Saturday, July 7, 2012

12साधु /महान/ उत्कृष्ट आदमी

 मनुष्य  केलिए   हँसी-खेल   में    भी  अपमान  दुखदायक है।.इसलिए  अन्यों के स्वभाव  जानकर   बर्ताव  करने वाले , दुश्मन से भी मधुर व्यवहार  ही  करेंगे। 

DO NOT BEHAVE DISRESPECTFULLY EVEN  AS A JOKE;WELL NURTURED COURTEOUS EVEN TO THEIR ENEMIES.
 संसार की दोस्ती गुणी  से होती है।अतः  गुण -शीलता स्थायी रूप में लगातार आता  रहता है।
संसार की गतिशीलता   गुण  और अच्छी चाल--चलन में ही है।G.U.POPE--THE  (WAY OF  THE) WORLD SUBSITS   BY CONTACT  WITH THE GOOD; IF NOT ,IT WOULD BURNS ITSELF IN THE EARTH PERISH.
बड़प्पन  और महानता  को बल देनेवाले  गुणों में  एक है  लज्जाशीलता।  जिसमें  वह गुण  है,,उसके लिए वह गुण  एक कवच  है।.वह कवच स्त्री  हो या पुरुष  दोनों के लिए आवश्यक  है।

उच्च  कुल में जन्म  लेकर  , उस  का    काम         मान, बड़प्पन,  योग्यता,  आदि के अनुकूल  न हो ,  तो    उसे करने में  लज्जित  होना   लज्जाशीलता  है।जो कार्य उचित नहीं है, उसे करने केलिए लज्जित होना है।.
मनक्कुडवर  का कहना  है---धर्म,,अर्थ,,काम आदि में दूसरों की निंदा का पात्र न बनना लज्जा शीलता है।.
लज्जा शब्द  केवल  स्त्रियों  केलिए मात्र नहीं ,परुषों केलिए भी  है।. तिरुवल्लुवर अर्थ अध्याय में  लज्जाशीलता पर भी अपना विचार  प्रकट करते हैं।

परुषों  की लज्जा शीलता  उसके  कर्म के कारण होती है।  नीच कर्म के कारण पुरुषों को लज्जित  होना पड़ता है।
 स्त्रियों   को  मन,शरीर ,भाषा आदि  के नियंत्रण  के  कारण  लज्जा होती  है।कुल--स्त्रियों  में ही यह गुण रहती है।.
पुरुषो की लज्जा शीलता बुरे कर्म करने से होती है।.लेकिन स्त्रियों  को कई कारणों से लज्जा होती  है। स्त्रियों  को परिचित पुरुषों से बोलने ,पुरुषों की सभा में बोलने  आदि के कलिए भी लज्जा होती है।.लेकिन वेश्यावों के लिए यह गुण  अपवाद है।


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