शत्रुओं से देश और प्रजा की रक्षा करना ही राजा का प्रधान कर्तव्य होता हैं।इस के लिए धन बढाना आवश्यक है।दुश्मनों के अहंकार दूर करने के लिए ही अधिक धन चाहिए। अतः वल्लुवर धन जोड़ने की सलाह और उपदेश देते है।
धन ही अधिक शक्ति शाली अस्त्र -शस्त्र होता है।
कुरल: सेयक पोरुलै ,सेरुनर सेरुक्करुक्कुम एह्कू अतनिं कूरियतु इल।
अंग्रेजी अनुवाद:- ONE MUST CREATE WEALTH FOR IT IS THE MOST POWERFUL WEAPON TO QUELL THE ENEMIES' ARROGANCE.
G.U.POPE:-ACCUMULATE WEALTH;IT WILL DESTROY THE ARROGANCE OF FOES;THERE IS NO WEAPON SHARPER THAN IT.
वल्लुवर के कुरल के तीन भाग हैं--धर्म,अर्थ,काम; इन तीन भागों में बीच का अर्थ हक के पास इकठ्ठा हो जाए , तो पहला और तीसरा भाग अपने आप आकर दोनों ओर चिपक जाएगा।
अर्थ नहीं तो धर्म और काम दोनों निरर्थक हो जायेंगे।यही वास्तविकता युग-युगान्तरों से चली आ रही है।
एक राजा आर्थिक -बल और सैनिक बल आदि बढाने के बाद शत्रुओं को अपने अधीन ले आने की कोशिश में लगता है। पहले साम,भेद,दान आदि तीन अस्त्रों का प्रयोग करता है। इन तीनो से शत्रु न दबने पर चौथा अस्त्र "दंड" का प्रयोग करने में विवश हो जाता है।तब वह अपने बल को अपने आप मूल्यांकन करता है।
यही बल-जानना अधिकारं है।अपने कार्य की शक्ति,अपने बल,अपने शत्रु का बल,अपने पक्षधारी का बल,
विपक्ष्धारी का बल सहायकों का बल आदि गहराई से छानकर पहचानना ही बल-जानना अधिकारं है।
कुरल: अमैन्दान्गु ओलुकान अलवु अरियान तन्नै वियनदान विरैधू केदुम।
जो राजा अपने और दुश्मनों के बल को ठीक नहीं जान लेता ,उसका विनाश ही होगा।
रत्नकुमार: HE WHO IS DISRESPECTFUL OF OTHERS BOASTFUL OF HIMSELF AND OVER ESTIMATES HIS CAPABILITY IS VULNERABLE AND HE WILL RUIN HIS LIFE.
G.U.POPE:
HE WILL QUICKLY PERISH WHO IGNORANT OF HIS OWN RESOURCES FLATTERS HIMSELF OF HIS GREATNESS AND DOES NOT LIVE IN PEACE WITH HIS NEIGHBURS.
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