महानता /साधुता
महानता पर विपरीत विचारवाले हैं कारियासान जी।
.अपने सिरुपंचमूलम नामक ग्रन्थ में उन्होंने लिखा है---
.अपने सिरुपंचमूलम नामक ग्रन्थ में उन्होंने लिखा है---
महानता में भी बुराई है;हानि है।
वल्लुवर ने भीकहा है -- अच्छे कर्मों में भी भूलें होती हैं।
किस स्थान पर महानता हानिप्रद होती है?
वल्लुवर ने भीकहा है -- अच्छे कर्मों में भी भूलें होती हैं।
किस स्थान पर महानता हानिप्रद होती है?
बद--गुणी के सामने क्रोध दिखाना अच्छा है। बुरे के साथ देना बुरा व्यवहार ही करना है।
कुरल:
कत कनरू सान्रान्मै तीतु कलिय
मत नन्रु मान्बिलार मुन .
महानता पर विचार करते समय इस बात पर भी ध्यान रखना आवश्यक है।
महानता पर ध्यान देते समय नागरिकता पर भी ध्यान रखना ज़रूरी है।.
तमिल कुल की संस्कृति के अनुसार -शिक्षा ,सुरक्षा,,व्यापार आदि धंधे के आधार पर
चार जातियों का वर्गीकरण किया गया है।
.आरियप्पडै कडन्त नेदुन्चेलियन ने कहा --
विविधता के चार जातियों में, निम्न जातिवाला शिक्षित और चतुर हो,
तो उच्च जातिवाले का ध्यान भी उस पर पडेगा ।
.धनी और सर्वाधिकार प्राप्त राजा को भी
निम्न जाति के शिक्षित पुत्र या कवि या गुरु से सीखना ही उचित है।
अतः कुल के गौरव से बढ़कर शिक्षितों को ही गौरव मिलता है।
.
नालडीयार ने कहा है --मल्लाह तो निम्न जतिवाला है;
वह शुद्र की निंदा का पात्र नहीं है।
.कोई बड़े जातिवाले उसे अपमानित नहीं करेंगे।
.बड़े शास्त्र ज्ञाता को नदी पार करने का
सहायक अशिक्षित नाविक ही है।
.हमें ध्यान देने की बात यह है-
नाव खेने की विद्या और बड़े शास्त्र के ज्ञान दोनों एक ही है।
यहाँ महानता की प्राथमिकता नागरिकता पर आधारित है।
.ग्रामीण नागरिक एक देश का जीव् नाडी होता है।.
तमिल :
तोनी यियककुवान तोल्लई वरुनत्तुक
कानिर कडैप्पटटान एन्रिकलार कानाय
अवन तुनैया आरू पोयनरे नूल्कट्र
मकन तुनैया नल्ल कोलल।
वह शुद्र की निंदा का पात्र नहीं है।
.कोई बड़े जातिवाले उसे अपमानित नहीं करेंगे।
.बड़े शास्त्र ज्ञाता को नदी पार करने का
सहायक अशिक्षित नाविक ही है।
.हमें ध्यान देने की बात यह है-
नाव खेने की विद्या और बड़े शास्त्र के ज्ञान दोनों एक ही है।
यहाँ महानता की प्राथमिकता नागरिकता पर आधारित है।
.ग्रामीण नागरिक एक देश का जीव् नाडी होता है।.
तमिल :
तोनी यियककुवान तोल्लई वरुनत्तुक
कानिर कडैप्पटटान एन्रिकलार कानाय
अवन तुनैया आरू पोयनरे नूल्कट्र
मकन तुनैया नल्ल कोलल।
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