शासकों की जिम्मेदारियाँ असीम होती हैं।उनकी सेवायें सब आम जनता केलिए हैं। उनके कर्तव्य निभाने के लिए वल्लुवर ने तीन अधिकारं लिखे हैं।उनमें तीस कुरल हैं।
वे हैं--1.सोच-समझकर कार्य करना,2.जानकर स्पष्ट होना 3.जानकर कार्रवाई लेना।
वल्लुवर ने जानका शब्द का प्रयोग किया है।यहाँ जानने का मतलब ज़रा गहरा है।खोजकर जानना।
जानकर कार्य करने का अर्थ है :
कुरल: अलिवतुवुम आवतुवुम आकिवालिपयक्कुम ऊतियामुम सूल्न्तु सेयल .
एक कार्य करके पूरा करने केलिए उस समय का खर्च, उत्पत्ति , फिर काम पूरा होने के बाद होनेवाले लाभ आदि तीनों को छान-बीन करके समझकर ही कार्य करना चाहिए।आमदनी कम,खर्च ज्यादा ऐसी योजना से राजा का नाम बद नाम हो जाएगा।
ACT ONLY AFTER KNOWING THE BENEFITS AND COSTS OF YOUR ACTION.--RATNAKUMAR.. THINKING BEFORE ACTING.
G.U.POPE:- ACTING AFTER DUE CONSIDERATION.
LET A MAN REFLECT ON WHAT WILL BE LOST WHAT WILL BE ACQUIRED AND (FROM THESE) WHAT WILL BE HIS ULTIMATE GAIN AND ACT.
KURAL: सेय्तक्क अल्ला सेयाक्केदुम ; सेय्तक्क सेय्यामै यानुम केदुम।
जो करने नालायक है उसे करने से सब कुछ बिगड़ जाएगा। जो करना है ,उसे न करने से सब कुछ बिगड़ जाएगा।
जो करना है उसे करना चाहिए; जो न करना है ,उसे छोड़ देना चाहिए।नहीं तो अर्थ विनाश के कारण जीवन अर्थहीन हो जाएगा।ज्ञान,पौरुष,बड़प्पन तीनो मिट जायेंगे और दुश्मन आसानी से पराजित कर लेगा।
RATNA KUMAR; failing to do what is right is as ruinous as doing the wrong thing.
G.U.POPE:-HE WILL PERISH WHO DOES NOT WHAT IS NOT FIT TO DO;
AND HE ALSO WILL PERISH WHO DOES NOT DO WHAT IT IS FIT TO DO.
No comments:
Post a Comment