Wednesday, July 11, 2012

-10न्यायाधिपति

वल्लुवर  में   न्याय  को   ही  न्याय  की   सीख  देने  की  क्षमता   थी।   उनके  सभी  कुरल अपने  नीति-रीति  को  लेकर चलते   हैं।  अर्थ  भाग  में  कुछ  अधिकार  हैं,जिनमें  अपराध ,दंड ,क़ानून,आदि  को  विस्तारपूर्वक   वल्लुवर   महोदय ने लिखे  हैं।
अवलोकन  ,अपराध  को   दंड  देना, भयप्रद  कार्य  न  करना, अत्याचार,सुशासन  आदि  बातें  उनमें हैं।इनको क्रमानुसार  अध्ययन  करने  पर  कई सच्चाइयाँ  मालूम   होंगीं।


अवलोकन// सहानुभूति 

तमिल में  अवलोकन  शब्द  को  कान्नोटटम  कहते हैं।यहअधिकारं  कुरलों की पुष्प-वाटिका  है।इस  वाटिका में बैठकर  पैटेंगे  तो  नज़र  आयेगा  कि  वल्लुवरने इस  संसार की नारियों को प्यार  के हल से जोता  है।।इस अधिकार  के दस  कुरलोंमें  एक कुरल में  मात्र दंड   के  बारे  में बताया गया है।

हम एक घड़े भर के चावल  में एक को लेकर ही देखते है  कि  चावल  पक गया  कि नहीं।
वैसे ही ,वल्लुवर का एक कुरल  जो दंड के बारे में   लिखा  गया  है ,वही काफी है वल्लुवर महोदय एक   बड़े  नियायातिपति  है।

अवलोकन  (कन्नोत्तम)  को तमिल में निम्न  सुन्दर  नाम  हैं। सहानुभूति के दस  कुरलों में ,
एक  कुरल बहुत  बढ़िया  सुन्दर  कहता  है।

दूसरा  कुरल  सान्सारिक  व्यवहार  बताता है।

तीसरा  एक कुरल राग  मिश्रित गाना  कहता  है।
चौथा  कुरल सुन्दर नेत्र कहता है।
 पाँचवाँ   कुरल  मुख-आभूषण कहता है।
छठवें  कुरल  दया -दृष्टी होने  के  कारण  ही  ,मनुष्य- मनुष्य   कहा  जाता   है; नहीं तो वह एक जड़-वृक्ष  है.
सातवाँ  कुरल  कहता है,एक के नेत्र  ही एक की सहानुभूति गुण का परिचय देते हैं।
आठवाँ  कुरल बताता है  कि इस संसार पर करुण-दृष्टि वालों  का  ही  अधिकार  है  और शासन  है।

दया  -दृष्टि  की  जीव-धारा  जिसमें बहती है, वह सुनागरिक है ---यह अंतिम कुरल है।


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