Tuesday, July 10, 2012

न्यायाधीश -न्यायाधिपति-1

न्यायाधीश -न्यायाधिपति


न्यायाधीश और न्यायाधिपति  दो शब्द  क्यों  बने ?
 इसके  भी कारण है।
न्यायाधिपति  शब्दार्थ  में विशेषता  है।
न्यायाधीश शब्द की विशेषता
 न्यायाधिपति को महत्व  देने के लिए बना है।


आज  न्याय  कहाँ  है? ऐसी मनोस्थिति में ही कई लोग मानसिक तनाव के साथ चल-फिर रहे हैं।

सामान्य  न्याय  नियमानुसार  मिलने केलिए कठोर  श्रम करना पड़ता है।सामाजिक न्याय मिलने के लिए
संग्राम  करने में आश्चर्य की कोई बात नहीं है।
 चेन्नई  विश्वविद्यालय  द्वारा प्रकाशित   शब्दकोष  चौथे भाग में न्यायाधीश,न्यायाधिपति   शब्दों  का ही उल्लेख  किया गया है।मायूरम मुन्शीफ  वेदनायकम पिल्लै  ने न्यायाधिपति  शब्द का प्रयोग किया था।
इसीलिये  विश्वविद्यालय शब्दकोष  में भी इसका उल्लेख  है  और न्याय -राजा,न्यायमूर्ति ,नीतिमान  आदि अर्थ के रूप में  भी लेते है।

चेन्नई विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित  अंग्रेजी कोष में "Judge " शब्द के  निम्न अर्थ मिलते है:-
औपचारिक-प्रधान,न्यायाधीश,माननीय मध्यस्थ ,न्याय प्रदान करनेवाला,मध्यस्थ,तटस्थ  न्याय कहनेवाला,
तटस्थ ,स्पर्धाओं में निर्णय बतानेवाला,बड़ा ,स्पर्धाओं में पुरस्कार देनेवाला,बुद्धिबलि।कल्याण तोलकर मूल्यांकन कर्ता ,विभागीय विद्वान,जाँचक ,साक्षी,यूदों की सेना,प्रशासन अधिकार का सम्माननीय मध्यस्थ,युदों के जोशुआ और राजा के काल के प्रधान पद के मुख्यमंत्री,ईश्वर  आदि।

ये  संज्ञाएँ  ही क्रियाएँ   बनकर  न्यायाधीश के काम करो ;   पूछ-ताछ करो;   मुकद्दमा पूछ-ताछ करो;  न्याय करो  ;फैंसला सुनाओ ;दंड दो   ;   वाद-विवाद करके निर्णय करो  ;   मूल्यांकन  करो   ; समाचारों की तुलना करके विशेषता बताओ;   दोष-निर्दोष का पता लगाओ   ;चुनकर निर्णय करने का अधिकार लो  ; शोधकरके बताओ   ;   दोष निकालो ; खंडन करो;      अंतिम  निर्णय दो  ; सोचकर अंतिम  विचार कहो  ;  ईमानदारपूर्वक फैंसला सुनाओ   ; कानूनी अंतिम  निर्णय  सूचित करो  ; कल्याण चुनकर बताओ  इत्यादि।








 

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