Saturday, July 14, 2012

संप्रभुता -1

संप्रभुता

सब नदियाँ  समुद्र  की  ओर  चलकर उस में संगम  होते  हैं ;  वैसे  ही सब शासन  प्रणालियाँ  अंत  में न्याय प्रणाली  की   ओर  चलती  है।  इसे कोई छोड़ नहीं सकते।न्याय-पूर्ण  शासन  सहज गति   में   चलता  है।अन्याय के शासन को न्याय  के सामने   जवाब देना ही पड़ेगा।उसको  न्याय का दंड भोगना  ही  पडेगा।
अवलोकन,अपराध -कमजोरियाँ ,डरनेवाला काम न करना,अत्याचार  आदि को  संप्रभुता के अधीन में झुककर
अपने को बदलना ही पडेगा। संसार में अपरिवर्तित स्थायी  रहनेवाला   न्याय  मात्र  है।उसका  प्रकट रूप  ही
संप्रभुता  है।
संप्रभुता  माने क्या है?

राज शासन का सीधा दंड  संप्रभुता  है ;सुशासन संप्रभुता है;न्यायपूर्ण  प्रशासन  संप्रभुता  है;न्याय का शासन संप्रभुता  है;
देश  के  छे  प्रकार  की  शान्ति   में  एक    संप्रभुता है तो धार्मिक  शासन ही संप्रभुता  है।

1.न्यायिक  प्रशासन(administration of justice)  2.तिरुक्कुरल में न्यायिक  प्रणाली का उपचार करने  का तरीका ,(  treatment of judicial  system in kural)3. न्याय  क्या  है?(what  is justice)   आदि के कुरलों को अन्वेषण  करके  देखने  पर, विस्मय  होना  पडेगा  कि  वल्लुवर महोदय  ने न्याय को कितना अत्यावश्यक  और महत्व्  पूर्ण  माना है।
  carefully  considering  the facts,  without  yielding  to feelings of passion, acting with integrity towards  all, and deciding  according  to law; so as to act easy to administer justice.
न्याय  के लिए इससे अधिक स्पष्टीकरण और  देने की ज़रुरत  नहीं है।

वल्लुवर ने अपराध  और दंड  के बारे  में जितनी ही महत्व्  पूर्ण  बातें  बतायी है,उन सब को व्यवहार में लागू करेंगे  तो अपराध कम होंगे और  अपराधियों की संख्या  कम होगी।

Some sailent principles for criminal law and punishment have been enumerated by Valluvar. First of all the criminal laws should be stringent. But the punishment awarded should be lenient. This principle has been adopted in he Indian penal code and for that matter it has been adopted universally by all the countries of the world.

  न्याय  का चिन्ह  किसे  कहते हैं?  तराजू को।क्यों?
 तराजू का काँटा  तटस्थ  रहता है।वह किसी  के  पक्ष में नहीं झुकता।वल्लुवर महाशय  ने इसे  ध्यान से देखा  और इसीको न्याय का  चिन्ह  घोषित  किया।  केवल  भारत के लिए मात्र  नहीं,सारे संसार  के लिए न्याय का चिन्ह   तुला ही है।तटस्थता  के  लिए   एक अधिकार  लिखकर  उसमे तुला को तटस्थता के तुला -सा कहा है वल्लुवर ने।
उनका कहना है  कि    उत्कृष्ट -पुरुषों  के लक्षण  हैं---तुला-- सा  सबको सामान दृष्टी  से देखना।

kural:  समन  सेय्तु  सीर तूक्कुम  कोलपोल  अमैन्तोरुपाल  कोडामै  सान्रोर्क्कू अणि।


THE  BALANCE  IS CONSIDRED THROUGH OUT  THE WORLD AS THE ENBELEM OF JUSTICE  AND VALLUVAR REFERS  TO THIS EMBLEM IN THS CHAPTER.FOR MEN OF
EXCELLANCE ,IT IS A GOOD ORNAMENT  TO ACT  LIKE A BALANCE.THIS IS ONE OF THE FAMOUS AND OFF QUOTED COUPLETS OF VALLUVAR.




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