Friday, July 20, 2012




शासकों की जिम्मेदारियाँ    असीम  होती  हैं।उनकी सेवायें सब  आम जनता  केलिए हैं। उनके कर्तव्य  निभाने के लिए  वल्लुवर ने तीन अधिकारं लिखे हैं।उनमें  तीस  कुरल हैं।
वे हैं--1.सोच-समझकर  कार्य करना,2.जानकर  स्पष्ट  होना 3.जानकर  कार्रवाई लेना।
वल्लुवर ने जानका शब्द का प्रयोग किया है।यहाँ जानने का मतलब ज़रा  गहरा है।खोजकर जानना।
जानकर कार्य करने का अर्थ है :

कुरल:  अलिवतुवुम  आवतुवुम  आकिवालिपयक्कुम   ऊतियामुम सूल्न्तु सेयल .

 एक कार्य करके पूरा  करने केलिए उस समय  का   खर्च,   उत्पत्ति , फिर  काम पूरा होने के बाद होनेवाले लाभ  आदि  तीनों  को  छान-बीन  करके समझकर ही  कार्य करना चाहिए।आमदनी कम,खर्च ज्यादा ऐसी योजना से राजा का नाम  बद नाम   हो जाएगा।
ACT ONLY  AFTER KNOWING THE BENEFITS AND COSTS OF YOUR ACTION.--RATNAKUMAR..  THINKING BEFORE ACTING.

G.U.POPE:- ACTING AFTER DUE CONSIDERATION.
LET A MAN REFLECT ON WHAT WILL BE LOST WHAT WILL  BE  ACQUIRED  AND (FROM THESE)  WHAT WILL BE HIS ULTIMATE GAIN AND ACT.

KURAL:   सेय्तक्क  अल्ला सेयाक्केदुम ;  सेय्तक्क   सेय्यामै  यानुम केदुम।

जो करने नालायक है उसे करने से सब कुछ बिगड़  जाएगा।  जो करना है ,उसे न करने से सब कुछ बिगड़ जाएगा।
जो करना है उसे करना चाहिए; जो न  करना है ,उसे छोड़ देना चाहिए।नहीं तो अर्थ विनाश के कारण जीवन अर्थहीन हो जाएगा।ज्ञान,पौरुष,बड़प्पन तीनो मिट जायेंगे और दुश्मन आसानी से पराजित कर लेगा।
 RATNA KUMAR;   failing to do what is right is as ruinous as doing  the wrong thing.

G.U.POPE:-HE WILL PERISH  WHO DOES NOT WHAT IS NOT FIT TO DO;
AND HE ALSO WILL PERISH WHO DOES NOT DO WHAT IT IS FIT TO DO.

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