Saturday, July 21, 2012

 


  शत्रुओं  से देश और प्रजा  की रक्षा  करना ही राजा का प्रधान कर्तव्य होता हैं।इस के लिए धन बढाना  आवश्यक है।दुश्मनों  के अहंकार दूर  करने  के लिए  ही अधिक धन  चाहिए। अतः वल्लुवर धन जोड़ने की सलाह और उपदेश देते है।
धन ही अधिक शक्ति शाली  अस्त्र -शस्त्र   होता  है।

कुरल:       सेयक  पोरुलै  ,सेरुनर सेरुक्करुक्कुम   एह्कू अतनिं कूरियतु इल।

अंग्रेजी  अनुवाद:- ONE MUST CREATE WEALTH  FOR IT  IS  THE MOST POWERFUL  WEAPON TO QUELL THE ENEMIES'  ARROGANCE.

G.U.POPE:-ACCUMULATE WEALTH;IT  WILL DESTROY THE ARROGANCE OF FOES;THERE IS NO WEAPON SHARPER THAN  IT.

  वल्लुवर  के कुरल के तीन भाग हैं--धर्म,अर्थ,काम;  इन तीन भागों में बीच  का अर्थ हक के पास इकठ्ठा  हो  जाए , तो  पहला  और तीसरा  भाग अपने आप आकर दोनों ओर  चिपक जाएगा।
अर्थ  नहीं तो धर्म  और  काम दोनों निरर्थक  हो जायेंगे।यही वास्तविकता युग-युगान्तरों से चली आ रही  है।

एक राजा  आर्थिक -बल और  सैनिक बल आदि   बढाने  के बाद  शत्रुओं को अपने अधीन ले आने की कोशिश में लगता है। पहले साम,भेद,दान  आदि तीन अस्त्रों  का  प्रयोग करता है। इन तीनो से शत्रु  न दबने पर चौथा अस्त्र  "दंड" का प्रयोग करने में विवश हो जाता है।तब वह अपने बल को अपने आप मूल्यांकन करता है।
यही  बल-जानना   अधिकारं है।अपने  कार्य की शक्ति,अपने बल,अपने शत्रु  का बल,अपने पक्षधारी का बल,
विपक्ष्धारी का बल सहायकों का बल  आदि   गहराई से छानकर  पहचानना ही बल-जानना  अधिकारं है।

कुरल:  अमैन्दान्गु  ओलुकान  अलवु   अरियान   तन्नै     वियनदान   विरैधू केदुम।

जो राजा अपने और दुश्मनों के  बल  को ठीक नहीं जान लेता ,उसका विनाश  ही होगा।

रत्नकुमार:  HE WHO IS DISRESPECTFUL  OF OTHERS BOASTFUL OF HIMSELF AND OVER ESTIMATES HIS CAPABILITY  IS VULNERABLE  AND HE WILL RUIN HIS LIFE.

G.U.POPE:
HE WILL QUICKLY PERISH WHO IGNORANT  OF HIS OWN RESOURCES   FLATTERS HIMSELF OF HIS GREATNESS  AND DOES NOT  LIVE IN PEACE WITH HIS NEIGHBURS.





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