राजा के लिए अत्यंत आवश्यक कौशलों में एक है जानकर स्पष्ट निर्णय लेना।जानकर और जानकारी दोनों में स्पष्ट शब्द को वल्लुवर जोर देते हैं।अपने इस अधिकारं में सात कुरलों में वल्लुवर ने
स्पष्ट शब्द का प्रयोग किया है।
एक राजा अपने सुशासन के लिए सभी कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए मंत्री,सेनापति,दूत आदि
पदाधिकारियों की नियुक्ति करता हैं।उनकी नियुक्ति में उनके सम्बन्ध की जानकारी मात्र काफी नहीं है;पदाधिकारियों की कुलीनता,ज्ञान,कार्य-कौशल आदि का दृश्य ,सैंद्धांतिक पक्ष की खोज करके स्पष्ट निर्णय लेना है।इन सब की नियुक्ति में कोई कमी हो जाए तो राज पद खतरे में पड जाएगा।
कुरल: अरियकटरू आसू अटरार कन्नुम तेरियुन्ग्काल इनमै अरिते वेलिरू।
अच्छे ग्रंथों के ज्ञाता में भी कोई न कोई अज्ञानता तिल पर भी हो सकता है।अतः वल्लुवर महोदय चेतावनी देते है कि किसीको अपनाना है तो अन्वेषण-अनुशीलन की आवश्यकता है।
तेरिन्तु तेलितल अर्थात जानकर स्पष्ट होना शब्द को खूब समझकर रत्ना कुमार ने उसका अंग्रेजी
अनुवाद किया है "an executive"(कार्यकारी)
even a person who is acknowledged as being learned may not be completely free of ignorance.
G.U.POPE:-
WHEN EVEN MEN , WHO HAVE STUDIED THE MOST DIFFICULT WORKS AND WHO ARE FREE FROM FAULTS ARE EXAMINED IT IS A RARE THING TO FIND THEM WITHOUT IGNORANCE.
और खूब-जान पहचान और छान-बीन करके नियुक्ति करने के बाद उन पर भरोसा ही रखना चाहिए;यदि राजा उसपर शक करें तो आजीवन दुःख ही झेलना पडेगा।
कुरल: तेरान तेलिवुम तेलिन्थान कण ऐयुरवुम तीरा इदुम्बाई तरुम।
इसकी आलोचना और व्याख्या इसी अधिकारं के सातवें कुरल में मिलती है।
वह कुरल है----कातंमै कंता अरिवु अरियार्ट तेरुतल बेदमै एल्लम तरुम।
जानकर स्पष्ट होना एक राजा के दिल और दिमाग को काम देने का अधिकारं है।क्रिया किस्म जानकर,फिर एक स्पष्ट निर्णय पर पहुंचकर कार्य रूप देना एक राजा की बडी जिम्मेदारी होती है।
तीसरा अधिकार है एक व्यक्ति की योग्यता और क्षमता जानकार उनसे काम लेना।
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