Wednesday, July 18, 2012

SHAASAK-10

वल्लुवर  मंत्री  को  व्यवहारिक  ज्ञान   के  बारे  में  कहते  हैं:-

सेयर्के  अरिन्तक  कडैत्तुम  उलकत्तु   इयारकै  अरिन्तु  सेयल .

कृत्रिम  ज्ञान सिद्धान्तिक  ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी प्राकृतिक ज्ञान का ही एक मंत्री को प्रयोग करना चाहिए।

इसकी व्याख्या  में वल्लुवर खुद  कहते हैं  कि

उलकत्तोडोट ट  ओलुकल  पलकट्रुंग  कल्ला रारिविलातार .

संसार के व्यवहार के अनुसार जो व्यवहार  नहीं करता ,वह शिक्षित  होने पर भी अशिक्षित ही  होता है।

ratnakumar:- A MINISTER,EVEN IF HE HAS THE KNOWLEDGE TO PERFORM MUST BE PRACTICAL.
G.U.POP:-THOUGH YOU ARE ACQUAINTED WITH THE THEORETICAL METHODS OF PERFORMING AN ACT UNDERSTAND THE WAYS OF THE WORLD AND ACT ACCORDINGLY.

वल्लुवर  महोदय कहते हैं कि

 एक मंत्री गलती  करता है  या

 एक अयोग्य अपराधी को पास रखने से
एक दुश्मन  को पास रखने में  भला हो  सकता है।

एक  नहीं, सत्तर करोड़ दुश्मनों को पास रख लो;

लेकिन एक अयोग्य  की नियुक्ति ,सर्वनाश की नियुक्ति।

तुला  के एक ओर  योग्य मंत्री बिठाओ ;

दूसरी ओर सत्तर करोड़ दुश्मन बिठाओ;

एक बुरे विचारवाले मंत्री सत्तर करोड़ दुश्मन के बराबर होगा।

एक आतंरिक दुश्मन हैं;

बाह्य  दुश्मन सत्तर करोड़;

दोनों से हम लडें  तो आतंरिक शत्रु मंत्री  विजयी होगा।

इसलिए राजा का पहला  काम है

बुरे मंत्री को पद से हटा देना।

तिरुक्कुरल देखिये:
पलुतु एन्नुम मंतिरिइन पक्कात्तुल तेव्वोर  एलुपतु कोडी उरुम।

इस अधिकारं का शीर्षक  वल्लुवर ने "अमैच्चु " तमिल शब्द रखा था।

पर बुरे मंत्री के ऊपर के क्रोधावेश  के कारण कुरल  में  "मंत्री " संस्कृत  शब्द का प्रयोग  कर दिया।

गुण के शिखर  के वल्लुवर के मुख से क्रोध के कारण तमिल शब्द  सूझा नहीं हैं।


रत्नकुमार:-THE HYPOCRISY OF A MINISTER IS MORE DANGEROUS TO THE RULER THAN THE COMBINED HOSTILITY  OF MANY ENEMIES FROM OUTSIDE.
G.U.POPE:-
FAR  BETTER ARE SEVENTY CRORES OF ENEMIES FOR A KING THAN A MINISTER AT HIS SIDE WHO INTENDS HIS RUIN.

राजा हो या मंत्री हो या  प्रजा

  तीनों को अध्यवसाय की ज़रुरत है।

जो मनुष्य अपने प्रयत्न को छोड़ देता है,

उसे संसार छोड़ देगा।

वल्लुवर   का तमिल कुरल:-

विनैक्कन  विने केदल ओम्बल विनैक्कुरै  थीर्न्तारिन  तीर्न्दंरू उलगु।

मतलब है अपने कार्य के प्रयत्न को बीच में ही छोड़ना ठीक  नहीं है;
लगातार कोशिश करके अपने काम को पूर्ण करना चाहिए।
RATNA KUMAAR;-AS THE WORLD WILL GIVE UP ON A PERSON WHO LACKS THE WILL POWER TO PERSEVERE ONE SHOULD GET RID OF THIS NEGATIVE ATTITUDE.

G.U.POPE;-TAKE CARE  NOT TO  GIVE UP EXERTION  IN THE  MIDST OF A WORK;THE WORLD WILL ABANDON THOSE THEIR UNFINISHED WORK..


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