only warriors with the right potential energy will be able to fight courageously under dire conditions.
g.u.pope:-ancient army can alone have the valour which makes it stand by its king at the time of defeat fearless of wounds and unmindful of its reduced strength.
एक सैनिक शक्ति को परेड ही ही दूसरों को डराता है;सेना का अग्रसर लोगों को डराता है।एक वीर सेना की निशानी उसके परेड और अग्रसर होने में ही है।
सेना की सुन्दर बनावट और सजावट को देखने मात्र से ही शत्रु काँपने लगेगा।सेना में शत्रु को हारने का बल न होने पर भी दिखावट शत्रु ( सजावट और दिखावट का अपना विशेष महत्त्व होता ही है। कम से कम वह शत्रु के मन में भय उत्पन्न करेगा ही। ।
कुरल:-अडल तकैयूम आत्रलुम इल एनिनुम तानै पडैत्तकैयाल पाडू पेरुम।
सुसज्जित सेना गंभीर और वीरता के लक्षण होता है।सुसज्जित रथ सेना,मुख-पट लगाए गज-सेना,सज्जित अश्व- सेना छाता,झंडा,पताकाएं,धोल्नागादा की गूँज आदि शत्रु -पक्ष में भय उत्पन्न करेगा ही।
आजकल जब शहरों में दंगा , कानून् व्यवस्थता का भंग, आतंकवादी यों और शत्रुवों का छेड़-छाड़ होता है,तब सेना या पुलिस विभाग का परेड होता है।यह सजतज का जुलुस आम लोगों में भय दूर करके शांति का विशवास पैदा करता है।
वल्लुवर ने सेना के लक्षण और महत्व का अधिकारम इसी के लिए लिखा है।
ratnakumaar:-
EVEN IF AN ARMY IS NOT POWERFUL,IT IS IMPORTANT THAT IT PARTS ON A SHOE TO PSYCHOLOGICALLY WEAKEN THE ENEMY.
G.U.POPE;--
THOUGH DESTITUTE OF COURAGE TO FIGHT AND STRENGTH (TO ENDURE)AN ARMY MAY YET GAIN RENOWN BY THE SPLENDOUR OF ITS APPEARANCE.
आगे वल्लुवर ने बताया है कि बड़ों को सहायक बना लेना राजा के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह केवल राजा के लिए मात्र नहीं ,बल्कि सब केलिए लागू होगा।
राजा को अपने लिए बड़े मनुष्य को मंत्री बना लेना चाहिए। मंत्री को उम्र में और अनुभव में ,बुद्धि बल में,
चतुराई में, कार्य-कौशल में अति सूक्ष्म होना चाहिए।ऐसे बड़े मंत्री के मिलने के बाद राजा को उनकी सलाह माननी चाहिए।
एक राजा केलिए योग्य मंत्री मिलना अति दुर्लभ होता है। अव्वैयार ने कहा कि मनुष्य जन्म दुर्लभ है।
वल्लुवर दुर्लभों से दुर्लभ कहा है।
एक को चतुर और आवश्यक है , कहने का मतलब यह नहीं कि बाकी महत्वहीन है।इन सब का पालन और अनुसरण करने की प्रेरणा देने के लिए ही वल्लुवर ने एक-एक विषय पर जोर दिया है। कहते हैं कि
यह कवियों का रूढिगत स्वभाव है।
कुरल;- अरियवटरुल एल्लाम अरिते पेरियारैप पेणित तमराक कोलल।
एक सुयोग्य मंत्री मिलना भाग्य की बात है।
रत्ना कुमार ने अंग्रेजी में कहा है कि 'SUPPORT OF MATURE PEOPLE.
EARNING THE RESPECT AND SUPPORT OF MATURE PEOPLE IS A RARE OPPORTUNITY NOT BE MISSED.
वल्लुवर ने जोर देकर कहा कि एक सद्गुणी बड़े आदमी का समर्थन छोड़ना कई शत्रुवों से दस गुना बड़ा खतरनाक है।
कुरल:--पल्लार पकै कोललिन पत्तडु त्त तीमैत्ते नाल्लर तोडर कै विडल।
रत्नकुमार:--BREAKING OFF THE FRIENDSHIP WITH A MATURE PERSON IS WORSE THAN CREATING MANY ENEMIES.
G.U.POPE:-- IT IS TENFOLD MORE INJURIOUS TO ABANDON THE FRIENDSHIP OF THE GOOD, THAN TO INCUR THE HATRED OF THE MANY.
EVEN IF AN ARMY IS NOT POWERFUL,IT IS IMPORTANT THAT IT PARTS ON A SHOE TO PSYCHOLOGICALLY WEAKEN THE ENEMY.
G.U.POPE;--
THOUGH DESTITUTE OF COURAGE TO FIGHT AND STRENGTH (TO ENDURE)AN ARMY MAY YET GAIN RENOWN BY THE SPLENDOUR OF ITS APPEARANCE.
आगे वल्लुवर ने बताया है कि बड़ों को सहायक बना लेना राजा के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह केवल राजा के लिए मात्र नहीं ,बल्कि सब केलिए लागू होगा।
राजा को अपने लिए बड़े मनुष्य को मंत्री बना लेना चाहिए। मंत्री को उम्र में और अनुभव में ,बुद्धि बल में,
चतुराई में, कार्य-कौशल में अति सूक्ष्म होना चाहिए।ऐसे बड़े मंत्री के मिलने के बाद राजा को उनकी सलाह माननी चाहिए।
एक राजा केलिए योग्य मंत्री मिलना अति दुर्लभ होता है। अव्वैयार ने कहा कि मनुष्य जन्म दुर्लभ है।
वल्लुवर दुर्लभों से दुर्लभ कहा है।
एक को चतुर और आवश्यक है , कहने का मतलब यह नहीं कि बाकी महत्वहीन है।इन सब का पालन और अनुसरण करने की प्रेरणा देने के लिए ही वल्लुवर ने एक-एक विषय पर जोर दिया है। कहते हैं कि
यह कवियों का रूढिगत स्वभाव है।
कुरल;- अरियवटरुल एल्लाम अरिते पेरियारैप पेणित तमराक कोलल।
एक सुयोग्य मंत्री मिलना भाग्य की बात है।
रत्ना कुमार ने अंग्रेजी में कहा है कि 'SUPPORT OF MATURE PEOPLE.
EARNING THE RESPECT AND SUPPORT OF MATURE PEOPLE IS A RARE OPPORTUNITY NOT BE MISSED.
वल्लुवर ने जोर देकर कहा कि एक सद्गुणी बड़े आदमी का समर्थन छोड़ना कई शत्रुवों से दस गुना बड़ा खतरनाक है।
कुरल:--पल्लार पकै कोललिन पत्तडु त्त तीमैत्ते नाल्लर तोडर कै विडल।
रत्नकुमार:--BREAKING OFF THE FRIENDSHIP WITH A MATURE PERSON IS WORSE THAN CREATING MANY ENEMIES.
G.U.POPE:-- IT IS TENFOLD MORE INJURIOUS TO ABANDON THE FRIENDSHIP OF THE GOOD, THAN TO INCUR THE HATRED OF THE MANY.
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