Tuesday, July 3, 2012

7.महान।साधु/ उत्कृष्ट आदमी।

वल्लुवर जी कहते हैं-अच्छे कुल में जो जन्म लेते हैं ,उनमें  ही श्रेष्ठ और लज्जा शील  गुण  सहज रूप में  होंगे।

कुरल:-  इर  पिरंतार  कन्नल्ल  तिल्ले  इयल्पाकच

चेप्पमु नाणु  मोरुन्गु।


अन्यों में  ये गुण सहज रूप  में नहीं पा  सकते हैं।.एक में श्रेष्ठता होगी ;तो एक में लज्जाशीलता होगी।

.भद्र कुल में ,उच्च कुल में  जन्म लेनेपर आदर्श  गुण अपने आप मिल जायेंगे।

.ONLY HUMAN BEINGS HAVE THE POTENTIAL TO DEVELOP SENSE OF JUSTICE AND GUILT.
तोल्काप्पियम  ग्रन्थ में कहा गया है ---" खानदानी   गुण  ही देश ,शहर,,जीवन ,शासन करने की  योग्यता  आदि  गुण   देते हैं।.
 ".कुल उच्च होने में ही विशेषता  होती है.कुरल में   "जीवन"  शब्द का प्रयोग अति महत्वपूर्ण  प्रयोग कहते हैं शेक्किलार नामक कवि।.

  देवानेयाप्पावानर  कहते है --" वल्लुवर  जो  कुल  शब्द का  प्रयोग करते  हैं,   वह  राजा--परंपरा  से  जुडा  है।. जीवन शब्द चेर,,चोल,,पांडिय  राजा के कुल   से  जुडा  है।
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एक कुरल के बाद, दूसरा कुरल पहले कुरल की व्याख्या -सा लगता है।
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वललूवर कहते हैं---उच्च कुल में जो जन्म लेते हैं,   वे सत्य,अच्छी चाल--चलन, और बद --कर्म करने  मे शर्म  का अनुभव   करेंगे।.

कुरल:-    ओलुक्कमुम  वाय्मैयुम  नानुमिव  मूंरुम  इलुक्कार  कुडिप्पिरंतार .


यहाँ " शर्म " की बात स्त्री का शर्म या लज्जा नहीं हैं।  पुरुषों की लज्जा से सम्बंधित  है।
  पुरुष-लज्जा  का मतलब है ,अपने बुरे आचारण के कारण बड़ों और दूसरों के सामने लज्जि होना।
सर ऊंचा करके बोलने की शक्ति और क्षमता खो देना।
यह तो भद्र   कुल  में जन्म लेने पर सहज में ही मिल जाने का गुण है। लज्जा  शीलता
.मन और वचन से सम्बंधित बात है ।.
.POPE--"THE HIGH BORN WILL NEVER DEVIATE FRON THESE THREE:-GOOD MANNERS;TRUTHFULNESS AND MODESTY.""

अगले कुरल में वल्लुवर जी कहते हैं---
उच्च अनुशासित कुल में जो जन्म लेते हैं,  वे  दीन-दुखी  के  मिलने पर हँस -मुखी ,दानी,मधुर--भाषी,और विनय--शील होते हैं।.वे किसी को अपमानित न करते।

कुरल:-  नहै  ईहै  इन्सोल  इकलामै   नान्कुम  वहै  एनब  वाय्मैक  कुडिक्कू।





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