Wednesday, July 11, 2012

-9..न्यायाधिपति

तिरुक्कुरल पढ़ते  समय  अर्थ  ग्रहण,  शीर्षक   के अनुसार करने पर भ्रम होगा।
संन्यास  में निरमाँस भोजी,ताप ,अस्थिरता जो है ,वह गृहस्थ के लिए भी लागू होगा।
करुण ,जीव वध न  करना,क्रोध न होना आदि राजनीती  के लिए लागू  होगा।
काम  सर्ग संन्यास  के  लिए  लागू  न होगा।वैसे  ही
सेना का घमंड,सेना की महिमा  आदि सर्ग  करूण   केलिए
 लागू नहीं होगा।अर्थ कमाना तो अस्थिरता  का विरोध है।

जो शासन  करते हैं,उनके लिए समय  नहीं है; हमेशा जागरूक  रहना  है।उसकी आलसी  से मान, दुश्मन आदि  का नाश होगा। एक शासक को समयानुसार खाना-सोना-आराम आदि  हराम हो जाएगा।

कुरल:   कुड़ी सेय्वार्क्कू  इल्लै  परुवं   मदिसेय्तु   मानं  करुतक  केडुम .

वल्लुवर एक विषय से  बढ़कर  दूसरे  विषय को बड़ा कहते  हैं।इसका मतलब यह नहीं  की दूसरे महत्वहीन है।

वल्लुवर  का तिरुक्कुरल  अकार से  शुरू  होकर, नकार में अंत  होता है। इसका  मतलब  है---"तमिल भाषा  ही तिरुक्कुरल  है।

उपर्युक्त  विशेषता  के  संत  महान तिरुक्कुरल  न्यायाधिपति  के रूप में में कैसे प्रज्वलित  होते है?
आगे इस विषय  पर  प्रकाश  डालेंगे।

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