Wednesday, July 11, 2012

7.न्यायाधिपति

    डाक्टर  राधा कृष्णन भारतीय  दार्शनिक  ने  कहा  कि  अतिरिक्त  मूल्य (surplus theory ) कार्लमार्क्स  का अपूर्व आविष्कार है।ऐसे  ही मनुष्यता  वल्लुवर  का  अपूर्व सुन्दर सृजन है।
तिरुक्कुरल  का  आधार  ही  मनुष्यता  और  मनुष्य - स्नेह मात्र  है।संसार  में तिरुक्कुरल ही  सब से  बढ़िया
मनोवैज्ञानिक  ग्रन्थ है।

  एक शोध कर्ता  ने  कहा  है  कि  सभी  कुरल मनुष्यता  के आधार पर लिखे  गए हैं;फिर भी अतिथि -सत्कार,दान,करुणा ,वध न करना,आदि अधिकारों में मनुष्यता के महत्व की ऊँची विशेषताओ को बखूबी बताया है। यह तो अस्वीकार्य नहीं है।

एल।मुरुगेश  मुदलियार लिखित  तिरुक्कुरल में प्रशासनिक पद्धति  ग्रन्थ  में  बताया गया है --"तिरुक्कुरल  सुन्दरता पूर्ण कलात्मक  रचना  है।उस ग्रन्थ के रचयिता ने  राजा या धार्मिक लोगों का  महत्व्  नहीं बताया;केवल मनुष्य को ही प्रधान  माना।"

लेकिन माँ।पो।शिव ज्ञानम  ने  अपना आश्चर्य  प्रकट किया है  कि  तिरुक्कुरल में क्यों कला  की   बात  नहीं है।

ज्ञान का स्त्रोत  तिरुक्कुरल  में  धर्म ,अर्थ,काम  आदि विषय  ही हैं।लेकिन  धर्म  अध्याय में ही दूध में जैसे घी
  छिपी  है,वैसे  ही क़ानून और दंड  की बातें  हैं।गहरे अध्ययन  से इस सच्चाई  को समझ  सकते हैं।

No comments:

Post a Comment