महान या बड़े आदमी को कृतज्ञ रहना चाहिए।
.कृतघ्नता गरीबी का सूचक है।
अपने पास की संपत्ति को गाढ़कर रखना , अपनी संपत्ति से लाभान्वित न होना भी गरीबी है।
धन को बिना भोगे छिपाकर रखने से मनुष्य का बड़प्पन 50% घट जाता है।
.इसे अंग्रेजी में " " hoarded wealth ,wealth with out benefaction ""
कहते हैं।
यह गाढ़कर रखे हुए धन किसीको लाभ नहीं देगा।
जिसने कमाया, उसको भी लाभ नहीं; दूसरों को भी।.
अगुणी को मिले धन ,व्यर्थ हो जाएगा।
वल्लुवर ऐसे कंजूस व्यक्ति पर अपना क्रोध प्रकट करते हैं।.
अपनी कमाई बड़ी संपत्ति को अपनी कंजूसी के कारण जो नहीं भोगता ,वह बेजान व्यक्ति है। उसके लिए कोई काम नहीं है। धन होने पर भी वह दरिद्र ही है।.
कुरल:-वैत्तान वाय चानर पेरुम्पोरुल तुन्नान चेत्तान सेयक्किडन्त दिल।
the one who hands his enormous wealth without enjoying or utilizing it productively will no live a good life; he is as good as dead.
नालडियार कहते हैं----जो कंजूसी के कारण खाता--पीता नहीं, वह संसार में नहीं चमकेगा।
यश प्राप्त करने योग्य काम नहीं करेगा। वह दूसरों का दुःख दूर नहीं करेगा; दान नहीं देगा।
अपने धन छिपाकर उसकी सुरक्षा के ध्यान में ही रहेगा।
उसके बारे में यह धारणा निश्चित हो जाता है कि
वह सबकुछ पाकर भी सब कुछ खोया हुआ आदमी बन जाता है।.
नालाडीयार :
उन्नान ओळी निरान उंगु पुकल सेयान तुन्नरुंग केलिर तुयर कलै यान . कोन्ने
वलन्गान पोरुल कात्तिरुप्पानेल ,अ आ
इलान्दान एन्रू एन्नाप्पदुम।
वल्लुवर ने कहा है --किसी एक की भीख मांगना मात्र हीन कार्य नहीं होता ; कमाए धन को दूसरों को न देना भी हीनता पूर्ण जन्म है
.वह दरिद्र जन्म का प्रतीक है।
कुरल: पोरुलाना मेलला मेंरीयातिवारू मानाप पिराप्पू .
HE WHO KNOWS THAT WEALTH YIELDS EVERY PLEASURE AND YET IS SO BLIND AS TO LEAD MISERLY LIFE WILL BE BORN A DEMON.
यही वल्लुवर के कुरल का केंद्रीय भाव होता है।
धनी लोगों को जानना है---अति तेज़ से प्राप्त धन जल्दी चला जाएगा।(नाल अडियार )
धन का लाभ परायों को देना ही है।
कुएँ का पानी सींचते -सींचते बढेगा ;(धन देते -देते बढेगा ही).
इस जन्म का दान दूसरे जन्म में भी फल देगा।.
तिरुवल्लुवर कृतघ्न धनी के बारे में कहते -कहते उन के लिए कठोर शब्द का प्रयोग करते हैं।.
जो अपना यश न चाहकर धन कमाने में ही लगते हैं, उनका जन्म भूभार हो जाता है।.
ईटट मिवरिसई वेंडा वाडवर तोटर निलक्कुप पोरै .(कुरल)
वे आगे धनी लोगों को उपदेश देते हैं--""-जो मांगते हैं,,उनको देने से ही संसार में नाम मिलेगा।"".
इस मानुष-- जन्म में देना और नाम पाना ,इससे बढ़कर कमाना और पारिश्रमिक रकम और कुछ नहीं है।.
अपयश प्राप्त करके यश को अप्राप्त करना संसार के लोगों केलिए दुष्कर्म है।.
इतनी बाते, उपदेश सुनकर,,जानकर,,समझकर भी जो मनुष्य केवल धन जोड़ने की लालसा में ही
संसार में जीता है ,वह संसार के लिए एक बोझ मात्र है।
PEOPLE WHO HEARD THEIR WEALTH, RATHER THAN EARN HONOUR BY DOING THINGS FOR THE GOOD OF THE LESS FORTUNATE ARE A BURDEN TO THE WORLD.
कुरल 1. उरैप्पारुरैप पवई येल्ला मिराप्पार्क कोन रीवार मेनिर्कुम पुकल।
2.ईतल इसैपदा वाल्ट लतु वल्ल तूतिय मिल्लै उयिर्क्कू
3.वसैयेंब वैयात्तार्क केल्ला मिसै येंनु मेंच्चम पेरा विडीन.
4.वकैयिला वन्पयन कुन्रू मिसैयिला याक्कै पोरुत्त निलम।
उपर्युक्त चारों कुर्लों में वल्लुवर ने दान और परोपकार का महत्व बता चुके हैं।
.कृतघ्नता गरीबी का सूचक है।
अपने पास की संपत्ति को गाढ़कर रखना , अपनी संपत्ति से लाभान्वित न होना भी गरीबी है।
धन को बिना भोगे छिपाकर रखने से मनुष्य का बड़प्पन 50% घट जाता है।
.इसे अंग्रेजी में " " hoarded wealth ,wealth with out benefaction ""
कहते हैं।
यह गाढ़कर रखे हुए धन किसीको लाभ नहीं देगा।
जिसने कमाया, उसको भी लाभ नहीं; दूसरों को भी।.
अगुणी को मिले धन ,व्यर्थ हो जाएगा।
वल्लुवर ऐसे कंजूस व्यक्ति पर अपना क्रोध प्रकट करते हैं।.
अपनी कमाई बड़ी संपत्ति को अपनी कंजूसी के कारण जो नहीं भोगता ,वह बेजान व्यक्ति है। उसके लिए कोई काम नहीं है। धन होने पर भी वह दरिद्र ही है।.
कुरल:-वैत्तान वाय चानर पेरुम्पोरुल तुन्नान चेत्तान सेयक्किडन्त दिल।
the one who hands his enormous wealth without enjoying or utilizing it productively will no live a good life; he is as good as dead.
नालडियार कहते हैं----जो कंजूसी के कारण खाता--पीता नहीं, वह संसार में नहीं चमकेगा।
यश प्राप्त करने योग्य काम नहीं करेगा। वह दूसरों का दुःख दूर नहीं करेगा; दान नहीं देगा।
अपने धन छिपाकर उसकी सुरक्षा के ध्यान में ही रहेगा।
उसके बारे में यह धारणा निश्चित हो जाता है कि
वह सबकुछ पाकर भी सब कुछ खोया हुआ आदमी बन जाता है।.
नालाडीयार :
उन्नान ओळी निरान उंगु पुकल सेयान तुन्नरुंग केलिर तुयर कलै यान . कोन्ने
वलन्गान पोरुल कात्तिरुप्पानेल ,अ आ
इलान्दान एन्रू एन्नाप्पदुम।
वल्लुवर ने कहा है --किसी एक की भीख मांगना मात्र हीन कार्य नहीं होता ; कमाए धन को दूसरों को न देना भी हीनता पूर्ण जन्म है
.वह दरिद्र जन्म का प्रतीक है।
कुरल: पोरुलाना मेलला मेंरीयातिवारू मानाप पिराप्पू .
HE WHO KNOWS THAT WEALTH YIELDS EVERY PLEASURE AND YET IS SO BLIND AS TO LEAD MISERLY LIFE WILL BE BORN A DEMON.
यही वल्लुवर के कुरल का केंद्रीय भाव होता है।
धनी लोगों को जानना है---अति तेज़ से प्राप्त धन जल्दी चला जाएगा।(नाल अडियार )
धन का लाभ परायों को देना ही है।
कुएँ का पानी सींचते -सींचते बढेगा ;(धन देते -देते बढेगा ही).
इस जन्म का दान दूसरे जन्म में भी फल देगा।.
तिरुवल्लुवर कृतघ्न धनी के बारे में कहते -कहते उन के लिए कठोर शब्द का प्रयोग करते हैं।.
जो अपना यश न चाहकर धन कमाने में ही लगते हैं, उनका जन्म भूभार हो जाता है।.
ईटट मिवरिसई वेंडा वाडवर तोटर निलक्कुप पोरै .(कुरल)
वे आगे धनी लोगों को उपदेश देते हैं--""-जो मांगते हैं,,उनको देने से ही संसार में नाम मिलेगा।"".
इस मानुष-- जन्म में देना और नाम पाना ,इससे बढ़कर कमाना और पारिश्रमिक रकम और कुछ नहीं है।.
अपयश प्राप्त करके यश को अप्राप्त करना संसार के लोगों केलिए दुष्कर्म है।.
इतनी बाते, उपदेश सुनकर,,जानकर,,समझकर भी जो मनुष्य केवल धन जोड़ने की लालसा में ही
संसार में जीता है ,वह संसार के लिए एक बोझ मात्र है।
PEOPLE WHO HEARD THEIR WEALTH, RATHER THAN EARN HONOUR BY DOING THINGS FOR THE GOOD OF THE LESS FORTUNATE ARE A BURDEN TO THE WORLD.
कुरल 1. उरैप्पारुरैप पवई येल्ला मिराप्पार्क कोन रीवार मेनिर्कुम पुकल।
2.ईतल इसैपदा वाल्ट लतु वल्ल तूतिय मिल्लै उयिर्क्कू
3.वसैयेंब वैयात्तार्क केल्ला मिसै येंनु मेंच्चम पेरा विडीन.
4.वकैयिला वन्पयन कुन्रू मिसैयिला याक्कै पोरुत्त निलम।
उपर्युक्त चारों कुर्लों में वल्लुवर ने दान और परोपकार का महत्व बता चुके हैं।
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