वल्लुवर बहुत बड़े ज्ञानी थे।अर्थ के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा है कि अतिथिसत्कार और परोपकार
करते समय अपनी आर्थिक दशा पर भी ध्यान रखना चाहिए।अगर अपनी आय के विपरीत दान या अथिति सत्कार में लगें तो धन का विनाश जल्दी हो जाएगा। यही वल्लुवर ने कहा कि अतिथि सत्कार में कोई हानि होगी तो उसकी बिना परवाह किये घाटा सहकर अतिथि सत्कार को प्रधानता देनी चाहिए।
यह तो वैचारिक भेद नहीं है, वल्लुवर इसमें एक सतर्कता आर्थिक विषमता पर ध्यान रखकर देते हैं।यह उनके अनुभव ज्ञान की सूक्ष्मता का सूचक है।
रत्नकुमार:-IF ONE GIVES MORE HIS INCOME HIS WEALTH WILL SOON DEMINISH.
G.U.POPE: THE MEASURE OF HIS WEALTH WILL QUICKLY PERISH WHOSE LIBERALITY WEIGHS NOT THE MEASURE OF HIS PROPERTY.
करते समय अपनी आर्थिक दशा पर भी ध्यान रखना चाहिए।अगर अपनी आय के विपरीत दान या अथिति सत्कार में लगें तो धन का विनाश जल्दी हो जाएगा। यही वल्लुवर ने कहा कि अतिथि सत्कार में कोई हानि होगी तो उसकी बिना परवाह किये घाटा सहकर अतिथि सत्कार को प्रधानता देनी चाहिए।
यह तो वैचारिक भेद नहीं है, वल्लुवर इसमें एक सतर्कता आर्थिक विषमता पर ध्यान रखकर देते हैं।यह उनके अनुभव ज्ञान की सूक्ष्मता का सूचक है।
रत्नकुमार:-IF ONE GIVES MORE HIS INCOME HIS WEALTH WILL SOON DEMINISH.
G.U.POPE: THE MEASURE OF HIS WEALTH WILL QUICKLY PERISH WHOSE LIBERALITY WEIGHS NOT THE MEASURE OF HIS PROPERTY.
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