याख्या क्यों की है?
हमें यह महसूस करना गलत नहीं है कि वल्लुवर ने यह समझाने के लिए ही लिखा होगा कि राजा भी भूल करनेवाला है;अपराध करनेवाला है।
उपर्युक्त लगभग छत्तीस किस्म के शासन प्रणालियों में , आज सारे संसार में दो तरह के शासन ही होते हैं। वे अधिकांश राजतंत्र और लोकतंत्र शासन हैं।
वल्लुवर ने अपने ग्रन्थ में प्रजातंत्र और लोकतंत्र दोनों के लिए उपयुक्त आम सिद्धांतों के लिए एक बड़े भाग की रचना की है।
अरिसिल किलार ने कहा है कि अर्थ-शास्त्र को बड़ी गहराई से अध्ययन करने से पता चलता है कि संक्षेप में बताकर विस्तार पूर्ण व्याख्या करने में वल्लुवर -सम कोई नहीं हो सकते।
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