Friday, July 13, 2012

अपराधदूरकरना-1

अपराध  दूरकरना (कमजोरियाँ )

जो न्याय देते  हैं,वे बुद्धिमान होते हैं।उनको पहले अपनी प्रदूषणों  से बचना  चाहिए  और उनको साफ कर लेना

चाहिए। जो चतुर होते  हैं ,वे  ही  अपने अपराधों को जान-समझकर  दूर कर सकते हैं।


 पाँच  बड़े अपराध  हैं --झूठ,हत्या,चोरी,आग  लगाना,बलात्कार आदि।
 छे आतंरिक दुश्मनियाँ  हैं--काम,क्रोध,मद,लोभ,आत्म-प्रशंसा ,ऐश-आराम।जो इन गुणों को पहचानकर ,दूर  करते हैं ,वे ही सच्चा न्यायाधीश  बन सकते हैं।

जिनमें  अवलोकन की शक्ति  है,वे ही अपने अपराधों से बच सकते हैं।या  अपने अपराधों  को  दूर  कर सकते  हैं।

अपराध  दूर  करने  का अनुवाद  "कमजोरियाँ " है।हर एक  के  मन में  कई अपराध छिपकर  रह सकते  हैं।
उन अपराधों के  साथ  जो भी काम हो,उसे सुचारू  रूप  से  करके नाम पाना या  चमकना नामुमकिन  है।
न्यायाधीश  का पद भी इसका अपवाद नहीं हो सकता। वल्लुवर  ने अपने कुरल में कहा है  कि

अहंकार,क्रोध,काम  आदि  गुण  न हो तो एक अपने जीवन में न्यायाधीश  जैसे  पदोन्नति  पाना  सरल  है।

कुरल:- चेरुक्कुंच चिनमुम   सिरुमैयुम  इल्लार  पेरुक्कम  पेरुमित नीर्त्तु।


Wealth accumulated without arrogance foul temper  or undignified  behaviour is honourable.

इसे  जी।यू।पोप ने  और सरल  अनुवाद करके स्पष्ट  लिखा  है-----

truly great in the excellence  of those (kings)who are free from  pride,anger and lust.

आगे  हमने जो  कुरल चुना  है,वह  बताता है :- जो  लज्जाशील  होते हैं,वे   बाजरा -बीज  बराबर के  अपराध को भी ताड़-फल -सम बड़ा मानकर,उसे न करके अपने को बचा लेंगे।
Even insignificant  weaknesses  are a major concern to sensitiv people.

इसे पोप ने यों अनुवाद किया है:-

those who fear guilt if they comit a fault small as a millet seed will consider it to be as large as palmyra tree.


कोई  भी हो ,खासकर न्यायाधीश के पद पर जो  होते हैं,उनको कभी अपनी  सावधानी  या ईमान को कभी खोना नहीं  चाहिए। बाजरा बीज बराबर की यह क्रिया,  ताड़ के फल   के बराबर बड़ा दीख पडेगा।उनको कभी तरफदारी बनना  नहीं चाहिए।
अरिस्टाटिल   बताते  हैं--
"हमें किसी से भी सतर्कता  खोनी नहीं चाहिए।धैर्य जो है, वह स्वाभाव  से कठिन नहीं  है।

जो दिल ऊंचा है,श्रेष्ठ  है,वह बुरे लोगों के द्वारा चुभाये जाने पर ही कठोर होगा।अत्यधिक प्यार ,अत्यधिक घृणा  आदि   यूरी  पिटिस  नामक  विद्वान  के  शब्द है।

अरस्तु  के  ये विचार वल्ल्वर के विचारों का रक्षक होते हैं।

आगे  वल्लुवर कहते हैं----
जो अपने अपराधों  को दूर कर ,दूसरों  के  अपराधों  पर ही ध्यान देते  हैं,तब उनके पास कोई अपराध रहेगा? नहीं।

तन कुटरम  नीक्की  पिरर   कुटरम   कान्किर्पिन  एन्कुटर माकुम  इरैक्कू।

A LEADER WHO ADDRESSES  HIS WEAKNESSES BEFORE FINDING FAULT IN OTHERS WILL BE RESPECTED.

पोप निम्न ढंग से व्याख्या करते हैं--
WHAT  FAULT WILL REMAIN IN THE KING WHO HAS PUT AWAY HIS OWN EVILS OF OTHERS.

 जो ऊँचे  पद पर हैं,या ऊँची  स्थिति  पर हैं,उनको कभी अपने पर ही आश्चर्य प्रकट नहीं करना चाहिए।उनको अपनी जिम्मेदारी  भूलनी नहीं  चाहिए।  भलाई के  विरुद्ध का  काम नहीं करना चाहिए और करने का विचार
मन में नहीं होना चाहिए।
वल्लुवर के इस कथन का अनुवाद  है:-GET RID OF CONCEIT AND MALICE FOR THEY ARE WEAKNESSES.
पोप    अपने  अनुवाद में और सरल  बनाते हैं।
LET NO (ONE)PRAISE HIMSELF,AT ANY TIME;LET HIM NOT DESIRE TO DO USELESS THINGS.
ये गुण  होने पर न्यायाधीश  होने के लिए कोई  बाधा  नहीं होगी।

छोटे यंत्रों  को बनाने का एक मात्रु यंत्र  होता है। वैसे ही न्यायाधिपति  वल्लुवर  का मार्ग-दर्शन न्यायाधीशों को
बनाने  का  एक मात्र  यंत्र  है।।




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