न्यायाधिपति -3.
जीव-शास्त्र के ग्रन्थ तिरुक्कुरलवाद को जिन लोगों ने शोध की है,जिनमें प्रमुख थे साहित्यक और क़ानून विशेषज्ञ ,उनहोंने एक बात को स्पष्ट निर्णय किया है।वह बात है,धर्म के अंतर्गत क़ानून है। ;कानून के अंतर्गत धर्म नहीं है ।
नीतिराज प.वेणुगोपाल ने कहा कि धर्म के विषय पर तिरुवल्लुवर के जैसे गहरे विचार आज तक संसार में किसीने प्रकट नहीं किया है।इस कारण से हम यह नहीं कह सकते कि तिरुक्कुरल एक धर्म ग्रन्थ है।वेणुगोपाल की कथन से यह भय भी हो जाता है कि उसे धर्म ग्रन्थ कहकर छोड़ देंगे।लेकिन धर्म सम्बन्धी ग्रंथों की अलग विशिष्ठता है।
धर्म की नीतियाँ जनता के मन तक पहुँचेंगी ;मनोभावों को स्पर्श करेंगी।
मनुष्य जाति की श्रेष्ठता के लिए मार्ग-दर्शक क़ानून है या मानसिक परिवर्तन?
इस सवाल का जवाब है मानसिक परिवर्तन।
जीव-शास्त्र के ग्रन्थ तिरुक्कुरलवाद को जिन लोगों ने शोध की है,जिनमें प्रमुख थे साहित्यक और क़ानून विशेषज्ञ ,उनहोंने एक बात को स्पष्ट निर्णय किया है।वह बात है,धर्म के अंतर्गत क़ानून है। ;कानून के अंतर्गत धर्म नहीं है ।
नीतिराज प.वेणुगोपाल ने कहा कि धर्म के विषय पर तिरुवल्लुवर के जैसे गहरे विचार आज तक संसार में किसीने प्रकट नहीं किया है।इस कारण से हम यह नहीं कह सकते कि तिरुक्कुरल एक धर्म ग्रन्थ है।वेणुगोपाल की कथन से यह भय भी हो जाता है कि उसे धर्म ग्रन्थ कहकर छोड़ देंगे।लेकिन धर्म सम्बन्धी ग्रंथों की अलग विशिष्ठता है।
धर्म की नीतियाँ जनता के मन तक पहुँचेंगी ;मनोभावों को स्पर्श करेंगी।
मनुष्य जाति की श्रेष्ठता के लिए मार्ग-दर्शक क़ानून है या मानसिक परिवर्तन?
इस सवाल का जवाब है मानसिक परिवर्तन।
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